पत्रकार हो रहे हैं पुलिस उत्पीड़न का शिकार
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने भी जिला पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
जब आरएसएस से जुड़े लोगों की शिकायत पर पुलिस कार्रवाई नहीं करती तो आम जनता कैसे करें अपेक्षा
जिले में चोरों का आंतक, अपराधियों के हौसले बुलंद

अशोक कुमार कौशिक 

नारनौल। जिला महेंद्रगढ़ पुलिस कार्यप्रणाली पर अभी तक आम जनता और मीडिया ही इस सवाल उठाती थी। अब इस कतार में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े एवं भारतीय जनता पार्टी के नेता भी सामने में आ गए हैं। आज पुलिस प्रेस ग्रुप पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सत्यदेव शास्त्री ने एक पोस्ट डाली है। इस पोस्ट में जिले के अलग अलग स्थानों पर आरएसएस से जुड़े व्यक्तियों की शिकायतों पर पुलिस द्वारा कार्यवाही न किए जाने का सीधा आरोप लगाया गया है। इससे पहले सोशल मीडिया पर क्षेत्र के लोग और जुझारू पत्रकार जिला पुलिस पर खुलेआम आरोप लगाते रहे हैं कि वह खान और क्रेशर मालिकों के साथ-साथ पूंजीपतियों के हाथों खेल रही है। जिला महेंद्रगढ़ में सहयोग, सेवा व सुरक्षा का नारा देने वाली हरियाणा पुलिस की कार्यप्रणाली अब संदेह के दायरे में आती जा रही है। पीड़ित गरीब व्यक्ति चाहे लाख जतन कर ले उसकी कोई सुनवाई नहीं होती वही पूंजीपति भले ही कितना बड़ा दोषी हो उसको पुलिस की शह मिलती है। सबसे बड़ी बात जो मीडिया कर्मी पुलिस की कारगुज़ारियों को उजागर कर रहे हैं उनको अब पीआरओ द्वारा भेजे जाने वाली पुलिस सुचनाओं मेल को बंद कर दिया जाता है।

बात की शुरुआत करते हैं, गत 31 जुलाई नारनोल के पत्रकार अपने एक साथी के साथ तीज उत्सव का आनंद लेने के लिए घर से बाहर निकले। वह अभी नारनौल से बाहर निकले थे कि उनकी गाड़ी को एएनई खान बाउंसरों द्वारा उन को चारों ओर से घेर लिया और उनके साथ हाथापाई करते हुये उसका फोन छीन लिया। इस पर पत्रकार मनोज गोस्वामी ने 112 डायल करके पुलिस को बुलाया। तत्पश्चात उसने इस संदर्भ में एक शिकायत थाना शहर नारनौल में दर्ज करवाई। जैसे ही इसकी खबर खान मालिकों को लगी तब उन्होंने अपने कारिन्दों के माध्यम से पत्रकार के खिलाफ भी एक शिकायत दर्ज करवा दी। गत 9 सितंबर तक पुलिस इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं करती।  न तो उसने सीसीटीवी फुटेज निकालें और ना ही अन्य साक्ष्यों को जुटाया। यहां यह याद रहे कि इस घटना से पूर्व एक पत्रकार द्वारा इस खान के अवैध खनन को लेकर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया था। जिस कारण खान के मालिक और उसके खासम खास भड़के हुए थे।

अचानक 10 सितंबर को जब पत्रकार मनोज गोस्वामी अपने अन्य पत्रकार साथियों के साथ क्षेत्र की टापर तनिष्का यादव की कवरेज करके लौट रहा था तो नारनौल श्मशान भूमि के पास शहर थाना प्रभारी ने उसकी इस प्रकार की घेराबंदी की जैसे किसी आंतकवादी को पकड़ना हो। पुलिस ने पहले पत्रकार को गिरफ्तार किया फिर उसका मेडिकल करवाया। 

यहां पुलिस की एकतरफा कार्रवाई के बाद में जब मामला सोशल मीडिया पर उछाला तो पुलिस ने खान मालिक के दो कर्मचारियों के खिलाफ फोन छीनने की धारा हटाकर साधारण धाराओं में उसकी जमानत करा दी। वही पत्रकार को 3 दिन न्यायिक हिरासत में रहना पड़ा। पत्रकार मनोज गोस्वामी का खुला आरोप है कि जिला पुलिस कप्तान खान मालिकों के हाथो बिके हुए हैं। 

जिला पुलिस की पत्रकार उत्पीड़न की एक ओर ताजा घटना सामने आई। गत 6 अक्टूबर को गांव धोलेडा में ओवरलोडिंग वाहनों से त्रस्त लोगों ने प्रशासन का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए रोड जाम किया था। एक पत्रकार जो उसी गांव का निवासी है इस विरोध में शामिल था। यहां पर भी पुलिस की कार्रवाई खान, क्रेशर तथा ओवरलोड वाहनों के मालिकों की तरफ नजर आई। उन्होंने जनता की शिकायत का समुचित समाधान करने की वजाय उल्टे पत्रकार सहित ग्रामीणों पर मुकदमा दर्ज कर दिया। इस मामले में नांगल चौधरी थाना प्रभारी रामनाथ की भाषा काफी अभद्र और जनता को हड़काने वाली थी। जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है।

