फसल एमएसपी में 2 से 9 प्रतिशत वृद्धि की जाती है, लेकिन किसानों द्वारो प्रयोग होने वाले खाद, बीज, ट्रैक्टर, कृषि यंत्र व रासायनिक दवाईयों, डीजल के भाव आसमान छू रहे है, साथ में उन पर 5 से 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगा रखी है। विद्रोही
19 अक्टूबर 2022 – स्वयंसेवी संस्था ग्रामीण भारत के अध्यक्ष एवं हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता वेदप्रकाश विद्रोही ने मोदी सरकार द्वारा 6 रबी फसजों गेंहू, जो, चना, मसूर, सरसों व सूरजुख के लिए वर्ष 2022-23 के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 2 से 9 प्रतिशत तक मामूली बढोतरी को किसानों के साथ क्रूर मजाक बताया। विद्रोही ने आरेाप लगाया कि मोदी सरकार किसानों को फसलों के लागत मूल्य से डेढ़ गुणा ज्यादा एमएसपी देने का झूठ बोलकर किसान आय दोगुना करने का राग अलापकर किसानों को ठगती है, लेकिन वह न तो किसान को फसल लागत के अुनसार न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है और न ही फसलों का घोषित न्यूनतम समर्थन मूलय मंडियों में किसानों को दिलाने का प्रयास करती है। मोदी सरकार किसानों की फसलों का नाम मात्र का एमएसपी बढाती है और घोषित एमएसपी पर फसले भी नही खरीदती जिसके चलते किसानों पर कृषि कर्ज बोझ विगत 8 सालों में लगातार बढा जा रहा है। वहीं किसान आय क्या तो घटी है या जस ती तस है।
विद्रोही ने कहा कि रबी फसल 2022-23 सीजन के लिए मोदी सरकार ने गेंहू के भाव में 2015 रूपये प्रति क्विंटल में 100 रूपये बढाकर 2125 रूपये एमएसपी किया है जो केवल 5 प्रतिशत की बढोतरी है। वहीं जौ भाव 1636 रूपये प्रति क्विंटल में 100 रूपये अर्थात 6 प्रतिशत बढाकर 1736 रूपये, चना भाव को 5230 रूपये प्रति क्विंटल में 105 रूपये अर्थात 2 प्रतिशत बढाकर 5335 रूपये किया है। सरसों के भाव 5050 रूपये प्रति क्विंटल में 400 रूपये अर्थात 7.5 प्रतिशत बढाकर 5450 रूपये, सूरजमुखी के भाव 5441 रूपये प्रति क्विंटल में 209 रूपये अर्थात 5 प्रतिशत बढाकर 5650 रूपये किया है। मसूर के भाव 5500 रूपये प्रति क्विंटल में 500 रूपये अर्थात 9 प्रतिशत बढाकर 6000 रूपये एमएसपी घोषित किया है। इसी तरह रबी फसल की उक्त 6 फसलों का एमएसपी 2 से 9 प्रतिशत तक की मामूली बढोतरी करके घाटे की खेती में पिसते व कर्ज बोझ से दबे किसान के आर्थिक जख्मों पर नकम छिडका है।
विद्रोही ने कहा कि फसल एमएसपी में 2 से 9 प्रतिशत वृद्धि की जाती है, लेकिन किसानों द्वारो प्रयोग होने वाले खाद, बीज, ट्रैक्टर, कृषि यंत्र व रासायनिक दवाईयों, डीजल के भाव आसमान छू रहे है, साथ में उन पर 5 से 18 प्रतिशत जीएसटी भी लगा रखी है। वहीं किसान उत्पादन से बने खाद्य पदार्थो को जब एक किसान व खेतिहर मजदूर उपभोक्ता के रूप में अपना पेट भरने के लिए पैकेट बंद खाद्य वस्तुए रसोई के लिए खरीदते है तो उसे 5 से 18 प्रतिशत जीएसटी देनी पड़ती है। अब तो हालत यह हो गई है कि आटा, घी, नमक, खाद्य तेले, दूध, दही जैसी रोजमर्रा की वस्तुओं पर जीएसटी लगती ही है, साथ में होटल में रोटी खाने पर 5 प्रतिशत व फरोजन पराठे खाने पर 18 प्रतिशत जीएसटी टैक्स देना पड़ता है। विद्रोही ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार का यह किसान, मजदूर, कमेरा व आम उपभोक्ता विरोधी रवैया मुंह बोलता प्रमाण है कि वह किसानों की फसलों का एमएसपी भी नाममात्र बढ़ाकर लूट रही है और उपभोक्ताओं को भी रसोई व खाद्य पदार्थो पर भारी जीएसटी लगाकर लूट रही है।