भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज गुरुग्राम में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सोहना के सरमथला में विकास रैली में मुख्यमंत्री ने अनेक उद्घाटन और घोषणाएं कीं। दूसरी ओर गुरुग्राम में ही भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अपने निवास पर अपने जन्मदिन का उत्सव मना रहे थे। 

विकास रैली की तैयारी बड़ी शिद्दत से सोहना के पार्टी और प्रशासन के साथ मिलकर कर रहे थे और बताया जा रहा था कि रैली में केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर व अनेक विधायक सम्मिलित होंगे। मुख्य की रैली हो तो यह तो अपने आप ही तय होता है कि भाजपा के सारे कार्यकर्ता उसमें सम्मिलित होंगे परंतु आज ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। घोषित लोगों में मुख्य रूप से केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और कृष्णपाल गुर्जर का नाम था लेकिन दोनों यहां मंच पर दिखाई नहीं दिए। हां, कृष्णपाल गुर्जर फरीदाबाद के प्रोग्राम में अवश्य मुख्यमंत्री के साथ थे।

दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ का जन्मदिवस था सो उनके जन्मदिवस पर प्रात: से भाजपा कार्यकर्ताओं का आवागमन आरंभ हो गया। वहां उत्सव जैसा माहौल था। गुरुग्राम के लगभग सभी पदाधिकारी व कार्यकर्ता उनको जन्मदिन की बधाई देने उनके निवास पर पहुंचे, जिनमें विधायक, मोर्चों के अध्यक्ष, मंडलों के अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष आदि सभी सम्मिलित थे। कुछ भाजपाई गुरुग्राम के बाहर से भी उनको बधाई देने आए। प्रदेश मोर्चो के अध्यक्ष भी आए।

यह कुछ अजीब स्थिति नजर आई कि सत्तारूढ़ दल के मुख्यमंत्री की उसी जिले में विकास रैली हो रही है और उसी पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष अपने निवास पर अपने जन्मदिन का उत्सव मना रहा है। पिछले दिनों की पार्टी की गतिविधियों को देखते हुए इस प्रकरण का महत्व कुछ बढ़ जाता है, क्योंकि जबसे पाटौदा में शहीद सम्मान रैली हुई थी और उसकी अध्यक्षता प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने की थी, उसके पश्चात भाजपा के मोर्चों की मीटिंग मुख्यमंत्री ने लेनी आरंभ कर दी , जिसका अर्थ यह निकाला कि मुख्यमंत्री संगठन पर भी अपना पूर्ण वर्चस्व चाहते हैं, इसीलिए वह अपने निवास पर मोर्चों से रूबरू हो रहे हैं।

वैसे तो राजनीति में संगठन और सत्ता मिलकर ही चलते हैं लेकिन उनमें आपसी सामंजस्य होता है। संगठन के कार्य प्रदेश अध्यक्ष देखते हैं और सरकार के कार्य मुख्यमंत्री देखते हैं किंतु जब एक-दूसरे के कार्य में बिना सामंजस्य के दखल दिया जाए तो कुछ ऐसी ही स्थितियां बननी आश्चर्य का कारण नहीं होनी चाहिएं।

इस घटना का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है कि अभी हाल ही में प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री की बहुत तारीफ कर गए थे और कह गए थे कि मैं देश में हरियाणा को रोल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करूंगा। इस पर यह प्रश्न उठना लाजिमी है कि प्रधानमंत्री की बात पर भाजपा संगठन ही विश्वास नहीं कर रहा तो जनता कितना विश्वास करेगी?

राव इंदजीत सिंह का न आना यह दर्शाता है कि आने वाले समय में मुख्यमंत्री और अहीरवाल के नेता राव इंद्रजीत के बीच इसी प्रकार की खींचतान दिखाई देती रहेगी और संभव है कि वह हरियाणा सरकार के लिए घातक भी सिद्ध हो जाए।

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