जीयू में शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय सेमिनार का आयोजन

वृक्षारोपण,रस्साकशी एवं लेमन रेस जैसी गतिविधियों में भाग लेकर कुलपति ने किया कार्यक्रम का शुभारंभ
शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा होता है : प्रो. दिनेश कुमार, कुलपति
गुरु के जरिए ही हमें सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है -संजय कुमार सिन्हा
गुरुग्राम यूनिवर्सिटी में धूमधाम से मनाया गया शिक्षक दिवस, शिक्षकों की भूमिका पर हुई चर्चा

गुरुग्राम 05 सितम्बर – गुरु – शिष्य परंपरा और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से गुरुग्राम विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग द्वारा ‘शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में पांच दिवसीय सेमिनार { 05 से 09 सितम्बर तक } का आयोजन किया जा रहा है। जिसके तहत आज पहले दिन छात्रों के लिए अनेक मनोरंजक गतिविधियों का भी आयोजन किया गया। पांच दिवसीय सेमिनार का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक एवं गुरुग्राम विवि के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने स्वयं छात्रों के साथ वृक्षारोपण करके एवं रस्साकशी और लेमन रेस जैसी गतिविधियों में भाग लेकर किया। इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रखर प्रज्ञा सर्विसेज के फाउंडर एंड चीफ एग्जीक्यूटिव संजय कुमार सिन्हा और संरक्षक, जीयू के कुलसचिव डॉ. राजीव कुमार सिंह भी उपस्थित रहे।

पांच दिवसीय सेमिनार के पहले दिन ‘मानवीय मूल्यों को विकसित करने में शिक्षकों की भूमिका’ विषय पर बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य वक्ता संजय कुमार सिन्हा ने कहा कि शिक्षक समाज के पथ प्रदर्शक होते हैं।गुरु के जरिए ही हम सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं इसलिए गुरुजनों के प्रति सदैव सम्मान प्रकट करना चाहिए और उनके बताए मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा वह माध्यम है जिसके जरिए एक शिक्षक,छात्रों के विचारों को आकार देकर राष्ट्र निर्माण में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।उन्होंने इस दौरान देश के प्रथम उपराष्ट्रपति, महान शिक्षाविद, भारत रत्न डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी द्वारा किए गए कार्यों का भी विस्तार से वर्णन किया।

इस अवसर पर गुरुग्राम विवि के कुलपति एवं कार्यक्रम के मुख्य संरक्षक प्रो. दिनेश कुमार जी ने सभी को शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छात्रों में मानवीय मूल्यों को विकसित करने में शिक्षकों की भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जीवन जीने की कला हमे शिक्षक ही सिखाते हैं और सही मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।भारत में प्राचीन काल से गुरु-शिष्य परंपरा चली आ रही है जो आज भी निरंतर जारी है। उन्होंने कहा शिक्षक के बिना छात्र का जीवन अधूरा होता है क्योंकि एक गुरु ही अपने शिष्यों की अज्ञानता को मिटाकर उनके जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।

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