सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी आसपास खेतों में लबालब भरा.
छोटे किसानों की बाजरा फसल बर्बाद सरसों की बिजाई बनी जंजाल,
नुकसान भरपाई के लिए अब कोर्ट जाने की तैयारी में पीड़ित किसान

फतह सिंह उजाला

पटौदी । विभिन्न सरकारी विभागों के द्वारा करोड़ों रुपए के प्रोजेक्ट और परियोजनाएं बनाई तो जाती हैं, आम जनमानस की सुविधा के लिए । लेकिन जहां इस प्रकार की परियोजनाओं में भौगोलिक दृष्टि से 3-4 विभाग शामिल हो तो बिना किसी होमवर्क और दीर्घकालिक योजना के केवल मात्र राजनीतिक आकाओं को खुश करने के लिए इस प्रकार की परियोजनाओं का उद्घाटन करवा कर अपनी अपनी पीठ जमकर थपथपा ने में बिल्कुल भी पीछे नहीं रहते है। भले ही बाद में इस प्रकार की आधी अधूरी परियोजनाएं पर पर्यावरण से लेकर जीव जंतु और इंसान के स्वास्थ्य के लिए घातक होने के साथ-साथ किसान और कृषि के लिए गंभीर संकट ही क्यों ना बन जाए।

ऐसा ही कुछ हेलीमंडी नगर पालिका प्रशासन के द्वारा राजकीय कालेज जाटोली के बराबर में अपनी ही जमीन पर जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के द्वारा करीब 9 करोड रुपए की लागत से तैयार हुआ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट अब सुविधा से अधिक आम जनमानस पर्यावरण और उपजाऊ जमीन के लिए गंभीर संकट बनता चला जा रहा है । सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जाटोली की परियोजना पहली नजर में तो आधी अधूरी ही है ? क्योंकि इसकी चारदीवारी अभी तक भी पूरी तरह से बना कर तैयार नहीं की गई है। दूसरी सबसे बड़ी खामी और लापरवाही यहां ट्रीट होने वाले पानी को आसपास किसी ड्रेनेज में छोड़ने के लिए किसी भी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई है । हैरानी इस बात को लेकर है कि जब यह प्रोजेक्ट  अथवा परियोजना पूरी तरह से कथित रूप से तैयार ही नहीं हुई तो फिर इसको एनओसी के साथ-साथ टेकओवर और हैंडोवर किस प्रकार से कर दिया गया ?

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट जाटोली के बराबर में कई छोटे-छोटे किसानों की छोटे-छोटे रकबे वाली जमीनें हैं। इसी जमीन पर यह छोटे जमीदार खेती-बाड़ी करके , पशु पालन इत्यादि करके जैसे तैसे अपना गुजर-बसर कर रहे हैं । लेकिन सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का पानी आरोप अनुसार कथित योजनाबद्ध तरीके से बाहर निकाल कर चोरी-छिपे रात के समय खेती की जमीन अथवा खेतों की तरफ छोड़ दिया जाता है। इस बात का सुबह आंख खुलने पर किसानों को पता लगता है कि उनके खेतों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी हिलोरे ले रहा है । किसान राधेश्याम के आरोप के मुताबिक अक्सर उसकी जमीन पर गंदा पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का छोड़ दिया जाता है। इसका खामियाजा बाजरा की फसल खराब होने के रूप में वह भुगत चुका है । कुछ गाय भी उसने पाल रखी हैं, वहीं पर ही रहने के लिए आवास भी बना हुआ है । गंदा पानी इस कदर भरा हुआ है कि घर में आने जाने के लिए रास्ता भी नहीं बचा हुआ है। बदबू और बदलते मौसम में यहां तेजी से पनप रहे मच्छर और विभिन्न बीमारियों को फैलाने वाले कारण भी मौजूद हैं । गाय बेहद संवेदनशील मवेशी माना जाता है ,जब गायों को मजबूरी में गंदे पानी में डूबा चारा खिलाया जाएगा तो गायों का भी अस्वस्थ होना लाजमी है ।

