हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, बीते रोज खारिज
मंगलवार शाम पांच बजे तक कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं

भारत सारथी/ कौशिक 

नारनौल। भ्रष्टाचार के आरोपी तहसीलदार रोहताश सिंह की गिरफ्तारी के लिए अब विजिलेंस की टीमें छापामारी कर रही हैं। तहसीलदार पर ड्यूटी ऑफ के बाद शाम को 71 लाख 50 हजार 500 रुपये का घोटाला करने तथा सरकार को 22 लाख 51 हजार रुपये का चूना लगाने का आरोप है।

मामले में तहसीलदार समेत तीन आरोपियों के खिलाफ नारनौल विजिलेंस ने 19 जुलाई 2022 को भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत केस दर्ज किया था, जिसके बाद तहसीलदार ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए याचिका दायर की थी, जो बीते रोज खारिज हो गई। इसके बाद अब पुलिस ने तहसीलदार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

विदित हो कि आरोपी तहसीलदार रोहताश सिंह मार्च 2017 से अक्तूबर 2017 तक तहसीलदार नारनौल के रूप में कार्यरत रहे। तत्कालीन उपायुक्त ने 25 जुलाई 2017 को उन्हें महेंद्रगढ़ का अतिरिक्त कार्यभार दिया था। आरोप है कि 21 अगस्त 2017 को तहसीलदार, प्रापर्टी डीलर रामकिशन और नंबरदार प्रमोद कुमार ने शाम छह बजे काम खत्म होने के बाद अनाधिकृत रूप सेल डीड को पंजीकृत किया और बदले में 300 रुपये प्रति गज के हिसाब से रिश्वत ली। इन सभी डीड पर महेंद्रगढ़ निवासी प्रमोद कुमार नंबरदार के हस्ताक्षर हैं। सभी वसीकाओं की कुल जमीन 19 कनाल 8 मरला (23835 गज) बनती है। ऐसे में एक ही दिन में 71 लाख 50 हजार 500 रुपये का घोटाला किया गया। यही नहीं ज्यादातर वसीकाएं कंप्यूटर में दर्ज करते समय उनका अंतर 2-3 और पांच मिनट का अंतर दर्शाया हुआ है जबकि इतने समय में वसीकाओं को कंप्यूटर में दर्ज नहीं किया जा सकता।

मामला उजागर होने के बाद विजिलेंस की ओर से 19 जुलाई 2022 को केस दर्ज किया गया है। उसके बाद से आरोपी तहसीलदार फरार चल रहा है, उसकी तैनाती फिलहाल जींद जिले के अलेवा कस्बे में है, जबकि वह झज्जर का निवासी है। केस दर्ज होने के बाद तहसीलदार की ओर से हाईकोर्ट में जमानत के लिए अग्रिम याचिका दायर की गई थी, लेकिन वह खारिज कर दी गई है। दूसरी ओर जमानत याचिका सोमवार को खारिज होने के बाद आरोपी तहसीलदार पर गिरफ्तारी का शिकंजा कसता जा रहा है। विजिलेंस की टीम तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी में जुटी हुई है। मंगलवार शाम पांच बजे तक कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं हो पाया था।

स्टांप ड्यूटी तथा रजिस्ट्रेशन फीस की चोरी

जांच में देवेंद्र सिंह स्टांप ऑडिटर की रिपोर्ट नं. 287-90/एस.ए./2017, 10 अक्तूबर 2017 के अनुसार वसीकाओं को रिलीज डीड के माध्यम से कलेक्टर रेट से कम कीमत पर पंजीकृत किया गया है, जिससे स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस कुल 22 लाख 51 हजार 743 रुपये राजस्व की हानि हुई है। इसमें स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस की चोरी की हुई है।

बिना लाइसेंस काटी कॉलोनी

रकबा माजरा खुर्द व सलीमाबाद में वसीकाएं रीलिज डीड के माध्यम से पंजीकृत की हुई हैं। रामकिशन उर्फ जीवन निवासी मेघनवास ने बिना लाइसेंस के अवैध कॉलोनी काटकर प्लाटों के रूप में वसीका का मालिकों से पहले ही पैसे का लेन देन करके इकरारनामा किया हुआ है। जांच में यह भी पता चला कि रामकिशन उर्फ जीवन के पास प्रापर्टी डीलर का लाइसेंस नहीं है।

एसडीएम ने किया था अवलोकन:

महेंद्रगढ़ के तत्कालीन एसडीएम विक्रम सिंह ने तहसीलदार रोहतास सिंह द्वारा की गई पंजीकृत वसीकाओं के संबंध में हलका गिरदावर व पटवारियों से रिपोर्ट ली गई थी जांच का अवलोकन करने से पाया गया कि तहसीलदार द्वारा पंजीकृत सभी वसीकाओं में राजस्व रिकॉर्ड अनुसार कृषि योग्य भूमि (चाही) दर्शाई हुई है जो कृषि भूमि के लिए जिला योजनाकार विभाग से एनओसी अनिवार्य है।

जांच में आरोप हुए तय:

जांच में रोहताश सिंह पर आरोप तय हो गए हैं। तहसीलदार ने जानबूझकर अपने पद का दुरुपयोग कर तथा रामकिशन उर्फ जीवन तथा प्रमोद नंबरदार से आपराधिक साजिश रचकर भ्रष्टाचार में संलिप्त पाया गया है। उपरोक्त तीनों के खिलाफ नारनौल विजिलेंस ने भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है।

वर्जन :
विजिलेंस टीम आरोपियों को गिरफ्तार करने के प्रयास में जुटी है। सूत्रों के अनुसार उनके ठिकानों पर छापा मारा जा रहा है। अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
-नवल किशोर, विजिलेंस

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