कहा: जल और कन्या दोनों जीवन दायनी है, दोनों के बिना सृष्टि सम्भव नही है।

दिनोद धाम जयवीर फौगाट,

18 जून, सन्तो का हर पल सत्संग में ही बीतता है।सत्संग परमात्मा का ही गुणगान है और संत तो परमात्मा का गुणगान करने के लिए इस धरा पर अवतरित होते हैं। यह सत्संग वाणी राधास्वामी परमसंत सतगुरु कँवर साहेब जी महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में साध संगत के समक्ष प्रकट की। गुरु महाराज जी ने कहा कि वर्तमान सबसे बड़ा है। वर्तमान में आपको गुरु मिला, सत्संग मिला इसलिए उसे सँवारो। जो बीत गया उसे भूल जाओ अब केवल आगे की सुध लो और करनी करो। उन्होंने कहा कि माता पिता का दर्जा सर्वोच्च दर्जा है। माता पिता ही इंसान के प्रथम गुरु है। इनके ऋण को किसी एक दिन में नहीं बांधा जा सकता। कहने को तो हम किसी एक दिन को फादर्स डे मनाते हैं लेकिन माँ बाप तो हर दिन हर पल पूज्यनीय हैं। हमारी संस्कृति में मां बाप सन्तान को बुढापे की लाठी बताते हैं। इसका तात्पर्य यही है कि सन्तान का प्रथम कर्तव्य मां बाप की सेवा ही है लेकिन आज जगह जगह वृद्धाश्रम खुल रहे हैं। इस देश में रामायण को पांचवा वेद माना जाता है जिसमें पितृ धर्म का सुंदर उल्लेख है। श्रवण कुमार का जीवन हमें मां बाप के प्रति धर्म को सिखाता है। तब किसी एक दिन को फादर्स डे नहीं मनाया जाता था।

हुजूर ने कहा कि आज नकल का बोलबाला है। विज्ञान का दुरुपयोग हो रहा है। सोशल मीडिया और फिल्मों के जरिये अच्छाई नहीं बुराई सीखी जा रही है। आज किसी बुरी चीज का विरोध आपको सबका दुश्मन बना देता है। एक समय था जब पूरा विश्व हिंदुस्तान की संस्कृति और सभ्यता का अनुसरण करना चाहता था लेकिन आज हिंदुस्तान पाश्चात्य देशों को अनुसरण करने को लालायित है। जो कुछ करो नकल से नहीं बल्कि मन से करो। सत्य कभी रुकता नहीं है, सत्य का अनुसरण करो। अपने हृदय को पाक पवित्र कर लो कहीं भटकने की आवश्यकता नहीं है। पाक पवित्र मन ही मंदिर मस्जिद है। इसमें सारे देवी देवता निवास करते हैं। गुरु महाराज जी ने फरमाया कि सत्संग जीव के कल्याण के लिए, जीव के अवगुण मिटा कर उसे प्रभु के रास्ते मे चलाता है। अगर कोई भी जीव सत्संग में बार बार आता है उसका जीवन पूर्ण रूप से बदल जाता है। लेकिन सत्संग बिना सतगुरु के सम्भव नही है। जिसको पूर्ण सतगुरु मिल जाता है उसका लेखा निबट जाता है। सतगुरु करनी का भेद बताता है, बिना करनी के कल्याण सम्भव नही है।

उन्होंने कहा कि प्रकृति का सरल नियम है गिव एंड टेक का। जैसे भाव रखोगे वैसा ही आपको मिलेगा। जो सच्ची खोज में निकलता है उसे सच्चा अवश्य मिलता है। उन्होंने कहा कि पॉलीथिन का प्रयोग मत करो, प्रकृति, जल और पर्यावरण का संरक्षण करो। जल और बेटी को सुरक्षित करो। जल और कन्या दोनों जीवन दायनी है। दोनों के बिना सृष्टि सम्भव नही है।

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