भाजपा-जजपा सरकार ने भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बना दिया है और जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। रजिस्ट्री घोटाले की फाइल को बंद करने का फैसला सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पर्दाफाश करता है। कुमारी शैलजा
भारत सारथी/ कौशिक
नारनौल। रजिस्ट्री घोटाले में आरोपी 800 से अधिक राजस्व विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की सरकार की तरफ से माफी की तैयारी के बीच अब विपक्ष ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। विपक्षी दलों ने एक सुर में कहा कि रजिस्ट्री घोटाले को दबाकर गठबंधन सरकार बड़े अधिकारियों और नेताओं को बचाने की कोशिश कर रही है। वहीं, इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो वह हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी शैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा सरकार में पहले घोटाले को अंजाम दिया जाता है और फिर घोटालों को दबाने का काम किया जाता है। भाजपा-जजपा सरकार ने भ्रष्टाचार का रिकॉर्ड बना दिया है और जांच के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। रजिस्ट्री घोटाले की फाइल को बंद करने का फैसला सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति का पर्दाफाश करता है।
शैलजा ने कहा कि इस सरकार में सरकारी नौकरी की भर्तियों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ों और घोटालों को अंजाम दिया गया। सरकारी नौकरियों की भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार में भाजपा नेताओं की संलिप्तता सामने आई। मगर सरकार ने भर्तियों में हुए भ्रष्टाचार को दबाने का काम किया। साथ ही प्रदेश में अवैध खनन कर घोटाले को भी अंजाम दिया जा रहा है।
सरकार इस घोटाले पर भी पर्दा डालने का कार्य कर रही है। इसके अलावा, शराब घोटाला और चावल घोटाले को भी दबा दिया गया। लॉकडाउन के दौरान नियम 7-ए का उल्लंघन कर 64577 रजिस्ट्रियां की गईं। ऐसे 800 अधिकारियों और कर्मचारियों को नोटिस भी दिए गए लेकिन अब उनको बचाने की कोशिश की जा रही है। शैलजा ने मांग की है कि रजिस्ट्री घोटाला की जांच अगर प्रदेश सरकार पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के सिटिंग जज से कराई जाए।
उधर, इनेलो विधायक अभय सिंह चौटाला ने कहा कि अगर सरकार ने ऐसा किया तो वह इसके खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे। गठबंधन सरकार ने भ्रष्टाचार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। पहले घोटाला करो और बाद में उसको माफ करके दबा दो। यह कार्यप्रणाली सरकार की दोहरी नीतियों का खुलासा करती है। चौटाला ने कहा कि नियमों के खिलाफ जाकर 65 हजार रजिस्ट्री की गई और 800 इसके जिम्मेदारी अधिकारी थे। उन पर कार्रवाई के बजाय उनको छोड़ना बिल्कुल गलत है।
सत्ताधारी नेताओं ने साधी चुप्पी
रजिस्ट्री घोटाले को लेकर एक तरफ विपक्षी नेता इस मामले को लेकर लगातार सरकार को घेर रहे हैं, वहीं बचाव के लिए सत्ताधारी नेताओं ने इस मामले में चुप्पी साध ली। भाजपा और जजपा नेताओं इस मामले में बोलने से बच रहे हैं। उधर, सोशल मीडिया पर भी इस मामले को लेकर सरकार की मंशा पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार की जांच में जब 65 हजार रजिस्ट्रियां गलत तरीके से की गई हैं पाई हैं तो ऐसे अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जा सकती।
तो क्या 2010 के बाद ही रजिस्ट्रियों की नहीं होगी जांच
हरियाणा सरकार ने शिकायत के बाद अप्रैल 2017 से 13 अगस्त 2021 तक के बीच के समय की रजिस्ट्रियों की जांच कराई थी। इनमें 65 हजार रजिस्ट्रियां 7ए नियमों के खिलाफ पाई गई थी। विधानसभा में जब यह मामला खूब गूंजा। नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने सरकार को इस मामले में घेरा था। इसके बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा था कि कांग्रेस के समय की 2010 से 17 तक समय की भी रजिस्ट्रियों की जांच कराई जाएगी। क्योंकि अब सरकार 800 अधिकारियों को चेतावनी देकर छोड़ने के मूड हैं, ऐसे में आशंका है कि कहीं ये जांच भी धीमी न पड़ जाए। हालांकि, अधिकारी भी इस मामले में बोलने से बच रहे हैं।