राजनीति में जब हित टकराते हो तो समझौते नहीं होते । मतदाताओं के जिस वर्ग को भूपेंद्र सिंह हुड्डा फोकस करके चल रहे हैं उसी वर्ग पर इंडियन नेशनल लोकदल और ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला का फोकस है
घर की लड़ाई का हमेशा बड़ा नुकसान होता है ।यह नुकसान इंडियन नेशनल लोकदल को भी हो रहा है
पूर्व विधायक रामपाल माजरा भाजपा छोड़कर आए तो उनकी सहानुभूति इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ नजर आ रही थी ।अभय सिंह चौटाला ने खूब कोशिश की कि वह पार्टी में शामिल हो जाएं परंतु सूत्र बता रहे हैं कि वह भी कांग्रेस में जाने वाले हैं
यात्रा के दौरान भी कोई बड़ा नेता इंडियन नेशनल लोक दल में शामिल नहीं हुआ है। इंडियन नेशनल लोकदल में चेहरों की कमी अभी तक बनी हुई है

भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। हरियाणा में इंडियन नेशनल लोकदल के नेता पिछले कुछ दिनों से यह प्रचारित कर रहे हैं कि जैसे उनकी रूचि कांग्रेस से गठबंधन करने की है। मजे की बात यह है कि इसकी कोई संभावना नजर ही नहीं आ रही है। कांग्रेस के नेता इस मामले में लेश मात्र भी रुचि नहीं दिखा रहे। कांग्रेस के कई नेता तो इस संदर्भ में यहां तक कह देते हैं कि यदि कांग्रेस हरियाणा में ही गठबंधन की बात करने लगेगी और वह भी इंडियन नेशनल लोकदल से, तो इसे न तो व्यवहारिक कहा जा सकेगा और न ही कांग्रेस पार्टी इससे स्वीकार करेगी। जानकार तो यह तक कह देते हैं कि यदि कांग्रेस ने इस बारे में विचार करने की बात भी कहने की गलती कर ली तो हरियाणा में यह संदेश जाएगा कि कांग्रेस इतनी मजबूत नहीं है जितना प्रचारित किया जा रहा है या समझा जा रहा है।

यह माना जा रहा है कि लोग तो यहां तक कह देंगे कि अब भी कांग्रेस किसी से और वह भी इंडियन नेशनल लोक दल से गठबंधन कर रही है या चाह रही है तो आम आदमी भी यह सवाल उठाएगा कि कांग्रेस को अब भी बैसाखी की क्या जरूरत है। इसका मतलब यह समझा जाएगा कि कांग्रेस खुद को कमजोर समझती है।

आज हरियाणा में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही कांग्रेस नजर आते हैं उन्हें कांग्रेस से एक तरह से फ्री हैंड मिला हुआ है।

राजनीति में जब हित टकराते हो तो समझौते नहीं होते । मतदाताओं के जिस वर्ग को भूपेंद्र सिंह हुड्डा फोकस करके चल रहे हैं उसी वर्ग पर इंडियन नेशनल लोकदल और ओमप्रकाश चौटाला और अभय सिंह चौटाला का फोकस है । यही उनकी भी प्राथमिकता है ।ऐसे में भूपेंद्र सिंह हुड्डा जैसा तेज तर्रार और राजनीति को समझने वाला व्यक्ति अपने पैर पर कुल्हाड़ी नहीं मार सकता।

यही कारण है कि जब इस संदर्भ में एक पत्रकार ने श्री हुड्डा से यह सवाल किया तो उन्होंने इसे हाइपोथेटिकल सवाल कहकर खारिज कर दिया ।उन्होंने इस मामले में लेश मात्र भी कोई रुचि नहीं दिखाई और उनकी बातों से यह संदेश गया कि जैसे यह बिना मतलब का सवाल और फालतू की बात है।

