-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं हिंदी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति, परंपरा और जीवन शैली का अभिन्न हिस्सा है। यह भाषा भारतीय समाज की आत्मा है और हमारी पहचान का प्रतीक भी। हिंदी ने प्राचीन भारत में साहित्य, कला और संस्कृति में अपना अमूल्य योगदान दिया है। यह भाषा न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी संवाद और एकता का माध्यम बनती जा रही है। हिंदी की वैश्विक प्रासंगिकता तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा: वैश्विक स्तर पर हिंदी, अंग्रेजी और मंदारिन के बाद तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। फिजी में आधिकारिक भाषा का दर्जा: दक्षिण प्रशांत महासागर के द्वीप देश फिजी में हिंदी को आधिकारिक भाषा का दर्जा प्राप्त है। विश्व हिंदी सम्मेलन: 1975 में नागपुर में पहले विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। यह सम्मेलन हिंदी के वैश्विक प्रसार में मील का पत्थर साबित हुआ। ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में हिंदी शब्द: हिंदी के शब्द जैसे ‘चड्डी’, ‘नारी शक्ति’, ‘बापू’, और ‘जुगाड़’ जैसे कई शब्द ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में शामिल किए गए हैं। हिंदी दिवस और विश्व हिंदी दिवस का महत्व राष्ट्रीय हिंदी दिवस: 14 सितंबर को संविधान सभा द्वारा हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने की स्मृति में मनाया जाता है। विश्व हिंदी दिवस: 10 जनवरी को विश्व स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने की थी। हिंदी का सांस्कृतिक महत्व हिंदी केवल संवाद का माध्यम नहीं, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और मूल्यों का संवाहक है। यह भाषा विविधता में एकता का प्रतीक है और विभिन्न समुदायों, धर्मों और संस्कृतियों को जोड़ने का कार्य करती है। हिंदी का ऐतिहासिक योगदान महात्मा गांधी का दृष्टिकोण: महात्मा गांधी ने हिंदी को जनमानस की भाषा कहा और इसे राष्ट्रभाषा बनाने का समर्थन किया। संविधान सभा का निर्णय: 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत की राजभाषा का दर्जा मिला। साहित्य और कला में योगदान: हिंदी ने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान समय तक भारतीय साहित्य, कला और फिल्म उद्योग को समृद्ध किया है। हिंदी का वैश्विक प्रभाव आज हिंदी दुनिया के कई देशों में बोली और समझी जाती है, जैसे नेपाल, मॉरीशस, त्रिनिदाद, गुयाना, और अमेरिका। अमेरिका के 150 से अधिक शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी पढ़ाई जाती है। भविष्य की दिशा विश्व हिंदी दिवस का उद्देश्य हिंदी को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाना और इसे एक अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में स्थापित करना है। यह हम सबकी जिम्मेदारी है कि हिंदी का प्रचार-प्रसार करें और इसे गर्व के साथ अपनाएं। निष्कर्ष:हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक है। यह भाषा न केवल संवाद का माध्यम है बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित रखने का एक माध्यम भी है। विश्व हिंदी दिवस पर यह संकल्प लेना चाहिए कि हिंदी को न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी सम्मान दिलाएं और इसे एक सशक्त माध्यम के रूप में विकसित करें। “हिंदी हमारी पहचान है, और इसका संरक्षण और प्रचार हमारा दायित्व।” -संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यमा सीए(एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र Post navigation मिशन 2025 को भी अबकी बार भ्रष्टाचार पर वार का निर्णायक कालखंड बनाने की तैयारी है ………