Category: देश

अखंड अमेरिका बनाम अखंड भारत : क्या ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ और ‘मेक इन इंडिया’ के बीच टकराव संभव है?

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं भूमिका वैश्विक राजनीति और कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में, दो महाशक्तियों—अमेरिका और भारत—की विकास अवधारणाएं ‘अखंड अमेरिका’ और ‘अखंड भारत’ के रूप में सामने आ रही हैं।…

ईश्वर के आंनद ……….. स्वामी विवेकानन्द

हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार, लेखक 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में अवतरित वेदान्त के विख्यात और प्रभावशाली, आध्यात्मिक गुरु, स्वामी विवेकानन्द का बचपन का नाम वीरेश्वर रखा गया, किन्तु उनका औपचारिक…

भारत का राजनितिक वर्ग वोटों के लिए देश की आर्थिक स्थिरता की बलि चढ़ाने को तैयार: अनिल शर्मा सातरोड़िया

माननीय प्रधानमंत्री जी द्वारा गरीबी के नाम पर 4500 फ्लैट मुफ्त में दे देना, ऐसा लगता है कि भारत का राजनितिक वर्ग वोटों के लिए देश की आर्थिक स्थिरता की…

रिटायर्ड अफ़सरों के बोझ तले दबा आरटीआई का ढाँचा …

सेवानिवृत्त अधिकारी उन विभागों के खिलाफ निर्णय लेने में संकोच कर सकता है, जिनके लिए उन्होंने कभी काम किया था, जिससे समझौतापूर्ण फैसले होते हैं। पारदर्शिता में विशेषज्ञता की कमी…

20 जनवरी 2025: दुनिया के लिए चुनौतीपूर्ण और निर्णायक तारीख?

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं आर्थिक, व्यापारिक और आव्रजन नीतियों पर गहराता तनाव 20 जनवरी 2025, एक तारीख जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। इस दिन अमेरिका के…

भारत में पैर पसारता ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस: बुजुर्गों और बच्चों पर खतरा, सरकार सतर्क

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी भारत में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) संक्रमण का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। यह वायरस खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों…

आज की शादियां भी बन गई हैं  पैकेज मैरिज …….

संजय भुटानी …… *सीनियर जर्नलिस्ट* सभ्यता- संस्कृति, भावनाओं व संवेदनाओं के ऊपर हावी होते धन के प्रभाव ने जहां रिश्तों को खत्म करने का काम किया है, वहीं नए बनने…

18वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन: भारतीयता और सांस्कृतिक मूल्यों की वैश्विक सुगंध

– एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी भुवनेश्वर में हुआ ऐतिहासिक सम्मेलन8 से 10 जनवरी 2025 तक ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित 18वां प्रवासी भारतीय सम्मेलन, भारतीयता और हमारे सांस्कृतिक मूल्यों की…

विश्व हिंदी दिवस: 10 जनवरी 2025 : हिंदी भाषा: सभी समुदायों, धर्मों, और संस्कृतियों को जोड़ने का सूत्र

-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। यह भाषा भारतीय समाज की आत्मा है और हमारी पहचान…

कितना सही है राष्ट्रगान पर विवाद खड़ा करना …….

महत्वपूर्ण सरकारी आयोजनों में राष्ट्रगान बजाने से नागरिकों में सामूहिक पहचान, एकता और देशभक्ति की भावना प्रबल होती है। यह क्षेत्रीय, भाषाई और सांस्कृतिक मतभेदों से परे साझा राष्ट्रीय मूल्यों…

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