न्यायालयों में फास्ट ट्रैक ट्रायल के होंगे प्रयास, पीड़ितों के पक्ष की जोरदार की जाएगी पैरवी
जांच में मदद के लिए बनेगी इन्वेस्टिगेटिंग स्प्पोर्ट यूनिट (आई एस यू)
यूनिट में शामिल किए जाएंगे सेवानिवृत्त डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी, डिप्टी डीए, एडीए, फोरेंसिक एक्सपर्ट, पुलिस अधिकारी
शुरू में सभी मंडल स्तरों पर होगा आईएसयू का गठन, एफआईआर से लेकर चालान पेश करने तक करेगी मदद

गुरुग्राम, 21 दिसंबर। चिन्हित अपराधों के मामलों में अब दोषियों को जल्द सजा होगी क्योंकि हरियाणा सरकार के गृह विभाग ने ऐसे जघन्य अपराधों के दोषियों को सजा दिलवाने के लिए कमर कस ली है। इसके लिए इन्वेस्टिगेटिंग सपोर्ट यूनिट (आई एस यू) का गठन किया जाएगा जो एफआईआर से लेकर कोर्ट में चालान पेश किए जाने तक पीड़ित पक्ष का मार्गदर्शन करेगी और इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर यानी जांच अधिकारी की मदद करेगी ताकि केस में किसी भी स्तर पर किसी प्रकार की कमी ना रहे। शुरू में ये आई एस यू मण्डल स्तर पर गठित होंगी।

इस निर्णय की जानकारी हरियाणा गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री टीवीएसएन प्रसाद ने चिन्हित अपराधों को लेकर आयोजित वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक में दी। इस बैठक में चंडीगढ़ मुख्यालय पर हरियाणा पुलिस महानिदेशक श्री पीके अग्रवाल के अलावा अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक मोहम्मद अकिल, आलोक मित्तल व ओपी सिंह, डायरेक्टर प्रॉसिक्यूशन मुख्य रूप से उपस्थित रहे। इस दौरान गुरुग्राम में मंडल आयुक्त रमेश चंद्र बिढान, उपायुक्त निशांत कुमार यादव, उप जिला न्याय वादी शमशेर सिंह, जेल अधीक्षक हरेंद्र सिंह मंडल आयुक्त कार्यालय में उपस्थित रहे जबकि पुलिस आयुक्त श्रीमती कला रामचंद्रन ने अपने कार्यालय से इस बैठक में हिस्सा लिया। इस उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश के सभी 22 जिलों के आला अधिकारी जिनमें मंडलायुक्त, रेंज पर नियुक्त पुलिस महा निरीक्षक, उपायुक्त, जिला न्यायवादी, जेल अधीक्षक, रेलवे पुलिस अधीक्षक आदि ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से हिस्सा लिया।

बैठक में अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह विभाग श्री टीवीएसएन प्रसाद ने स्पष्ट कर दिया कि अब चिन्हित अपराधों के मामलों में किसी भी स्तर पर ढिलाई नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में न्यायालयों में भी फास्ट ट्रेक ट्रायल करवाने के प्रयास किए जाएंगे और सजा सुनाए जाने के बाद उस फैसले को मीडिया के साथ भी सांझा किया जाएगा ताकि समाज में एक वातावरण बने कि अब अपराध करने वालों को दंडित किया जा रहा है और लोगों का कानून में विश्वास कायम रहे।

श्री प्रसाद ने कहा कि पीडितों के पक्ष की पैरवी के लिए लॉ ऑफिसरों की कमी ना रहे, इसके लिए आई एस यू का गठन किया जाएगा जिसमें सेवानिवृत जिला न्यायवादी, उप जिला न्यायवादी, सहायक जिला न्यायवादी, फोरेंसिक एक्सपर्ट, पुलिस के ऐसे सेवानिवृत अधिकारी जो जांच करने के कौशल में निपुण हैं, को शामिल किया जाएगा। उन्होंने कहा कि डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी कोई भी केस किसी भी डिप्टी डीए या ए डी ए को कोर्ट में पैरवी के लिए मार्क कर सकता है । विभिन्न विभागों में नियुक्त ए डीए भी अब केसों की पैरवी के लिए जाएंगे, उन्हें भी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी केस मार्क करेगा। इस प्रकार, लॉ ऑफिसरों की कमी पूरी की जाएगी और न्यायलयों में पीडितों का पक्ष बेहतर ढंग से रखे जाने, केस के तथ्य व सबूत जुटाने, तारीख जल्दी लेने आदि पर ध्यान दिया जाएगा। श्री प्रसाद ने उन सभी जिलों के अधिकारियों से जवाब तलब भी किया जिन जिलों की एक्विटल रेट यानी आरोपी के दोष मुक्ति की दर कम थी।

उन्होंने कहा कि कोशिश करें कि दोषियों को सजा हो, इसके लिए जो भी मदद मुख्यालय से चाहिए होगी, वह मुहैया करवाई जायेगी, परंतु कोई दोषी छूटना नहीं चाहिए। जिन जिलों में कनविक्शन रेट अर्थात आरोपियों को सजा होने की दर कम थी, श्री प्रसाद ने उसकी वजह या कारण पूछे। उन्होंने कहा कि भविष्य में अगर आरोपी को दोषमुक्त करार दिया जाता है तो संबंधित जिला उसकी वजह बताएगा ताकि दूसरे केसों की पैरवी में उस कमी को दूर किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि जिला उपायुक्त तथा डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी व पुलिस कप्तान नियमित रूप से जिला एवम् सत्र न्यायधीश के साथ समन्वय बैठक करें और उनसे मिलकर चिन्हित अपराध से संबंधित मामलों में कोर्ट में जल्दी तारीखे लगवाकर उनका जल्द निपटारा करवाएं। कोर्ट का फैसला आने के बाद उपायुक्त, पुलिस कप्तान या पुलिस आयुक्त तथा डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस करें, उस फैसले के बारे में बताएं ताकि मीडिया में वह प्रसारित हो और अपराधियों में भय का वातावरण बने। उन्होंने कहा कि सरकारी अधिकारियों , कर्मचारियों तथा जेल में बंद बंदियों की गवाही, क्रॉस एग्जेक्मिनेशन वीडियो कांफ्रेंसिंग से करवाएं, इससे कोर्ट और अधिकारियों का समय बचेगा। श्री प्रसाद ने कहा कि ज्यादा दोषमुक्ति हुई तो डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी को जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य में अंडर ट्रायल वाले मामलों की भी समीक्षा की जाएगी, इसलिए कोशिश करें कि जघन्य अपराधों के मामलों में ढिलाई ना हो और अंडर ट्रायल केसों की संख्या कम हो।

उन्होंने एक एक करके सभी जिलों में चिन्हित अपराधों में कितने आरोपियों की सजा हुई, दोषमुक्ति की वजह क्या रही आदि की रिपोर्ट लेते हुए सुधार के लिए सभी से सुझाव भी प्राप्त किए।

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