शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे, जो खुद जहां है वहीं रहते हैं मगर दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचा ही देते हैं
किसी भी देश के आर्थिक, बौद्धिक विकास में शिक्षक और सड़क (यातायात) की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करना वर्तमान समय की मांग
– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावानानी

भारत आदि-अनादिकाल से संस्कृति, मानवीय सभ्यता और सम्मान का अद्वितीय केंद्र रहा है। हमारे पूर्वजों ने जीवन की गहराइयों को समझते हुए अनेक कहावतें, वचन और जीवनमूल्य हमें सौंपे हैं, जिनमें जीवन के हर पहलू को दिशा देने की शक्ति है। इन्हीं में से एक गहरी बात है — “शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे हैं, जो खुद जहां हैं वहीं रहते हैं, मगर दूसरों को उनकी मंज़िल तक पहुंचा ही देते हैं।” इस कथन का सार हमारे देश की प्रगति और व्यक्तित्व निर्माण की नींव में छुपा हुआ है।
शिक्षक: ज्ञान और चरित्र का निर्माता
शिक्षक समाज का वह प्रकाशपुंज है, जो अपने ज्ञान की रोशनी से अनगिनत जीवनों को आलोकित करता है। एक शिक्षक न केवल विद्या का संचार करता है, बल्कि चरित्र, नैतिकता और आत्मविश्वास का भी बीजारोपण करता है। वह विद्यार्थी को उसके जीवन का अर्थ और उद्देश्य पहचानने में मदद करता है।
बचपन में जब विद्यार्थी गीली मिट्टी की तरह होता है, तब शिक्षक एक कुशल कुम्हार की तरह उसे आकार देता है। शिक्षक ही वह सेतु है, जिसके सहारे विद्यार्थी डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, सैनिक, पायलट आदि बनकर देश और समाज की सेवा करते हैं। वह सिखाता है—धर्म-अधर्म में अंतर, जीवन में सहनशीलता, धैर्य और नैतिक मूल्यों की अहमियत।
शिक्षक वह आईना है जिसमें झाँक कर विद्यार्थी अपने भविष्य को स्पष्ट देख सकता है।
सड़क: विकास की रफ्तार

सड़कें किसी भी देश की प्रगति की जीवनरेखा होती हैं। वे केवल एक स्थान से दूसरे स्थान को जोड़ने का माध्यम नहीं, बल्कि आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक समृद्धि की गारंटी भी होती हैं। कृषि, व्यापार, उद्योग और सेवा क्षेत्र — सबका आधार मजबूत यातायात व्यवस्था है।
भारत में सड़क परिवहन विश्व के सबसे बड़े जालों में से एक है। यह गांवों को शहरों से जोड़ता है, जनजातीय और पिछड़े क्षेत्रों को मुख्यधारा में लाता है और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी मंज़िल तक पहुंचाने का माध्यम बनता है। सड़कें—चाहे राष्ट्रीय राजमार्ग हों, प्रांतीय मार्ग हों या ग्रामीण रास्ते—सभी किसी न किसी रूप में विकास को गति देते हैं।
शिक्षक और सड़क: समानता और महत्व
शिक्षक और सड़क, दोनों ही दिखने में स्थिर प्रतीत होते हैं, परंतु उनकी भूमिका अत्यंत गतिशील होती है। दोनों दूसरों को आगे बढ़ाने में लगे रहते हैं। शिक्षक ज्ञान का सेतु है तो सड़क प्रगति का। शिक्षक बौद्धिक मार्गदर्शक है, वहीं सड़क आर्थिक, सामाजिक और भौगोलिक विकास का मार्ग प्रशस्त करती है।
निष्कर्ष
समाज और राष्ट्र के समग्र विकास के लिए शिक्षक और सड़क दोनों की अहम भूमिका है। ये दोनों ही वह सेतु हैं, जो दूसरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने में मदद करते हैं। आज के डिजिटल और गतिशील भारत में इनकी भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो गई है। अतः हमें चाहिए कि हम न केवल इनकी महत्ता को समझें, बल्कि इनके विकास और सम्मान को भी प्राथमिकता दें।
-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र