एक ओर मामला हाल ही में नारनौल महिला पुलिस थाने में दर्ज हुआ जिसमें एक पीड़ित युवती ने अपने ही गांव के निवर्तमान सरपंच और चार अन्य लोगों के ऊपर हथियार के दम पर दुष्कर्म और जबरन शादी करने के संगीन आरोप लगाते हुए 29 सितम्बर को महिला थाना नारनौल में मामला दर्ज करवाया। अटेली थाना अंतर्गत पड़ने वाले गांव की इस युवती ने निवर्तमान सरपंच को ही सारे मामले की जड़ बताया। लड़की का कहना है की निवर्तमान सरपंच उसको बार-बार धमकी देता था की वर्तमान भिवानी महेंद्रगढ़ के सांसद चौधरी धरमबीर सिंह और अटेली के विधायक सीताराम उसके खास आदमी है और उसके पास पैसों की कोई कमी नहीं है वह उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएगी।

मामला साधारण जनता और पत्रकारों तक सीमित रहता तो बात दीगर थी। अब एक नया मामला सामने आया है । जिसमें भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता सत्यव्रत शास्त्री ने पुलिस प्रेस व्हाट्सएप ग्रुप में एक पोस्ट डाल कर पुलिस पर आरएसएस से जुड़े लोगों की शिकायतों पर कार्रवाई न किए जाने के आरोप लगाया है। सोशल मीडिया पर डाली इस शिकायत पर लोग तंज कस रहे हैं कि जब पुलिस आरएसएस वालों की शिकायत का समाधान नहीं करती तो आम जनता का क्यों करेगी। 

हरियाणा में भाजपा जजपा गठबंधन की सरकार को इसका जवाब देना चाहिए कि एक जिले का वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और उसके मातहत  कैसे निरंकुश हो गये। वैसे जिले में अधिकारियों का निरंकुश होने का यह पहला मामला नहीं है।  इससे पूर्व हरियाणा के कृषि मंत्री जेपी दलाल जो जिला महेंद्रगढ़ जनपरिवेदना समिति के अध्यक्ष भी थे के समक्ष जिला भाजपा अध्यक्ष राकेश शर्मा व अन्य सदस्यों ने तत्कालीन तहसीलदार की निरंकुशता को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे। बाद में सरकार ने उस तहसीलदार को निलंबित कर दिया। पूर्व में भी हरियाणा सरकार में मंत्री ओम प्रकाश यादव ने तत्कालीन महिला पुलिस अधीक्षक को लेकर संगीन आरोप लगाए थे उस समय भी उनकी बात को वायरल करने वाले पत्रकार गुलशन यादव के खिलाफ ही मामला दर्ज किया गया था।

सत्यव्रत शास्त्री ने अपनी पोस्ट में लिखा है आरएसएस के सह जिला संघचालक कैप्टन हंसराज यादव के घर पर पिछले 6 महीने में तीन बार मारपीट की घटनाएं हुई, पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। निजामपुर थाने के पांचनौता गांव के निवासी और खंड कार्यवाह के घर में घुसकर मारपीट गई। जिसमें चार पांच लोगों को चोटें आई। इस मामले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसी थाने के एक और मामला का उदाहरण देते हुए उन्होंने लिखा कि नया गांव के निवासी व संघ के कार्यकर्ता की बहन के अपहरण की शिकायत पर 3 महीने बीत जाने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई। निजामपुर खंड के ही संघ के संचालक बुधराम के घर चोरी हुई थी जिसकी उन्होंने 112 पर शिकायत की इस मामले पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।

श्री शास्त्री ने अटेली थाने के एक मामले का भी उदाहरण देते हुए अपनी पोस्ट में लिखा है कि रामवीर के घर के पास एक उजड़ कुंआ था जिसमें सरकारी बोर से पानी डाल दिया गया। फलस्वरूप वह कुंआ बुरी तरह बैठ गया। इससे रामवीर के मकान को भी खतरा उत्पन्न हो गया है । एक अक्टूबर को शिकायत की गई थी पर आज तक कार्रवाई नहीं हुई। 

अब यहां सवाल यह उठता है कि कोई दूसरी पार्टी सत्ता में होती तो भाजपा पुलिस द्वारा कार्रवाई न किए जाने और निरंकुशता को लेकर धरती आसमान एक कर देती, पर आज उनके विधायक, मंत्री, सांसद और संगठन के पदाधिकारी चुप है। आखिर ऐसी परिस्थिति क्यों बनी हुई है कि पुलिस के आगे सरकार और संगठन बौना पड़ गया। अब जब बात आरएसएस के सदस्यों की है,तो मामले को गंभीरता से लेना लाजमी नहीं समझा गया, क्यों?

वैसे तो आम आदमी की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी मौजूदा सरकार की होती है। आपके विधायक और संगठन के पदाधिकारी क्या कर रहे हैं ? क्यों पुलिस कार्रवाई नहीं करती । यह कैसी सरकार है जिसमें आरएसएस के सदस्य ही अपने आप को सुरक्षित नहीं मान रहे। क्या लक्ष्मी के आगे कर्तव्य गौण हो गया या भाजपा सरकार की पहले जैसी ठसक ब्यूरोक्रेसी के आगे नहीं रही। 

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