-न्यायालय परिसर से पंचायत भवन तक एसपी के विरूद्ध लगाए नारे
– सोमवार तक जिले के विधायकों ने नहीं ली सुध तो उनके विरूद्ध पास करेंगे निन्दा प्रस्ताव
उपायुक्त को लेकर आमजन में चहुओर प्रशंसा
पुलिस कप्तान के खिलाफ हूटिंग
एसपी पहली पारी के “हीरो” दूसरी पारी में “विलेन”

भारत सारथी/ कौशिक

नारनौल । भारतीय प्रशासनिक सेवा में अधिकारियों का चयन उनकी काबिलियत और व्यवहार को देखकर किया जाता है। उनसे यह अपेक्षा की जाती है कि वह जनता के सेवक बनकर उनकी समस्याओं का निराकरण करेंगे। परंतु आज प्रशासनिक सेवाओ के अधिकारी अपनी कार्य प्रणाली के कारण अक्सर विवादों में ज्यादा घिरे रहते हैं। जिले में दो आला अफसरों को लेकर प्रबुद्ध लोगों के बीच अलग-अलग राय है। उपायुक्त की कार्यप्रणाली पर जहां चारों ओर प्रशंसा के स्वर उठ रहे हैं, वही पुलिस अधीक्षक को लेकर समय-समय पर विरोध की आवाजें उठती रही है। उपायुक्त आमजन और मातहत कर्मचारियों के बीच हीरो बने हुए हैं, वही पुलिस अधीक्षक को लेकर कहानी एकदम विलेन जैसी है। पहली पारी के हीरो एसपी एकाएक अपनी दूसरी पारी में विलेन कैसे बन गए? मातहतो से लेकर आमजन में उनकी इमेज गड़बडाई हुई है।


अब यहां सवाल उठता है कि आखिर दोनों आला अफसरों को लेकर जिले में प्रशंसा और विरोध के स्वर क्यों अलग अलग सुनाई दे रहे हैं। जिला उपायुक्त श्याम लाल पुनिया ने अपने पद ग्रहण करने के पश्चात समय-समय पर जिले के सरकारी कार्यालयों में अचानक निरीक्षण करना शुरू किया। इसके साथ वह आमजन की समस्याओं को गंभीरता से सुन कर उनका निराकरण करने में भी गंभीर दिखाई दिए। उनके भाई भाजपा के बड़े नेता हैं पर उनमें अभी इसकी कोई छाप दिखाई नहीं देती। अपने अल्प कार्यकाल में उन्होंने आमजन को अपनी ओर आकृष्ट किया। समय-समय पर शहर व जिले की समस्याओं को लेकर वह मौके पर मुआयना करने पहुंच जाते हैं।

आज वकीलों ने जमकर की नारेबाजी मंत्री को दिया ज्ञापन
जिला बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं ने उपायुक्त श्याम लाल पुनिया के स्थानान्तरण के लिए जिला कष्ट निवारण समिति के अध्यक्ष एवं हरियाणा सरकार के मंत्री जयप्रकाश दलाल को ज्ञापन सौंपा। वकील भारी संख्या में एकत्रित होकर जिला बार एसोसिएशन के प्रधान यशवंत यादव की अगुवाई में एसपी एवं जिला बार एसोसिएशन के प्रधान यशवंत यादवके विरूद्ध नारे लगाते हुए जिला न्यायालय से पंचायत भवन तक पैदल गए।

इससे पूर्व अधिवक्ताओं की बार हाल में बैठक हुई, जिसमें मंत्री को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया। ज्ञापन सौंपने के बाद हुई बैठक में कहा गया कि गत सात दिनों से वकील, पुलिस अधीक्षक के विरूद्ध कार्रवाई की माँग कर रहे हैं, किन्तु जिले के किसी भी विधायक, सत्तारूढ़ पार्टियों के जिला अध्यक्ष ने जन प्रतिनिधि होने का फर्ज निभाते हुए वकीलों की सुध नहीं ली है। यह भी कहा गया कि जिले के दो विधायक एवं सांसद बार में वोट मांगने के लिए आते समय अपने आप को विधायक एवं सांसद से पहले अधिवक्ता बताते हैं। बार एसोसिएशन ने बैठक में निर्णय लिया कि सोमवार तक यदि जिले के विधायक एवं सत्तारूढ़ दल के जिला अध्यक्ष, वकीलों की सुध नहीं लेते हैं, तो एसोसिएशन उनके विरूद्ध निन्दा प्रस्ताव लाएगी।

अधिवक्ता के विरूद्ध गत 2 मार्च को दर्ज कारवाई पर बिफरे वकील

अधिवक्ताओं का आरोप है कि जिला बार एसोसिएशन नारनौल के अधिवक्ता रणधावा सिंह के विरूद्ध गत 2 मार्च को पुलिस अधीक्षक ने स्वयं थाना शहर नारनौल में बैठ कर धारा 186/332/506 आईपीसी के तहत झूठी एफआईआर 122 दर्ज करवाई तथा अधिवक्ता की पुलिस कर्मचारी की शिकायत पर पुलिस अधीक्षक ने कोई कार्रवाई नहीं की। अधिवक्ता पर दर्ज उक्त मुकदमें के विरोध में स्थानीय वकील गत 1 अप्रेल से पुलिस अधीक्षक के विरूद्ध मोर्चा खोले हुए हैं। 1 अप्रेेल को वकीलों ने महावीर चौक पर पुलिस अधीक्षक का पुतला फूंका था।

