कहा- मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले शहीद का सदा ऋणी रहेगा देश
सतपाल सिंह जैसे वीरों की वजह से ही हमारा देश व उसकी आजादी सुरक्षित- दीपेंद्र हुड्डा
जलभराव की समस्या से जूझ रहे किसान, हाथ पर हाथ रखे बैठी सरकार- दीपेंद्र हुड्डा
अबतक नहीं मिला किसानों को मुआवजा, 20.43 लाख एकड़ फसल का डेटा मिसमैच- दीपेंद्र हुड्डा
किसानों को धान व बाजर की एमएसपी व खराबे का जल्द मुआवजा दे सरकार- दीपेंद्र हुड्डा

30 सितंबर, रोहतकः राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा आज बोहर निवासी जवान सतपाल सिंह जी को श्रद्धांजलि देने उनके घर पहुंचे। उन्होंने शहीद को श्रद्धा सुमन अर्पित कर नमन किया। साथ ही परिवार के प्रति गहरी संवेदनाएं व्यक्त करते हुए ईश्वर से परिवार को यह कष्ट सहन करने का संबल प्रदान करने की प्रार्थना की। इस मौके पर राज्यसभा सांसद ने कहा कि सतपाल सिंह जैसे वीरों की वजह से ही हमारा देश और उसकी आजादी सुरक्षित है। उन्होंने अपनी मातृभूमि के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है। यह देश हमेशा उनकी शहादत और उनके परिवार का ऋणी रहेगा। दुख की इस घड़ी में पूरा देश शहीद के परिवार के साथ खड़ा है।

इसके बाद पत्रकारों से बात करते हुए दीपेंद्र हुड्डा ने मौसम की मार झेल रहे किसानों का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि किसानों पर मौसम और सरकारी नीतियों की दोहरी मार पड़ रही है। बारिश बंद होने के हफ्तेभर बाद भी सरकार ने खेतों से जल निकासी के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए। किसानों की लाखों एकड़ फसल जलमग्न हो गई लेकिन सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है। सरकार द्वारा जल्द मुआवजा देने का वादा एकबार फिर गलत साबित हुआ। अबतक सरकार फसल खराबे की सही तरीके से गिरदावरी तक नहीं करवा पाई। सरकार की गिरदावरी में 20.43 लाख एकड़ का डेटा मिसमैच पाया गया है।

ऐसे में ना सिर्फ किसानों को मुआवजा मिलने में देरी हो रही है। बल्कि धान बेचने में भी दिक्कत पेश आ सकती है। क्योंकि डेटा मिसमैच का बहाना बनाकर सरकार किसानों को मंडी में गेटपास देने से इंकार कर सकती है।

सांसद दीपेंद्र ने कहा कि सरकारी कुनीतियों और खरीद में देरी के चलते प्रदेश के किसान पहले ही भारी नुकसान झेल चुके हैं। इसलिए उन्हें अब और परेशान करने की बजाए सरकार सुचारू खरीद शुरू करे। सरकारी खरीद नहीं होने की वजह से किसान 2060 रुपये एमएसपी वाली धान को 1700 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल में बेचने को मजबूर है। यहीं हाल बाजरा के किसानों का भी है। हर फसल पर किसान को 300 से 500 रुपये प्रति क्विंटल घाटा उठाना पड़ रहा है। ऐसे में सरकार किसानों को हुए घाटे की भरपाई करे और बारिश की वजह से खराब हुई फसलों का जल्द मुआवजा भी दे।

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