बुधवार को बाजरा का औसतन दाम 100 प्रति क्विंटल धड़ाम.
बरसात से खराब बाजरे की गिरदावरी के बाद मुआवजे का इंतजार.
सरकार के प्रतिनिधि और सत्ता पक्ष के नेता भूले मंडियों का रास्ता

फतह सिंह उजाला

केंद्र सरकार के द्वारा घोषित नए कृषि कानून के बाद में जो जोश और उत्साह सत्तासीन भारतीय जनता पार्टी और विशेष रुप से पार्टी के ही किसान विंग के नेताओं में जो उत्साह आसमान तक दिखाई दिया, ढोल नगाड़े बजाए, जी भर लड्डू बांटकर एक दूसरे का मुंह मीठा करवाया, कृषि कानूनों को किसान और  कृषि के हित में सर्वाेपरि बताया , एमएसपी के लिए जबरदस्त वकालत की गई । आज के समय में जब बाजरा उत्पादक किसान गुरूग्राम, मेवात, रेवाड़ी क्षेत्र की जाटोली अनाज मंडी, फर्रूखनगर अनाज मंडी, गुरुग्राम अनाज मंडी, तावडू अनाज मंडी  से थोड़ा बाहर निकल कर मेवात जिला की मंडियों सहित रेवाड़ी की मंडियों पर भी नजर दौड़ाई तो ऐसे ही तमाम नेता शायद अनाज मंडियों का रास्ता ही भूल चुके हैं।

क्यों की बाजरा उत्पादक किसानों के लिए सरकार के सर्वाेच्च पद पर बैठे नेताओं के द्वारा एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसटी रहेगा के जो दावे अभी तक किए जाते आ रहे हैं, वह हकीकत में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहे हैं । दूसरी ओर हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी गठबंधन सरकार के द्वारा ऐलान किया गया था कि रजिस्ट्रेशन करवाने वाले बाजरा उत्पादक किसानों के बैंक खाते में 7 अक्टूबर से प्रति क्विंटल 600 सब्सिडी उपलब्ध करवाना आरंभ कर दिया जाएगा । बाजरा उत्पादक किसानों को न तो एमएसपी मिला और नहीं सब्सिडी अभी तक मिल सकी है ।

एक दिन पहले मंगलवार तक नई अनाज मंडी जाटोली में बाजरा का औसतन भाव 1500 प्रति क्विंटल था , वह बुधवार को एक सौ रूपए धड़ाम से नीचे आ गिरा है । अब इसके क्या कारण रहे, यह अलग विषय है। दूसरी ओर बेमौसम बरसात के कारण मेवात से लेकर अहीरवाल क्षेत्र में बाजरा उत्पादक किसानों की बाजरा की फसल खेतों में ही अधिकांश खराब हो चुकी है । इस मुद्दे को लेकर भी जब किसान और किसान संगठनों के द्वारा गिरदावरी करवाकर मुआवजे की मांग की गई तो सरकार के द्वारा गिरदावरी के निर्देश भी दिए जा चुके हैं । इंडियन नेशनल लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुखबीर तंवर का कहना है कि बाजरा की स्पेशल गिरदावरी सरकार को जल्द से जल्द करवा कर किसानों को हुए आर्थिक नुकसान की भरपाई बिना देरी करनी चाहिए । वही ऐसे भी मामले अब सामने आ रहे हैं अनेक किसानों के द्वारा शिकायतें की जा रही है कि उनके द्वारा जितनी जितनी जमीन पर बाजरा की फसल उगाई गई पटवारियों के द्वारा की गई गिरदावरी में बाजरा की फसल के विपरीत अलग-अलग सब्जियों की पैदावार करना रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है । अब इस रिकॉर्ड को सही और दुरुस्त करवाना किसानों के लिए एक नई समस्या और चुनौती बनता जा रहा है ।

अब कहने वाले तो इस बात को कहने से भी नहीं चूक रहे की भारतीय जनता पार्टी के साथ हरियाणा सरकार में भागीदार जननायक जनता पार्टी के सरकार में सर्वाेच्च पद पर बैठे नेता के द्वारा बार-बार कहा गया एमएसपी पर रत्ती भर भी आंच आई तो बिना देरी किए इस्तीफा भी दे दिया जाएगा ? इस मुद्दे को लेकर विभिन्न किसानों ने अपना नाम नहीं लिखने की शर्त पर कहा कि यह अब किसी से छिपी हुई बात नहीं रह गई है कि मंडियों में बाजरा बिक्री के लिए आने वाले किसानों को क्या वास्तव में 2250 रुपए एनएसपी मिल रहा है । जो भी खरीद फरोख्त मार्केट कमेटी प्रशासन की देखरेख में व्यापारियों के द्वारा की जा रही है , वह सारा रिकॉर्ड और बाजरे का दाम सरकार के रिकॉर्ड में चंडीगढ़ तक प्रतिदिन पहुंच भी रहा है । दूसरा सबसे बड़ा सवाल किसानों के द्वारा अब यह भी उठाया जा रहा है कि हरियाणा में गठबंधन सरकार के द्वारा भरोसा दिलाया गया था कि बाजरा का रजिस्ट्रेशन करवाने वाले किसानों के खाते में 7 अक्टूबर से प्रति क्विंटल 600 सब्सिडी ट्रांसफर करवाना आरंभ कर दिया जाएगा , लेकिन करीब 1 सप्ताह बीत जाने के बाद भी एक भी किसान के खाते में सरकार के द्वारा घोषित सब्सिडी उपलब्ध नहीं करवाई जा सकती है ।