यह तो वही बात हुई जब किसी से यह पूछा गया कि शादी हो गई जवाब आया हां 50%। वह कैसे ? बोला ,मैं तो तैयार हूं ही। इंडियन नेशनल लोकदल के नेताओं को इस बात का पता है कि उसका जो वोट बैंक है वह कांग्रेस विरोधी भी है और भूपेंद्र सिंह हुड्डा विरोधी भी। वह जननायक जनता पार्टी और भाजपा की तरफ तो जा सकता है ,कांग्रेस में नहीं जाएगा और जाएगा तो सीधा भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मिलकर जाएगा। इस समय भूपेंद्र सिंह हुड्डा और ओम प्रकाश चौटाला में व्यवहारिक तालमेल या गठबंधन पर जनता में भी कोई विशेष उत्साह या रुचि नजर नहीं आ रही ।लोग देखते हैं कि एक तरफ ओमप्रकाश चौटाला का परिवार ही भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर परिवार के लोगों को जेल भेजने के लिए षड्यंत्र करने का आरोप लगाता है दूसरी तरफ गठबंधन और तालमेल की बात की जा रही है। जो इंडियन नेशनल लोकदल कांग्रेस से भूपेंद्र सिंह हुड्डा से गठबंधन की बात कर रहा है उसी कांग्रेस पार्टी में इनेलो के प्रथम पंक्ति के नेताओं को शामिल कराया जा रहा है। दो नेता तो हाल ही में इनेलो छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं।

भूपेंद्र सिंह हुड्डा को जानने वाले लोग तो यह मानकर चलते हैं कि श्री हुड्डा की नजर में इंडियन नेशनल लोकदल और जननायक जनता पार्टी एक ही चीज हैं और उनकी कोशिश इन दोनों को कमजोर करके खुद को मजबूत करने की रहती है।

इस मामले में एक उदाहरण दिया जा सकता है। जब इंडियन नेशनल लोकदल का विभाजन हुआ और जननायक जनता पार्टी का गठन हुआ तो इंडियन नेशनल लोकदल की लगभग सारी की सारी सोनीपत जिले की इकाई जननायक जनता पार्टी में चली गई थी इनमें पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के चहेते नेता और पूर्व विधायक पदम सिंह दहिया भी शामिल थे। जननायक जनता पार्टी ने उन्हें सोनीपत का जिला अध्यक्ष भी बनाया। पिछले दिनों पदम सिंह दहिया ने जेजेपी छोड़ दी और कांग्रेस में शामिल हो गए। देखा जाए तो यदि इंडियन नेशनल लोकदल में कोई दम नजर आता तो वह इंडियन नेशनल लोकदल को प्राथमिकता दे सकते थे परंतु गए हैं कांग्रेस में। यह सब समझने की चीजें हैं।

अभय सिंह चौटाला एक तरफ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को बीजेपी का मददगार बताते हैं उन पर बीजेपी के दबाव में काम करने का आरोप लगाते हैं ।दूसरी तरफ उनसे गठबंधन करने की बात करते हैं ऐसी बातें सुनकर लोग हैरान हो रहे हैं।

अभय सिंह चौटाला के नेतृत्व में चल रही परिवर्तन यात्रा के बीच में पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला अपने सार्वजनिक वक्तव्य में अगली बार प्रदेश में इंडियन नेशनल लोकदल की सरकार बनने का दावा कर रहे हैं । उधर गठबंधन की संभावना के सवाल पर जेजेपी को भी अछूत नहीं मान रहे, कहते हैं किसी से भी गठबंधन संभव है। इस तरह की विरोधाभासी बातों को लोग गंभीरता से नहीं ले रहे हैं ।

यात्रा के दौरान भी कोई बड़ा नेता इंडियन नेशनल लोक दल में शामिल नहीं हुआ है। इंडियन नेशनल लोकदल में चेहरों की कमी अभी तक बनी हुई है। हरियाणा में देहात में मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग तो वह है जो पार्टीज की बजाए नेता को अहमियत देता है और इसका लाभ भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मिलता नजर आ रहा है ।जब यह स्थिति है तो कांग्रेस या भूपेंद्र सिंह हुड्डा इंडियन नेशनल लोकदल से गठबंधन की बात क्यों करेंगे। ऐसा भी नहीं है कि इंडियन नेशनल लोकदल के नेताओं के कांग्रेस हाईकमान से कोई निर्णायक अंडरस्टैंडिंग है।

इस मामले में एक बात गौर करने की है कि लोकसभा के चुनाव आ रहे हैं और इंडियन नेशनल लोकदल को इस बात की भी चिंता है कि चुनाव अकेले कैसे लड़े। इनेलो सिरसा लोकसभा क्षेत्र में असरदार है लेकिन कॉन्ग्रेस जीत की स्थिति में नहीं मानी जा रही है ।ऐसे में दोनों दल कोई अंडरस्टैंडिंग बनाएं तो 1 सीट का लाभ हो सकता हैं । अब इस एक मामले को लेकर कांग्रेस इनेलो के कितने दबाव में आ सकती है ,यह सवाल जरूर महत्वपूर्ण है।

