चरखी दादरी जयवीर फोगाट

 29 अक्तूबर,संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चल रहे किसान आन्दोलन को बदनाम करने के लिए भाजपा सरकारों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ रखी है। अब जनता के सामने स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली बार्डरों पर रोड़ किसानों ने नहीं रोका, बल्कि किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए रोड़ दिल्ली पुलिस द्वारा रोके गए हैं, यह सब केन्द्र सरकार के इशारे पर हुआ है, क्योंकि दिल्ली पुलिस केन्द्रीय गृह मन्त्रालय के अर्न्तगत आती है, अब माननीय सर्वोच्च अदालत में मामला गया, तो दिल्ली पुलिस ने कंकरीट की दिवारें व कीलें टिकरी बार्डर पर हटाना शुरू कर दिया है। यह बात सर्वजातिय स्योराण खाप पच्चीस के प्रधान बिजेन्द्र बेरला ने कितलाना टोल पर धरने को सम्बोधित करते हुए कही है।

 उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकारें जनता की वास्तविक समस्याओं मंहगाई, बेरोजगारी व किसान आन्दोलन से ध्यान बंटाने के लिए हिन्दु मुस्लिम का कार्ड खेलती रही हैं और समाज को आपस में जातियों में बांटकर अपनी घिनौनी राजनीति का खेल कर रही हैं। जनता अब इनकी वास्तविकता समझ चुकी है। 

धरने को सम्बोधित करते हुए दलित अधिकार मंच के संयोजक सुखदेव पालवास ने कहा कि इस बार सरकार ने बाजरा नहीं खरीदा तो गरीब जनता को सार्वजनिक वितरण प्रणाली से एक रूपया किलो नहीं मिलेगा, जैसे सरसों का तेल मिलना बंद हो गया है, आने वाले समय में गेहूं, दाल व चावल मिलना बंद हो जाएगा। उन्होंने कहा कि मजदूर वर्ग सावधान हो जाए, इन कृषि विरोधी काले कानूनों की सबसे ज्यादा मार भूमिहीन गरीबों पर पड़ेगी, इसलिए वे किसान आन्दोलन को अपना स्वयं का आन्दोलन मानकर लड़ाई में कूद जांए। 

कितलाना टोल पर चल रहे धरने के 308 वें दिन की अध्यक्षता सांगवान खाप चालिस के सचिव नरसिंह सांगवान डीपीई, सर्वजातिय स्योराण खाप पच्चीस के प्रधान बिजेन्द्र बेरला, किसान सभा के रणधीर कुगड़, किसान नेता गंगाराम स्योराण, मास्टर राजसिंह जताई, युवा कल्याण संगठन के अनिल शेषमा,मजदूर नेता सुखदेव पालवास व महिला नेत्री निम्बो डोहकी ने संयुक्त रूप से की। मंच संचालन किसान सभा के कामरेड ओमप्रकाश ने किया।

इस अवसर पर सुरजभान कन्नी प्रधान, सुरेन्द्र कुब्जा नगर, देशराम भाण्डवा, नन्दलाल अटेला, सुबेदार सतबीर सिंह, राजबीर बोहरा, नरेन्द्र धनाना, महाबीर धनाना, राजेन्द्र चरखी, शमशेर पैतांवास कलां, ईश्वर सिंह मान पूर्व बीडीपीओ, नन्दलाल जेवली पूर्व निरीक्षक, धरमेन्द्र छ्पार, बेलीराम अनुसूचित जाति,  प्रोफेसर जगविन्द्र सांगवान, ओम प्रजापति डोहकी,रमेश शर्मा शामिल थे।  

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