-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं

भूमिका

वैश्विक राजनीति और कूटनीति के परिप्रेक्ष्य में, दो महाशक्तियों—अमेरिका और भारत—की विकास अवधारणाएं ‘अखंड अमेरिका’ और ‘अखंड भारत’ के रूप में सामने आ रही हैं। अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ और ‘अखंड अमेरिका’ की संकल्पना प्रस्तुत की है। वहीं, भारत में ‘अखंड भारत’ की विचारधारा लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। इन दोनों दृष्टिकोणों में एक ओर राष्ट्रीय गौरव और विस्तारवादी दृष्टिकोण झलकता है, तो दूसरी ओर संभावित टकराव की संभावना भी उभरती है।


**अखंड भारत की **अखंड अमेरिका की परिकल्पना

डोनाल्ड ट्रंप ने 2025 में शपथ ग्रहण के बाद ‘अखंड अमेरिका’ का नारा दिया है, जिसमें कनाडा, ग्रीनलैंड, पनामा और मैक्सिको को अमेरिकी क्षेत्र में सम्मिलित करने की परिकल्पना की गई है। ट्रंप ने हाल ही में अपने ट्रुथ मीडिया पर अमेरिका का नया नक्शा साझा किया, जिसमें कनाडा को 51वें राज्य के रूप में दर्शाया गया। पनामा नहर और ग्रीनलैंड को लेकर ट्रंप की रणनीति अमेरिकी हितों की सुरक्षा और विस्तार पर केंद्रित है। हालांकि, इन क्षेत्रों पर सैन्य कार्रवाई से इनकार करते हुए उन्होंने आर्थिक दबाव की रणनीति अपनाने का संकेत दिया है। यह दृष्टिकोण अमेरिका की पारंपरिक विदेश नीति से भिन्न और अधिक विस्तारवादी प्रतीत होता है।

मेक अमेरिका ग्रेट अगेन की रणनीति

  1. आर्थिक दबाव: कनाडा और मैक्सिको पर आर्थिक प्रतिबंध और टैरिफ में वृद्धि।
  2. भौगोलिक विस्तार: ग्रीनलैंड और पनामा पर अमेरिकी नियंत्रण स्थापित करना।
  3. वैश्विक प्रतिस्पर्धा: चीन और रूस की बढ़ती उपस्थिति को रोकना।

अवधारणा

भारत में ‘अखंड भारत’ का विचार ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक आधारों पर आधारित है। यह विचार भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, तिब्बत, म्यांमार, श्रीलंका और अफगानिस्तान को एकजुट करने की परिकल्पना करता है।

  1. तीन प्रकार की अवधारणा:
    • भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश का एकीकरण।
    • नेपाल, भूटान, तिब्बत और अन्य पड़ोसी देशों का समावेश।
    • दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को शामिल करते हुए ‘ग्रेटर इंडिया’ का निर्माण।
  2. इतिहास और विभाजन:
    • 1947 में भारत का विभाजन।
    • 1971 में बांग्लादेश का गठन।
    • तिब्बत, भूटान और श्रीलंका के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंध।
  3. भौगोलिक और आर्थिक दृष्टिकोण:
    • क्षेत्रफल: 83.97 लाख वर्ग किलोमीटर।
    • आबादी: 170 करोड़ (60% हिंदू, 32% मुस्लिम)।
    • जीडीपी: 300 लाख करोड़ रुपये।

मेक इन इंडिया और मेक अमेरिका ग्रेट अगेन का संभावित टकराव

‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ के तहत दोनों देश अपनी आर्थिक और औद्योगिक क्षमताओं को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। हालांकि, इन दोनों नीतियों में संभावित टकराव के बिंदु निम्नलिखित हैं:

  1. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार:
    • अमेरिका ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति के तहत आयात पर निर्भरता कम करना चाहता है।
    • भारत ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से निर्यात बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।
  2. तकनीकी प्रतिस्पर्धा:
    • अमेरिका तकनीकी प्रभुत्व बनाए रखना चाहता है।
    • भारत तकनीकी आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ रहा है।
  3. वैश्विक कूटनीति:
    • ट्रंप का रुख चीन के प्रति आक्रामक है, जबकि भारत अपने पड़ोसियों के साथ संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता है।

क्या यह परिकल्पनाएं संभव हैं?

‘अखंड अमेरिका’ और ‘अखंड भारत’ की परिकल्पनाएं वर्तमान राजनीतिक और भौगोलिक परिस्थितियों में अत्यधिक जटिल हैं। इन दोनों विचारों के सफल होने की संभावना निम्न कारणों से सीमित है:

  1. स्वतंत्र देशों की संप्रभुता:
    • सभी देश अपनी स्वतंत्रता और संविधान के प्रति प्रतिबद्ध हैं।
  2. अंतरराष्ट्रीय दबाव:
    • वैश्विक स्तर पर सैन्य और आर्थिक विस्तार को रोकने के लिए अन्य महाशक्तियों का हस्तक्षेप।
  3. आंतरिक चुनौतियां:
    • सामाजिक और धार्मिक विविधता के कारण एकीकरण कठिन है।

निष्कर्ष

‘अखंड अमेरिका’ और ‘अखंड भारत’ दोनों ही विचारधाराएं अपने-अपने देशों की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा और गौरव से प्रेरित हैं। हालांकि, इनके क्रियान्वयन में कई बाधाएं हैं, जो इन्हें केवल वैचारिक चर्चा तक सीमित रखती हैं। ‘मेक अमेरिका ग्रेट अगेन’ और ‘मेक इन इंडिया’ के बीच टकराव की संभावना को नकारा नहीं जा सकता, लेकिन यह अधिकतर व्यापारिक और कूटनीतिक क्षेत्रों तक सीमित रहेगा।

-संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र

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