वकीलों ने की जमकर हूटिंग व नारेबाजी

आज हरियाणा सरकार के मंत्री जय प्रकाश दलाल जब जिला कष्ट निवारण समिति की बैठक लेने आए तो सैकडों की संख्या में अधिवक्ताओं ने मंत्री को ज्ञापन सौपा। इस दौरान अधिवक्ता पूरे रास्ते व पंचायत भवन में मंत्री के आने तक पुलिस अधीक्षक के विरूद्ध नारे लगाते रहे। जब पुलिस अधीक्षक अपनी गाड़ी से वहाँ पहुँचे तो वकीलों ने जमकर हूटिंग की।
मंत्री श्री दलाल जब पंचायत भवन पहूँचे तो वह सबसे पहले अधिवक्ताओं से मिले। वहाँ उन्हें प्रधान यशवंत यादव की अध्यक्षता में ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में कहा गया कि पुलिस अधीक्षक चन्द्र मोहन अपने दंभ व उत्श्रृंखलता के कारण सरकार के कार्यों व नीतियों को पलिता लगाने का कार्य कर रहे हैं। जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति भी ठीक नहीं है, क्योंकि पुलिस अधीक्षक स्वयं अपने मातहत कर्मचारियों के साथ षड़यन्त्र करके निर्दोषों पर झूठे मुकदमें दर्ज करवा रहे हैं, जिसका उदाहरण अधिवक्ता रणधावा सिंह के विरूद्ध दर्ज करवाया गया झूठा मुकदमा है। ज्ञापन में पुलिस अधीक्षक की खनन माफियाओं से सांठगांठ होने का आरोप भी लगाया है।

नारनौल में सरेआम निर्दयता से मर्डर करके वीडियो बना कर वायरल करने वाले अपराधी तीन महीने के बाद भी नही पकड़े गए

जिला बार एसोसिएशन के पूर्व प्रधान मनीष वशिष्ठ एडवोकेट ने मंत्री महोदय को जानकारी देते हुए कहा कि पुलिस अधीक्षक आम जनता से मिलते नहीं है। जिले में बिगडी कानून व्यवस्था के बारे में बताते हुए कहा कि नारनौल में सरेआम निर्दयता से मर्डर करके वीडियो बना कर वायरल करने वाले अपराधी तीन महीने से पकड़े नहीं गए हैं, लेकिन पुलिस अधीक्षक वकील के विरूद्ध झूठा मुकदमा बनावा कर चालान पेश करने में व्यस्त हैं।अधिवक्ताओं ने मंत्री महोदय से तत्काल उनका स्थानान्तरण करने का अनुरोध किया है। इस अवसर पर बार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष रामबीर सिंह यादव, सचिव सुरेन्द्र कुमार, सह सचिव सुमित चौधरी सहित सैकडों की संख्या में अधिवक्ता उपस्थित थे। बैठक को विजय पाल बड़ेसरा, अजय चौधरी, मंजीत यादव मांदी, कुलदीप भरगड़, संतोख यादव, कर्णसिंह भोजावास, सुधीर यादव सुरेन्द्र सैनी आदि अधिवक्ताओं ने संबोधित किया।

पुलिस ने उल्टा ही लगाया अधिवक्ता पर दुर्व्यवहार का आरोप वीडियो बताया पास

वकील के साथ पुलिस द्वारा नही की गई बदतमीजी, वकील ने ही को थी पुलिस के साथ बदतमीजी, पुलिस के पास है घटना का वीडियो।

वकील द्वारा पुलिस के साथ बदतमीजी करने के दर्ज किए मामले में पुलिस द्वारा निष्पक्षता से कार्रवाई की गई है। पुलिस द्वारा रोजमर्रा की तरह वाहनों की जांच की जा रही थी। जिस पर वकील को वाहन के कागजात बारे पूछा तो उसने कोई कागजात पेश नहीं किए और बाईक पर नंबर प्लेट भी नहीं थी। बाईक के कागजात दिखाने बारे कहने पर वकील ने पुलिस कर्मचारी के साथ बदतमीजी करनी शुरू कर दी। पुलिस द्वारा वकील के साथ कोई बदतमीजी, गाली–गलौच नहीं की गई, बल्कि वकील द्वारा पुलिस कर्मचारी के साथ बदतमीजी की गई थी और वकील होने की धौंस दिखाई गई थी। इस घटना का पुलिस के पास वीडियो भी मौजूद है।

पुलिस द्वारा जांच करते हुए पाया गया कि वकील द्वारा प्रयोग की जा रही बाईक 20 साल पुरानी है। पुलिस ने जांच में यह भी पता लगाया है कि बाईक का असल मालिक कोई ओर है। वीडियो में यह भी नजर आ रहा है कि मोटरसाइकिल पर नंबर प्लेट भी नही लगी हुई। पुलिस द्वारा बाईक के असल मालिक का पता लगाया गया। मोटरसाइकिल के असल मालिक से पूछने पर उसने बताया कि उसकी मोटरसाइकिल कई सालों से गायब है। कानून सभी के लिए एक समान है और इस मामले में पुलिस द्वारा कानून के तहत ही कारवाई की गई है।