सबसे बड़ा सवाल यह बना हुआ है कि जिस हिसाब से खेतों में पानी भरा है बाजरा की फसल तो चौपट हो चुकी है । समस्या यह है कि आगामी फसल सरसों की बिजाई के लिए खेतों को किस प्रकार से तैयार किया जाए ? सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का भरा हुआ पानी ही सूखने में इतना समय लग जाएगा की सरसों की बिजाई का समय भी हाथ से निकल चुका होगा । पीड़ित किसान राधेश्याम की मानें तो इस मामले में वह कई बार संबंधित अधिकारियों को फोन पर समस्या के समाधान के लिए अनुरोध कर चुका है, लेकिन आज तक किसी भी अधिकारी ने मौके पर आने की जरूरत ही महसूस नहीं की।  अब मजबूरी में अपने नुकसान की भरपाई के लिए कोर्ट में जाने की तैयारी की जा रही है ।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के ओवरफ्लो गंदे पानी के बाहर आने से राधेश्याम ही नहीं आसपास के और भी किसान परेशान हैं । कथित रूप से यहीं पर ही सत्ता पक्ष के और पूर्व मंत्री की भी खेती की जमीन बताई गई है । अब हैरानी इस बात को लेकर है कि मंत्री अथवा सत्ता पक्ष के नेता की जमीन पर गंदा पानी नहीं पहुंचे , इस बात का डर और आतंक जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों में इस हद तक बना हुआ है कि वीआईपी खेती की जमीन पर गंदा पानी जाने से रोकने के लिए अस्थाई रूप से बांध भी बनाए जा चुके हैं। इसी कड़ी में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के द्वारा अपनी दीवार नहीं बनाए जाने का खामियाजा बगल में मौजूद राजकीय कालेज जाटोली प्रशासन को भी भुगतना पड़ रहा है राजकीय कालेज जाटोली की मजबूत दीवार सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के गंदे पानी के कारण टूट चुकी है । इसी कड़ी में कालेज परिसर में वन विभाग के द्वारा लगाए गए अनेक हरे भरे पेड़ भी अपना दम तोड़ चुके हैं। इससे अधिक हैरानी इस बात को लेकर है कि जाटोली कॉलेज से मेहसाणा जाने वाली सड़क के किनारे जाटोली कॉलेज की दीवार के साथ ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का गंदा पानी नहर के रूप में भरा हुआ है और सामने ही 2-2 शिक्षण संस्थान भी मौजूद हैं ।

सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के बाहर जमा होने वाले गंदे पानी की बदबू से सारा माहौल और पर्यावरण प्रदूषित होने की वजह से आसपास में पढ़ने के लिए आने वाले युवा वर्ग छात्र वर्ग के सेहत पर भी बुरा प्रभाव पड़ना आरंभ हो चुका है । कॉलेज परिसर में सीवरेज ट्रीटमेंट का पानी नहीं भरे और इस को वहां से निकालने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की हठधर्मिता और कथित दबंगई की खबरें पहले भी प्रकाशित हो चुकी हैं । स्थानीय किसानों और आसपास के रहने वाले लोगों का दो टूक कहना है कि सबसे पहले इस बात की जांच निष्पक्ष एजेंसी से करवाई जाए कि आधे अधूरे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन क्यों और किसके दबाव में किया गया या करवाया गया ? दूसरा यहां ट्रीट होने वाले पानी की निकासी की पहले से ही व्यवस्था क्यों नहीं की गई ? इस प्रकार की लापरवाही में जो भी कोई अधिकारी दोषी पाया जाता है , उसके खिलाफ आम आदमी के मूलभूत अधिकार, साफ स्वच्छ माहौल में रहना, स्वस्थ वातावरण उपलब्ध करवाना अन्य मानव  अधिकारों के हित को ध्यान में रखते हुए अविलंब अपराधिक मामला भी दर्ज किया जाना चाहिए।

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