कँवर भान मनचंदा……..गुडगाँव मेरा नाम कँवर भान मनचंदा पुत्र स्वर्गीय लाला बोसा राम मनचंदा विभाजन से पूर्व निवास स्थान मकवल कलां तहसील तौंसा शरीफ जिला डेरा गाजी खान कमिश्नरी मुल्तान पाकिस्तान | मेरा जन्म 11.06.1938 को मकवल कलां में हुआ था | विभाजन से पूर्व मैं तीसरी क्लास में पढ़ता था और उर्दू पढ़ाई का माध्यम था | विभाजन के समय मेरी आयु 8-9 साल की थी | मुझे केवल इतना याद है कि उन दिनों अफवाह फैलाई गई थी कि आज रात को गाँव में लुटेरे आयेंगे और हिन्दुओं को मार देंगे इसलिए रात होने से पहले सब हिन्दू बिना सामान लिए आज रात तो तौंसा तहसील से निकल जाओ, 2 दिन बाद वापस आ जाना | गाँव के सब हिन्दू रात होने से पहले तौंसा से भाग गये | बिना सामान के सब हिन्दू निकल गये और 2 दिन तौंसा शरीफ में रहने के बाद अफवाह फैला दी गयी कि सब कुछ लूट ले गये और जो लोग रह गये उनको जान से मार दिया गया | भारत द्वारा भेजी गयी मिलिट्री हमें ट्रकों में भर कर डेरा गाजी खान रेलवे स्टेशन पर एक गाड़ी में बिठा कर चले गये, गाड़ी इन सब लोगों को लेकर भारत की तरफ रवाना हुई | रास्ते में कई स्टेशनों पर मुसलमान गुंडे गाड़ी रुकवाकर लोगों को उतारकर क़त्ल करने लगे | परमात्मा की कृपा से हम बचकर हिसार स्टेशन पर उतार दिए गये | गवर्नमेंट कॉलेज के भवन में हमें 10 दिन रखकर वहाँ से गुडगाँव भेजा गया | गुडगाँव में रेलवे कैंप गौशाला कैंप में रखा गया | कुछ महीनों तक राशन मिलता वही खाते रहे | प्राइमरी स्कूल खोल दिए, वहाँ हम पांचवी तक पढ़े फिर छठी क्लास में हाई स्कूल में आ गये | मेरे दो बड़े भाई मेहनत मजदूरी करने लगे और कठिनाई से पेट पालने लगे |कुछ समय बाद रेलवे कैंप और अर्जुन नगर में कच्ची कोठियां बना कर रिफ्यूजी बनकर रहने लगे | कम आयु होने के कारण मैंने अपनी आँखों से कोई क़त्ल नहीं देखा इसलिए बाकी कुछ नहीं जानता | Post navigation स्वच्छता के लिए कचरा अलग-अलग करना बेहद जरूरी नेहरू युवा केंद्र के स्वयंसेवकों ने गांव खेड़की माजरा में क्लीन इंडिया अभियान के तहत चलाया स्वच्छता कार्यक्रम