शिक्षक और सड़क: मंज़िल तक पहुंचाने वाले दो अहम सेतु
शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे, जो खुद जहां है वहीं रहते हैं मगर दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचा ही देते हैं किसी भी देश के आर्थिक, बौद्धिक विकास…
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शिक्षक और सड़क दोनों एक जैसे, जो खुद जहां है वहीं रहते हैं मगर दूसरों को उनकी मंजिल तक पहुंचा ही देते हैं किसी भी देश के आर्थिक, बौद्धिक विकास…
डॉ. भीमराव अंबेडकर ने भारत को एक समतामूलक, न्यायप्रिय और जातिविहीन समाज का सपना दिखाया था। उन्होंने संविधान बनाया, शिक्षा और सामाजिक न्याय को हथियार बनाया, और जाति व्यवस्था का…
रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद व महासचिव ,भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयान भाजपा अब संविधान-आरक्षण-दलित अधिकार मिटाने में लगी – उनसे लड़ेंगे व जीतेंगे! संवैधानिक अधिकारों व सामाजिक न्याय को रौंदने…
जालियाँवाला बाग के अमर शहीदों को शत् शत् नमन। वो मरे नहीं थे, वो देश को जगा गए थे। श्रीमती पर्ल चौधरी 13 अप्रैल 1919—इस दिन को याद करना केवल…
बाबा साहेब की विरासत पर सत्ता की सियासत, जयंती या सत्ता का स्वार्थी तमाशा? बाबा साहब के विचारों—जैसे सामाजिक न्याय, जातिवाद का उन्मूलन, दलित-पिछड़ों को सत्ता में हिस्सेदारी, और संविधान…
वार्ता को लेकर ईरान अमेरिका के अलग-अलग दावे- ईरान ने अप्रत्यक्ष वार्ता बताया तो अमेरिका ने प्रत्यक्ष बताया अंतरराष्ट्रीय मुद्दों को सुलझाने, कूटनीति को सद्भावना, सहयोग व मुद्दे सुलझाने का…
(अंबेडकर जयंती विशेष) लोकतंत्र केवल अधिकारों का मंच नहीं, बल्कि नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का साझेधार भी है। भारत जैसे विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में नागरिकों की भूमिका…
बैसाखी पर्व 13 अप्रैल 2025: खुशहाली और समृद्धि का प्रतीक बैसाखी के दिन का उत्सव कृषि, समाज व धर्म के संगम का प्रतीक है –खालसा पंथ की स्थापना व नई…
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919) केवल ब्रिटिश अत्याचार का प्रतीक नहीं, बल्कि आज के भारत में सत्ता और लोकतंत्र के बीच जटिल रिश्ते का प्रतिबिंब भी है। जनरल डायर द्वारा किए…
शिक्षा या कमीशन? निजी स्कूलों की किताबों के पीछे छुपा मुनाफाखोरी का खेल “किताबों के नाम पर व्यापार: निजी स्कूलों की मुनाफाखोरी” निजी स्कूल एनसीईआरटी की सस्ती और गुणवत्तापूर्ण किताबों…