भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। वर्तमान में हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कोरोना प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए आजादी के अमृत महोत्सव को फलीभूत करने के लिए स्वतंत्रता सेनानियों में सूर्य की मानिंद चमकते नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाने के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं को प्रेरित कर रहे हैं। उनका कहना है कि 23 जनवरी को 6 लाख भाजपा कार्यकर्ता नेताजी को नमन करेंगे।

मैं लगातार इन समाचारों को पढ़ रहा हूं और आपको पढ़ा भी रहा हूं लेकिन मन में बड़ा सवाल खड़ा होता है कि सुभाष चंद्र बोस का स्वतंत्रता में योगदान क्या ओमप्रकाश धनखड़ के व्याख्यानों का मोहताज है? मैं जीवन के 70वें वर्ष में चल रहा हूं और बचपन से ही सुभाष चंद्र बोस को पढ़ते रहे हैं, सुनते रहे हैं और याद करते रहे हैं। तुम मुझे खून दो-मैं तुम्हें आजादी दूंगा। और मैं ही नहीं मैंने इतने दिनों में अनेक लोगों से बात की तो सबका यही कहना था कि सुभाष चंद्र बोस तो देशप्रेमियों के दिल में बसे हुए हैं। उनका कहना है कि भाजपा वाले पता नहीं क्यों कांग्रेस नेताओं पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने सुभाष चंद्र बोस की अनदेखी की, जबकि वास्तविकता यह है कि आजादी के लिए जब स्वाधीनता संग्राम चल रहा था तो महात्मा गांधी ने यही कहा था कि बोस की विचारधारा मुझसे अलग हो सकती है लेकिन लक्ष्य एक ही है और मैं तो यही कामना करूंगा कि उन्हें सफलता प्राप्त हो।

हरियाणा क्या जन-जन हर वर्ष 23 जनवरी को नेताजी को याद करता है, जिनकी संख्या 6 लाख नहीं अपितु करोड़ों में होती है। मुझे याद पड़ता है कि मैंने स्कूल की पुस्तकों में भी नेताजी के बारे में पढ़ा है और याद आ रही है कि नेताजी पर बनी फिल्म जो हमें स्कूल की ओर से दिखाई गई थी और सरकार ने उस पर टैक्स माफ किया था। उस फिल्म की चंद पंक्तियां तो मेरे रोम-रोम में आज भी जिंदा हैं। वह हैं— 

ऐ मेरे अहले वतन-ऐ मेरे बिछड़े चमन, तुम पे जां कुर्बान।तू ही मेरी आरजू-तू ही मेरी आबरू, तू ही मेरी जान।।तेरे पहलू से जो निकले उन हवाओं को प्रणाम।।

मैं सवाल पूछना चाहूंगा माननीय प्रदेश अध्यक्ष धनखड़ जी से कि देश 1947 में आजाद हुआ था। तब से अब तक आपने कितनी बार इनकी जयंती पर इनको याद किया? या आपकी पार्टी ने इससे पहले कभी याद किया? यदि नहीं तो आज इनके प्रति इतना प्रेम उमडऩे का कारण क्या? और उस पर भी प्रश्न और खड़ा होता है कि मेरी जानकारी के अनुसार पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला कहा करते थे कि भाजपा के 35 से 37 लाख सदस्य हैं तो क्या 6 लाख भाजपाइयों से ही उनको याद कराकर उन बचे हुए 30 लाख अपने कार्यकर्ताओं को क्या यह संदेश दे रहे हैं कि वह उन्हें अब भी याद न करें, जैसे पहले नहीं करते रहे।

जब हम आजादी के स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं तो उन परिस्थितियों को भी देखते हैं और उन्हें भी याद करते हैं तथा अनुमान लगाते हैं कि ऐसा क्या हुआ था जो इन सिरफिरों को मजबूर होकर सिर पर कफन बांध स्वतंत्रता संग्राम में उतरना पड़ा। तो मन में मोटा-मोटा यही विचार आता है कि उस समय की सरकार अपने चंद आदमियों के लिए काम करती थी। गरीब गुर्गे के साथ कभी न्याय नहीं करती थी। न उनकी आवाज सुनी जाती थी और उनके साथ गुलामों जैसा व्यवहार किया जाता था। तो जनता के दुख-दर्द को अपने दिल में बसा उस दर्द से, उस गुलामी से मुक्ति दिलाने के लिए ये लोग सिर पर कफन बांध जान की बाजी लगाने उतरे। और यह भी सर्वविदित है कि जब हम किसी को सच्चे मन से श्रद्धापूर्वक याद करते हैं तो हम उसके जीवन से सबक लेने का प्रयास करते हैं। 

सुभाष चंद्र बोस ने उस साम्राज्य के विरूद्ध संघर्ष का ऐलान किया, जिसके बारे में कहा जाता था कि उसके राज्य में कभी सूर्य अस्त नहीं होता। अर्थात निडर होकर जनता के लिए असीमित शक्ति वाली सरकार से टकरा गए। तो क्या अब प्रदेश अध्यक्ष भी उनके जीवन से प्रेरणा ले हरियाणा में जो आंगनवाड़ी वर्कर, आशा वर्कर, रोडवेज कर्मचारी, अतिथि अध्यापक, डॉक्टर जिन्हे एस्मा से दबाया गया, इस प्रकार के मजलूमों की आवाज सुनेंगे? या उनका यह कृत्य भी एक व्यक्ति विशेष को प्रसन्न करने के लिए है?

यदि धनखड़ जी को स्वतंत्रता सेनानियों से वास्तव में प्रेम है तो 15 दिन उनके संगठन ने स्पेशल मुहिम भी चलाई थी हरियाणा के अनाम शहीदों को ढूंढने की लेकिन उन सबके बावजूद धनखड़ जी जो गुरुग्राम में निवास करते हैं, गुरुग्राम के शहीदों की जानकारी भी देने में शायद अक्षम हैं, क्योंकि मैंने उनसे रूबरू पूछा था तब भी जवाब नहीं दिया था और उसके बाद भी किसी विज्ञप्ति से उनका जवाब नहीं आया।

उपरोक्त बातों में शायद मैं अपने मनोभाव पूर्ण रूप से व्यक्त नहीं कर पाया लेकिन मोटे-मोटे एक बात तो कह सकता हूं कि सुभाष चंद्र बोस सूर्य की तरह चमकते सितारे को ढूंढने चले हैं ओमप्रकाश धनखड़ जी, जो जुगनूं की तरह चमकते हैं। 

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