गांव बोहड़ा कला के फूल सिंह 6 क्विंटल बाजरा अपना बेच चुके हैं, इसी प्रकार से गांव राठीवास के चरण सिंह 47 क्विंटल, गांव सिद्रावली के नफे सिंह 24 क्विंटल, गांव खेड़ी के सुभाष चंद्र 22 क्विंटल, गांव पथरेड़ी के दयाचंद 28 क्विंटल, गांव ग्वालियर के धर्मवीर 28 क्विंटल, गांव रणसीका के महेंद्र 24 क्विंटल, अपना बाजरा सरकारी अनाज मंडी में सरकारी खरीद नहीं किया जाने की वजह से खुले बाजार में बेच चुके हैं और इस पर भी बाजरा का औसतन दाम 14 सो रुपए प्रति क्विंटल ही मिल पा रहा है। ऐसे में किसानों को सीधे-सीधे प्रति क्विंटल औसतन 1000 का नुकसान झेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

दूसरी ओर बीते वर्ष जब बाजरा की सरकारी खरीद आरंभ हुई थी तो बाजरा की सरकारी खरीद आरंभ होते ही सरकार में चुने हुए मंत्री , जनप्रतिनिधि एक के बाद एक सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों तरफ से मंडियों में अपना दौरा आरंभ कर चुके थे । लेकिन इस बार करीब एक पखवाड़े बीत जाने के बाद भी जनता के द्वारा चुने गए जनप्रतिनिधि , हरियाणा सरकार में विभिन्न विभागों के मंत्री और तो और भारतीय जनता पार्टी तथा जननायक जनता पार्टी दोनों के ही किसान प्रकोष्ठ के नेता और पदाधिकारी भी अनाज मंडियों में शायद आने का रास्ता ही भूल चुके हैं , इस विषय में कुछ भी अधिक कहने की जरूरत ही नहीं बाकी रह गई है । भारतीय जनता पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के ऐसे नेता और पदाधिकारी जोकि एमएसपी से लेकर केंद्र के कृषि कानूनों की वकालत करते हुए पीएम मोदी और सीएम खट्टर का आभार व्यक्त करने के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को ज्ञापन देने के लिए पहुंच कर एक नहीं अनेक फायदे की वकालत मीडिया के सामने करते थे । आज वह चेहरे भी मंडियों में या किसानों के आसपास दिखाई देना बंद हो गए हैं । संभवत इसका एक ही कारण है कि जिस एमएसपी को लेकर सत्ता पक्ष के नेताओं और सत्तासीन पार्टी के पदाधिकारियों के द्वारा वकालत की जा रही थी,  आज शायद बाजरा उत्पादक किसानों के सवालों का जवाब ऐसे तमाम नेताओं के पास उपलब्ध ही नहीं हो सकेगा ।

इसी कड़ी में अहीरवाल के छत्रप और केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल के वजीर राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा भी अब कथित रूप से दांव पर लगती प्रतीत होती दिखाई दे रही है । 3 दिन पहले संडे को राव इंद्रजीत सिंह ने डंके की चोट पर कासन में अपने किसान सम्मान समारोह के मंच से दावा किया था कि सोमवार से बाजरा उत्पादक किसानों का बाजरा सरकारी एजेंसियां 1650 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से खरीदेंगी। और 600 की सब्सिडी किसानों को हरियाणा सरकार के द्वारा उनके बैंक खातों में उपलब्ध करवाई जाएगी। लेकिन बुधवार को भी दिन ढले समाचार लिखे जाने तक हरियाणा में किसी भी सरकारी एजेंसी के द्वारा इस बात की पुष्टि नहीं की जा सकी है कि बाजरा उत्पादक किसानों का बाजरा मंडियों में 1650 रुपए के दाम पर  खरीद किया जाना है । इस प्रकार के सरकारी आदेश किसी भी सरकारी खरीद एजेंसी को उपलब्ध नहीं हो सके हैं ।

जानकार लोगों का और राजनीति के रुचिकर विश्लेषकों का कहना है कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल क्षेत्र जहां सबसे अधिक बाजरे की पैदावार होती है , यहीं की बदौलत सूबे की सरकार भ्ी बनी हुई है । इस बात की संभावना बहुत कम महसूस की जा रही है कि हरियाणा सरकार के द्वारा के केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के दावे के मुताबिक 1650 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से विभिन्न सरकारी एजेंसियों के द्वारा करवाई जाए ? अब आने वाले समय में बाजरा को लेकर एमएसपी तथा सब्सिडी का मुद्दा क्या और किस प्रकार का राजनीतिक रंग लेते हुए एक नया मुद्दा बन सकता है, इसी बात पर लोगों की भी नजरें सहित जिज्ञासा बनी हुई है।