ग्रामीणों ने मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप के लगाए आरोप

चरखी दादरी जयवीर फौगाट,

17 अक्टूबर, बीते करीब छह माह से विवादों में चल रहे रानीला श्मशान घाट के रास्ते के मामले को लेकर सोमवार को ग्रामीण चरखी दादरी एसडीएम व डीएसपी हेडक्वार्टर से मिले। ग्रामीणों ने अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत करवाते हुए समस्या का समाधान करवाने की मांग की है। ग्रामीणों ने मामले में राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते समाधान नहीं होने के आरोप लगाए हैं।

समस्या को लेकर चरखी दादरी लघु सचिवालय पहुंचे ग्रामीण धनपत, ओमप्रकाश, इंद्र सिंह, विनोद, सतबीर, विरेंद्र, कुलदीप आदि एसडीएम व डीएसपी को बताया कि अनुसूचित वर्ग के लोगों ने बीते छह जून को जिला उपायुक्त व एसडीएम को ज्ञापन देकर अनुसूचित वर्ग के शमशान घाट पर राजपुत समाज द्वारा बनाई गई दीवार को हटवाने की मांग की गई थी। जिस पर काफी समय बाद 15 जुलाई को एसडीएम व डीएसपी ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों का समझौता करवाया था। ज्ञापन देने पहुंचे लोगों का कहना है कि उस समय हुए समझौते के तहत किसी भी वर्ग के द्वारा मंदिर गेट के आगे से अर्थी को नहीं ले जाने पर सहमति बनी थी लेकिन अब दूसरा पक्ष उस समझाैते से मुकर रहा है।

केवल अनुसूचित वर्ग के लोगों का श्मशान घाट जाने का रास्ता दीवार बनाकर रोका गया है। वहीं अनुसूचित वर्ग के लोगों ने धरना कमेटी पर भी आरोप लगाए हैं कि कमेटी के द्वारा कहा गया है कि मंदिर के सामने से अनुसूचित वर्ग के लोगों की अर्थी जाने पर मंदिर अछूत होता है और इसकी गरिमा को ठेस पहुंचती है। ग्रामीणों ने कहा कि इसके लिए वे दोबारा से 8 सितंबर को दादरी एसडीएम से मिले तो उन्होंने तुरंत प्रभाव से बीडीपीओ को रास्ते पर बनाई गई दीवार का मसला सुलझाने के निर्देश दिए गए थे। लेकिन मसले का हल नहीं करवाया गया। जिसके बाद एसडीएम ने 12 सितंबर को गांव रानीला पहुंचकर दूसरे पक्ष के लोगों से बात की तो उन्होंने पूर्व में हुए फैसले को मानने से इंकार कर दिया था।

ग्रामीणों ने अधिकारियों को पूरे मामले से अवगत करवाते हुए राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते समाधान नहीं होने के आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि राजनीतिक दवाब के चलते उनका रास्ता नहीं खोलने दिया जा रहा है और ना ही कोई कार्रवाई की जा रही है। ग्रामीणों ने मांग की है कि शमशान घाट के रास्ते बनी दीवार को हटाकर रास्ते को खुलवाया जाए या फिर मंदिर गेट के सामने से किसी भी जाति की अर्थी नहीं निकाले जाने के निर्णय को लागू कराया जाए।

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