अच्छे शिक्षक के रूप में पहचान चाहते थे डां अब्दुल कलाम : मास्टर रविन्द्र

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

15 अक्टूबर, पूर्व राष्ट्रपति व मिसाइल मैन के नाम से विख्यात डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम की जयंती अवसर पर स्थानीय आर्यन कोचिंग सेंटर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन कर उन्हें श्रद्धाजंलि दी गई। इस दौरान उनकी शिक्षाओं, आदर्शो, विचारों को याद करते हुए उनके द्वारा राष्ट्र समर्पित जीवन को संकल्प रूप में धारण करने का आहवान प्रत्येक देशवासी से किया गया। 

संस्था संचालक मास्टर रविन्द्र सांगवान ने सर्वप्रथम उनके चित्र समक्ष पुष्प अर्पित किए। उन्होंने कहा कि डां कलाम का पूरा जीवन इस बात का प्रतीक है कि यदि ठान लिया जाए तो कोई भी राह कठिन नहीं होती और कोई भी लक्ष्य अभेद्य नहीं होता। कलाम भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम को नई ऊंचाईयों पर ले गए। उन्होनें रक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट योगदान दिया है इसीलिए आज पूरा देश उन्हें मिसाइल मैन के नाम से जानता है। बेहद सहज और सरल व्यक्तित्व वाले मृदुभाषी कलाम की रहनुमाई में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने सबसे घातक और मारक हथियार प्रणालियों का देश में ही विकास किया। भारत के धर्म निरपेक्ष ढांचे के सर्वथा उपयुक्त व्यक्ति थे डां कलाम उन्होंने हमेशा राष्ट्रहित को सर्वोपरि माना व बिना भेदभाव के इसके लिए कार्य किया। 

 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में जन्मे डॉ. कलाम का पूरा नाम अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। वे वर्ष 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति रहे। इस दौरान वे जनता के राष्ट्रपति के रूप में खासे लोकप्रिय हुए। डा. कलाम देश के युवाओं को देश की सच्ची पूंजी मानते थे और बच्चों को हमेशा बड़े सपने देखने के लिए प्रेरित करते थे। उनका मानना था कि युवाओं को निरंतर लक्ष्य प्राप्ति में जुटे रहना चाहिए। उन्होंने कहा था कि मेरे जन्मदिन पर अवकाश घोषित नहीं करना बल्कि स्टुडेंड डे के रूप में मनाना। इस दौरान सह संचालक श्रीभगवान शर्मा, नरेन्द्र, अजय, वीर, प्रेरणा, रानी, शुभम सहित विद्यार्थी उपस्थित थे।

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