Tag: — डॉo सत्यवान सौरभ

ये जीवन-मृत्यु का गंभीर समय है, आपसी रस्साकशी का नहीं

कोविड ने स्मार्ट गवर्नेंस की जगह पैदा कर दी है, सहकारी संघवाद के जरिये केंद्र और राज्यों को अविलंब विश्वास की कमी को दूर करना चाहिए, यह जीवन और मृत्यु…

ट्विटर ट्रेंड में छाया हरियाणा के आई.टी.आई. अनुदेशकों की भर्ती का मामला

साल 2010 में हरियाणा सरकार ने पहली बार राज्य की आई.टी.आई. में अनुदेशकों के पदों के लिए मांगे थे आवेदन, इसके बाद सात बार ये पद री-ऐडवरटाइज़ किये गए. आखिर…

घर में बच्चे दो ही अच्छे नीति कर देगी सामाजिक बंधन कच्चे

संबंधित कानून महिला विरोधी भी हो सकता है। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का तर्क है कि कानून जन्म से ही महिलाओं के खिलाफ भेदभाव (गर्भपात या कन्या भ्रूण और शिशुओं के गर्भपात…

रात हलाला नेक है, उठते नहीं सवाल !राम नाम की दक्षिणा,पर क्यों कटे बवाल !!

लव जिहाद और राणा जैसे बयान दो समुदायों के बीच नफरत पैदा करते है। यह किसी एक राज्य, देश या समुदायों तक सीमित नही बल्कि विश्व्यापी समस्या बनता जा रहा…

पूरे विश्व में लिखी और पढ़ी जा रही है सहज और प्रभावी लघुकथा

लघुकथा जीव-जगत की जटिलताओं को अत्यंत सहज और प्रभावी ढंग से सुलझाने का प्रयास करती है। वर्ष 2020 का 11000/- रुपये का ‘डॉ मनुमुक्त ‘मानव’ अंतरराष्ट्रीय लघुकथा-पुरस्कार’ बेल ऐर (मॉरीशस)…

सितारों के आगे जहाँ और भी है.

आज का बॉलीवुड वैसे भी देशभक्ति और सामाजिक मुद्दों को छोड़कर पूरी तरह नंगा हो चुका है. एकाद फिल्मों को छोड़कर बाकी फिल्मे हम परिवार के साथ नहीं देख सकते.…

आत्महत्याएं केवल मनोवैज्ञानिक या भावनात्मक कारक नहीं हैं

— डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार, आकाशवाणी एवं टीवी पेनालिस्ट, ऐसे मामलों से निपटने के लिए आज हमें तत्काल उपायों की जरूरत…

जल निकायों और संसाधनों का कायाकल्प समय रहते बेहद जरूरी है

मॉनसून वर्षा के कारण भारत के प्रमुख जलाशयों में जल स्तर पिछले दशक के औसत के 21 प्रतिशत तक गिर गया है। देश का चौदह प्रतिशत भूजल तेजी से घट…

ठाकुरों की गढ़ी बड़वा में हैं अंग्रेजों के जमाने की शानदार चीजें

गगनचुंबी हवेलियां, मनमोहक चित्रकारी, कुंड रुपी जलाश्य, हाथीखाने, खजाना गृह, कवच रुपी मुख्य ठोस द्वार और न जाने क्या-क्या — डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार…

रेलवे का निजीकरण रक्त शिराओं को बेचने जैसा होगा।

( छोटे से फायदे के लिए हम आधी से ज्यादा आबादी का रोजमर्रा का नुकसान नहीं कर सकते।) — डॉo सत्यवान सौरभ, रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,दिल्ली यूनिवर्सिटी,कवि,स्वतंत्र पत्रकार एवं…

error: Content is protected !!