– नगर निगम गुरूग्राम के आयुक्त मुकेश कुमार आहुजा ने की नागरिकों से अपील गुरूग्राम, 25 अक्तुबर। नगर निगम गुरूग्राम के आयुक्त मुकेश कुमार आहुजा ने गुरूग्राम के नागरिकों से अपील करते हुए कहा कि स्वच्छता के लिए कचरा अलग-अलग करना बहुत ही महत्वपूर्ण एवं जरूरी कार्य है। हम सभी को प्राथमिक स्तर पर अर्थात घर पर ही कचरे को तीन भागों में अलग-अलग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे घरों में तीन प्रकार का कचरा उत्पन्न होता है। इसमें गीला, सूखा, घरेलू हानिकारक व सेनीटरी वेस्ट शामिल है। हम सभी की यह नैत्तिक जिम्मेदारी एवं दायित्व बनता है कि हम अपने कचरे को इन तीन भागों मे अलग-अलग करके कचरा उठाने वाली गाड़ी में अलग-अलग ही सौंपें। उन्होंने बताया कि हमारे घर में किचन वेस्ट, फल व सब्जी के छिलके और बचा हुआ खाना गीले कचरे की श्रेणी में आते हैं। इन्हें हमेंशा अलग डस्टबिन में रखा जाना चाहिए। गीले कचरे से खाद बनाएं तथा पौधों में इसका उपयोग करें। उन्होंने बताया कि दूसरी श्रेणी में सूखा कचरा आता है। इसमें कागज, गत्ता, प्लास्टिक, लोहा व कपड़ा आदि शामिल हैं। सूखा कचरा रिसायकिल हो जाता है। इसी प्रकार तीसरी श्रेणी में घरेलू हानिकारक व सेनीटरी वेस्ट है, जिसमें पेंट व दवाईयों के डिब्बे, ट्यूबलाईट, थर्मामीटर, बैटरी, डायपर व नैपकिन शामिल हैं। निगमायुक्त ने कहा कि कचरे को इन तीन श्रेणियों में अलग-अलग रखें तथा हमारी यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है कि अपना कचरा इधर-उधर फैंकने की बजाए अधिकृत कचरा उठाने वाले वाहन को अलग-अलग ही दें। निगमायुक्त ने कहा कि नवम्बर माह से नगर निगम गुरूग्राम द्वारा मिश्रित कचरा स्वीकार नहीं किया जाएगा, इसलिए नागरिकों को चाहिए कि वे कचरे को अलग-अलग करने की प्रक्रिया को अपने आदत में शामिल करें। उन्होंने नागरिकों से पॉलीथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त गुरूग्राम बनाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि यह शहर हम नागरिकों का है और इसकी बेहतरी के लिए हमें बढ़-चढक़र सहयोग करना चाहिए। नागरिक सिंगल यूज प्लास्टिक एवं पॉलीथीन का उपयोग करने से बचें तथा बाजाार जाते समय कपड़े या जूट के थैला अपने साथ ले जाएं। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमैंट नियम के तहत पॉलीथीन एवं सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर पाबंदी है तथा नियमानुसार चालान भी किए जाने का प्रावधान है। Post navigation समरस समाज ही भारत का मूलमंत्र है-महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव 1947 के विभाजन का दर्द – बुजुर्गों की जुबानी