गांव कारीमोद में बैठक के लिए पहुंचे किसान संगठनों के पदाधिकारी व किसान

चरखी दादरी/बाढड़ा जयवीर फौगाट

02 अगस्त – भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के पदाधिकारियों ने मंगलवार को बाढड़ा उपमंडल के गांव कारीमादे में बैठक का आयोजन किया। प्रदेश अध्यक्ष जगबीर घसौला एवं प्रदेश महासचिव रणबीर फौजी संगठन के मुख्य कार्यकारिणी के सदस्यों ने कारीमोद वृद्धाआश्रम में आयोजित बैठक में किसानों के साथ विशेष बैठक कर आंदोलन की आगामी रणनीति पर विशेष चर्चा की।

बैठक के दौरान कारीमोद के मौजीज बुजुर्गों ने कहा कि जिस जमीन पर सरकार अब कब्जा लेना चाहती है उस जमीन पर उनके आजादी से पूर्व समय में लगने वाला टैक्स अदा करते आ रहे हैं। संदीप जय किसान ने बतलाया कि पूरी जमीन का रिकॉर्ड लंबे समय से गांव के किसानों के नाम चलता आ रहा है और उक्त जमीन का इंतकाल भी हिस्सेदार किसानों के नाम दर्ज है इस जमीन के हिस्सेदार किसानों को जरूरत पड़ने पर एक दूसरे के नाम बिक्री करते हुए सरकारी फीस देकर रजिस्ट्रीया करवा कर ट्रांसफर भी करवाई गई हैं। अगर किसानों का मालिकाना हक नहीं होता तो सरकार के राजस्व विभाग के अधिकारियों द्वारा रजिस्ट्री पर फीस किस आधार पर जमा की गई। लेकिन आज ऊपर से लेकर नीचे तक पूरे सरकारी तंत्र एवं तंत्र के अधिकारी किसानों की जमीन छीनकर उनको बेदखल करने चाहती है जिले के तमाम राजस्व विभाग से संबंधित बड़े अधिकारी न्याय करने की बजाय सरकारी पिट्ठू बनकर सरकार के इशारे के अनुसार काम कर रहे हैं और सरकार की मर्जी के अनुसार फैसले सुना कर हमारी जमीनों को हड़पना चाहते हैं जो किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

हरियाणा किसान संगठनों के संयोजक जगबीर घसौला ने कहा कि चरखी दादरी जिला प्रशासन की तरफ से बाढड़ा तहसील के राजस्व अधिकारियों द्वारा किसानों को उनकी जमीनों से बेदखल करके कब्जा लेने के लिए कुछ रोज पूर्व नोटिस देते हुए निशानदेही की गई है जो पूर्ण रूप से किसानों के साथ नाइंसाफी की गई है और सरकार की बदनीयती को उजागर करती है गांव शामलात की जमीन हरियाणा प्रदेश में किसानों द्वारा अपने हिस्से की जमीन में से छोड़कर गोचर भूमि इत्यादि के लिए छोड़ी गई थी। आजादी से पूर्व देश के किसान काश्तकार के रूप में कार्य करते थे और अंग्रेज सरकार को कास्त की गई जमीन पर बदले में उसका लगान के रूप में टैक्स दिया जाता था किसानों को उनका हक दिलवाने के लिए दीनबंधु चौधरी छोटूराम ने लंबे समय संघर्ष किया जिसकी बदौलत देश के काश्तकार किसानों को मालिकाना हक दिलवाने का काम किया गया था उक्त जमीनों को अनेकों प्रकार के नाम दिए गए जिनमें शामलात देह, मलकियत, दोहली, मुस्तसा मालकान, सरप्लस, नजूल, गोचर पट्टे की भूमि इत्यादि की जमीनों का रिकॉर्ड किसानों के नाम दर्ज हुआ। लेकिन भाजपा सरकार प्रदेश के सभी जिलों में किसानों की जमीन खाली कराने के लिए बड़े अधिकारियों को कड़े आदेश दिए गए हैं। ताकि जमीन को हथियाकर उद्योगपतियों के हवाले किया जा सके। उन्होने कहा कि सरकार की इस नीति से पूरे प्रदेश के लाखों किसान भूमिहीन हो जाएंगे और उनकी रोजी-रोटी पर बड़ा संकट खड़ा होने वाला है। अगर गांव शामलात मुश्तरका, दोहलीदार इत्यादि जमीनों को सरकार खाली करवाती है तो हरियाणा प्रदेश का एक भी गांव अछूता नहीं बचेगा जहां पर किसानों की जमीन ना छिनी जाए क्योंकि जैसे-जैसे आबादी बढ़ी किसानों ने रिकॉर्ड अनुसार अपने हिस्से की जमीनों को बांट कर उस पर खेती करना शुरू कर दिया जिनका रिकॉर्ड पूर्व समय से उनके नाम दर्ज था आज सरकार बहाना बनाकर इस जमीन को हड़पना चाहती है जिसके विरोध स्वरूप 5 अगस्त को बाढड़ा उपमंडल के गांव कारी मोद में हरियाणा प्रदेश स्तरीय किसान महापंचायत का आयोजन किया गया है।

इस किसान महापंचायत में देश के कोने कोने से राष्ट्रीय किसान नेता एवं हरियाणा प्रदेश के सैकड़ों किसान नेताओं के साथ लाखों की संख्या में किसानों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है जो किसान महापंचायत राष्ट्रीय स्तर पर एक नया इतिहास रचेगी। इस दौरान रविंद्र कुमार, कटार सिंह पांडवान, नवीन प्रधान, संदीप कुमार जय किसान, सतवीर जांगड़ा, अजय श्योराण, ईश्वर सिंह, वीरेंद्र सिंह, सतीश कुमार, ओमवीर, रविंद्र, संजीव कुमार, कुलदीप, उमराव, नरेश सरपंच, चंद्र मेचू, कुलदीप गावडीया, सुजीत, विकास, नरेश कुमार, सतबीर इत्यादि मौजूद थे।

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