भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

विचार इनको करना है

गुरुग्राम – गुड़गांव निगम चुनाव की तैयारियां जोरों पर चल रही है और यह भी सत्य है की वर्तमान में यह दिखाई दे रहा है की भाजपा का वर्चस्व है परंतु यह भी दिखाई दे रहा है कि भाजपा में टिकट लेने वाले भी बहुत हैं और यह भी देखा जा रहा है कि जो 2017 के निगम चुनाव में भाजपा के विरोध में लड़े थे वह भी अब भाजपा की टिकट लेने की जुगत लगा रहे हैं.

राजनीति आजकल सच्चाई की नहीं गई है. यहां मौका परस्ती का बोलबाला दिखाई दे रहा है जो आदमी समय के साथ अपनी पार्टी और अपनी निष्ठा बदल रहे हैं उन्हें भी कहीं ना कहीं सफलता मिलती दिखाई दे रही है. इन्हीं बातों को देखते हुए भाजपा के निष्ठावान और पुराने कार्यकर्ताओं का वर्तमान निगम चुनाव के लिए कहना है कि जो पहले 2017 के आम चुनाव में भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़े थे उन्हें निगम की टिकट नहीं मिलनी चाहिए. यदि उन्हें टिकट मिलती है तो यह भाजपा के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का अपमान होगा ऐसा हमें अनेक पुराने भाजपाइयों ने कहा.

सत्ता के साथ रहने का शौक आजकल अधिक ही हो रहा है जो 2017 के चुनाव में भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़े थे और उन्हें भाजपा ने निष्कासित भी कर दिया था देखा जा रहा है कि आजकल वही सबसे अधिक भाजपा के गीत गा रहे हैं और उनका भी कहना है की पहले हम भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़कर चुनाव जीत गए थे तो भाजपा ने हमें अपने में शामिल कर लिया था तो वर्तमान में भी हम टिकट के दावेदार हैं, क्योंकि पहले भी हम चुनाव जीते थे लेकिन यदि हमें टिकट नहीं मिली तो हम फिर निर्दलीय लड़कर चुनाव जीतने का प्रयास करेंगे क्योंकि यह तो तय है कि यदि जीत हमारे को मिल गई तो भाजपा के निष्कासन की बात हवा हवाई है. हम फिर भाजपा के सैनिक होंगे और यदि भाजपा ने नहीं अपनाया तो जिसका निगम में बहुमत दिखाई देगा उसका पल्ला पकड़ने में ही लाभ होगा. अतः टिकट के लिए प्रयास करना हमारी मजबूरी है लेकिन यदि टिकट नहीं मिली तो निर्दलीय भी चुनाव लड़ेंगे और किसी भी पार्टी का सहयोग मिला वह भी लेंगे वर्तमान में तो भाजपा के गीत गा कर टिकट के प्रयास करने ही चाहिए जो कर रहे हैं.

यह बात पुराने भाजपाई निष्ठावान कार्यकर्ताओं के गले नहीं उतर रही है. उनका कहना है कि इस प्रकार तो यह कहा जा सकता है कि भाजपा मौकापरस्त पार्टी है और जिसने आरंभ से ही भाजपा की नीतियों का प्रसार किया है और भाजपा के लिए ही अपना जीवन लगा दिया है उन लोगों का अपमान है. ऐसा होने पर संभव है कि हमारी अंतरात्मा ऐसे उम्मीदवारों का सहयोग करने से मना कर दे अतः मजबूरी में भाजपा के उम्मीदवार को हराने का प्रयास करना पड़ेगा, क्योंकि वह वास्तव में भाजपाई नहीं है वह तो पार्टी में छुपे हुए मतलबी हैं जो अपने स्वार्थ के लिए पार्टी का कोई महत्व समझते नहीं है केवल उन्हें अपना स्वार्थ दिखाई देता है और ऐसे में यदि हम उनका विरोध करेंगे तो यह अनुचित भी नहीं होगा.

यह तो बताई हमने भाजपाई कार्यकर्ताओं से की हुई बात. अब हम एक बात अपनी ओर से भी कहेंगे कि यदि भाजपा ने पिछले चुनाव में भाजपा के विरुद्ध चुनाव लड़े हुए उम्मीदवारों को टिकट दिया तो भाजपा को मुंह की खानी पड़ सकती है वैसे इस बात का प्रमाण जिला परिषद चुनाव में भी भाजपा देख चुकी है जहां उन्होंने ही कहा था कि हमने कुछ टिकट जिद में और कुछ प्रभाव में दे दिए थे. यहां भी भाजपाइयों का यही कहना है की संभव है कि टिकट वितरण में भाई भतीजावाद और अर्थ का समावेश हो ऐसी स्थिति में हमारी आत्मा मानेगी नहीं भाजपा का साथ देने को.

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