लगता है इनेलो के नेता भाजपा विरोधी मतदाताओं को यह संदेश देना चाहते हैं कि भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए हमने भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस के समक्ष एक प्रस्ताव रखा था जो भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खारिज कर दिया। अब यही बात कुछ दिन पहले जेजेपी की तरफ से दिग्विजय चौटाला ने कहने की कोशिश की है कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा जिद नहीं करते तो हरियाणा में भाजपा की सरकार ही नहीं बनती। देखा जाए तो जाटों में नेताओं की वर्चस्व की लड़ाई का लाभ भारतीय जनता पार्टी उठाना चाहती है।

आगामी चुनाव में जाट मतदाताओं में मत विभाजन के फार्मूले पर कई लोग इन सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर सकते हैं जहां जाट मतदाता निर्णायक स्थिति में है। लगता है इसी मकसद से हरियाणा में कुछ लोगों ने अपनी ही पार्टी बना ली है। बलराज कुंडू जैसे लोग जिन्हें अपनी सीट निकालने में भी दिक्कत आ सकती है ,वह भी कुछ खास सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े करेंगे ऐसे संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने एक पार्टी ही बना ली है। जब ऐसा होगा तो यह बात सबकी समझ में आ जाएगी।

इधर इंडियन नेशनल लोकदल की यात्रा चल रही है उधर सिरसा जिले में बीजेपी और जेजेपी इस तरह की रणनीतियों पर एक हो गई प्रतीत हो रही हैं कि अगले चुनाव में सिरसा जिले में कमल खिल जाए बीजेपी और जेजेपी के ही विधायक बने तथा कांग्रेस और इनेलो का खाता ही ना खुल पाए। इस मामले में चौधरी रणजीत सिंह भी कहीं इनेलो के पक्षधर के रूप में नजर नहीं आ रहे हैं। ऐसी परिस्थितियां पैदा की जा रही है कि इंडियन नेशनल लोकदल को ऐलनाबाद के चुनाव में ही जीत के लाले पड़ जाए। यह स्थिति जरूर है कि लोग यह चर्चा करने लगे हैं कि अगला चुनाव जननायक जनता पार्टी के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकता है लेकिन इंडियन नेशनल लोकदल के पांच सात विधायक जीत कर आ सकते हैं।

हरियाणा में राजनीति में रुचि रखने वाले लोग इस बात को बड़े गौर से देख रहे हैं कि पूर्व विधायक रामपाल माजरा भाजपा छोड़कर आए तो उनकी सहानुभूति इंडियन नेशनल लोकदल की तरफ नजर आ रही थी ।अभय सिंह चौटाला ने खूब कोशिश की कि वह पार्टी में शामिल हो जाएं परंतु सूत्र बता रहे हैं कि वह भी कांग्रेस में जाने वाले हैं ।इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि हो क्या रहा है और इंडियन नेशनल लोकदल की स्थिति क्या है। रामपाल माजरा तो उस क्षेत्र से ताल्लुक रखते हैं जो लोक दल का कदीमी गढ़ रहा है।

इसमें दो राय नहीं की लोकदल के पास पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी ओम प्रकाश चौटाला जैसा मजबूत इच्छाशक्ति का अनुभवी और राजनीतिक सोच का नेता है अभय सिंह जैसा जुझारू ध्वजवाहक है । दोनों की लोग तारीफ करते हैं परंतु वोट नहीं देते।
लोग गौर करते हैं कि आदमपुर के उपचुनाव में इंडियन नेशनल लोकदल की क्या स्थिति रही और ऐलनाबाद की अभय सिंह चौटाला की और ओम प्रकाश चौटाला की परंपरागत सीट पर जीत का इतना थोड़ा मार्जन क्यों रहा। प्रदेश के मतदाता इसे इंडियन नेशनल लोकदल की कमजोरी के रूप में देख रहे है।

एक बात और है और यह कि घर की लड़ाई का हमेशा बड़ा नुकसान होता है ।यह नुकसान इंडियन नेशनल लोकदल को भी हो रहा है और जननायक जनता पार्टी को अब और ज्यादा हो सकता है और इसका लाभ किसको होगा इसका अनुमान सहज ही लगाया जा सकता है।

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