हांसी । मनमोहन शर्मा

पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता डॉ प्रवीण हंस एडवोकेट ने शनिवार को एक विशेष मुलाकात में बताया कि भारतीय संविधान में केंद्र तथा राज्यों की शक्तियों का स्पष्ट रूप से विभाजन किया गया है जो कि संविधान की केंद्रीय सूची तथा राज्य सूची में वर्णित है। केंद्रीय सूची में दिए गए विषयों पर केवल केंद्रीय विधान पालिका अर्थात केवल भारतीय संसद को ही कानून पारित करने की शक्ति प्राप्त है । चूंकि मामला संविधान के अनुच्छेद 309 से संबंधित है, इसलिए केवल भारतीय संसद को ही केंद्रीय सेवा नियम विषय पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है तथा राज्य विधान पालिका को इस बारे में कोई शक्ति प्राप्त ना है। इसलिए पंजाब विधानसभा द्वारा केंद्रीय सेवा नियम से संबंधित पारित किया गया कानून अवैध है तथा अर्थहीन है ।

उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में दिए गए विषयों पर केंद्रीय विधान पालिका तथा राज्य विधान पालिका दोनों को कानून बनाने की शक्ति प्राप्त है किंतु अगर एक ही विषय पर भारतीय संसद एवं किसी राज्य की विधानसभा ने कानून बना दिया तो केवल भारतीय संसद द्वारा निर्मित कानून ही वैद्य होगा । ऐसी अवस्था में भी पंजाब राज्य विधानसभा को केंद्रीय सेवा नियम से संबंधित विषय पर कानून बनाने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है इसलिए पंजाब विधानसभा द्वारा पारित केंद्रीय सेवा नियम से संबंधित कानून का कानून की दृष्टि में कोई महत्व ना है ।

यह उल्लेखनीय है कि डॉ प्रवीण हंस, जो कि केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिवक्ता है तथा हांसीके वरिष्ठ वकील श्री तीरथ दास हंस के पुत्र हैं, ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 356 जो कि राष्ट्रपति शासन से संबंधित है, विषय पर पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़, से शोध किया है ।

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