संडे को कासन में किया था दावा खरीद एजेंसियों को सरकारी निर्देश जारी.
बड़ा सवाल क्या हरियाणा गठबंधन सरकार इंद्रजीत को नहीं दे रही कोई भाव.
गुरुग्राम और मेवात की मंडियों में भी बाजरा विक्रेता किसान हो रहे परेशान

फतह सिंह उजाला

पटौदी । दक्षिणी हरियाणा के क्षत्रप और केंद्र में मोदी मंत्रिमंडल के वजीर राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा सोमवार से सरकारी एजेंसियों के द्वारा मंडियों में बाजरा खरीद के दावे के बावजूद मंगलवार को भी बाजरा खरीद करने वाली एजेंसियों के पास किसी भी प्रकार की सरकारी सूचना अथवा पत्र नहीं पहुंचने के कारण बाजरा विक्रेता किसान राव इंद्रजीत के द्वारा किए गए दावे और घोषणा को लेकर हैरान और परेशान से दिखाई दिए ।

यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि दक्षिणी हरियाणा अहीरवाल में बाजरा की फसल सरसों से पहले किसानों के द्वारा उपजाई जाने वाली बेहद महत्वपूर्ण फसल मानी गई है । बाजरा की बिक्री के बाद किसान सरसों की बिजाई बीज और खाद की व्यवस्था करने के साथ-साथ अपने घरेलू कामकाज भी बाजरा बिक्री से मिलने वाले दान के दम पर ही पूरा करते रहे हैं। लेकिन इस बार हालात एकदम विपरीत बने हुए हैं। भारतीय जनता पार्टी और जननायक जनता पार्टी की गठबंधन सरकार के द्वारा पहले ही घोषणा की जा चुकी है कि मंडियों में बाजरे की सरकारी खरीद नहीं की जाएगी। केवल मात्र ऐसे बाजरा उत्पादक किसानों को 600 सब्सिडी उपलब्ध कराई जाएगी, जिनका बाजरा का रजिस्ट्रेशन करवाया हुआ है । मंगलवार को नई अनाज मंडी जाटोली में समाचार लिखे जाने तक करीब 8500 क्विंटल बाजरे की आवक दर्ज की जा चुकी थी। जाटोली अनाज मंडी में औसतन बाजरे का भाव मंगलवार को 15 सो रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच चुका था।  अपवाद स्वरूप केवल मात्र एक किसान का बाजरा 1620 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजरा की बेहतर गुणवत्ता के दम पर व्यापारियों के द्वारा खरीदा गया।

इसके विपरीत संडे को दक्षिणी हरियाणा के बब्बर शेर कहलाने वाले केंद्र में मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने डंके की चोट पर कहा था कि सोमवार से 1650 के दाम पर सरकारी मंडियों में बाजरा की सरकारी एजेंसियों के द्वारा खरीद आरंभ कर दी जाएगी। इसके साथ ही उन्होंने यह यह भी ऐलान किया था कि सरकारी खरीद के लिए संबंधित सरकारी एजेंसियों को सरकार की तरफ से निर्देश दे दिए गए हैं । 48 से 72 घंटे बीतने के बाद भी लाख टके का सवाल यह है कि आखिर वह ऐसे कौन से आदेश मौखिक थे या लिखित में थे ? जोकि बाजरा की खरीद करने वाली एजेंसियों में शामिल हरियाणा वेयरहाउसिंग कारपोरेशन और हैफेड तक मंगलवार दिन ढले भी नहीं पहुंच सके । जिला गुरुग्राम के साथ लगते मेवात की पुनहाना अनाज मंडी में भी खुले बाजार में बाजरा का दाम औसतन 13सौ  प्रति क्विंटल ही बाजरा उत्पादक किसानों को मुश्किल से मिल रहा है । यही हाल फरुखनगर अनाज मंडी में भी है , यहां पर बाजरा उत्पादक किसानों को औसतन 1225 प्रति क्विंटल बाजरा का दाम उपलब्ध हो रहा है । मंगलवार को फरुखनगर अनाज मंडी में केवल मात्र 1720 क्विंटल बाजरा बिक्री के लिए पहुंचा, वहीं सोमवार को 2230 क्विंटल बाजरा ही किसानों के द्वारा बिक्री के लिए लाया जा सका था ।

बाजरा उत्पादक किसानों के मुताबिक बाजरे की खेती इस बार बहुत ही टोटे का कारण बन चुकी है। एक तो बरसात में बाजरे का सत्यानाश कर दिया, रही सही कसर किसान हितैष होने वाली हरियाणा की गठबंधन सरकार की नीतियों ने पूरी कर दी है । गांव हुसैन का के किसान गूगन के मुताबिक मोदी सरकार के द्वारा एमएसपी 2250 रुपए के हिसाब से बाजरा की सरकारी खरीद की जाती तो कम से कम इतना तो संतोष हो जाता कि न तो किसान को नुकसान होता और ना ही मुनाफा होता । गूगल के मुताबिक खट्टर सरकार ने कहा है की रजिस्ट्रेशन करवाने वाले बाजरा विक्रेता उत्पादक किसानों को 600 प्रति क्विंटल सब्सिडी दी जाएगी। लेकिन इस पर उस समय पक्का भरोसा होगा, जब यह रकम हमारे बैंक खाते में पहुंच जाएगी । किसान गूगन से राव इंदरजीत सिंह के द्वारा की गई घोषणा पर जब सवाल किया गया तो गूगल ने साफ-साफ कहा इस बात में संदेह और पूरा पेंच उलझा हुआ है कि हरियाणा में खट्टर सरकार राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा बाजरा की सरकारी खरीद की बातों को मान लेगी ? क्योंकि हरियाणा की एजेंसियों को ही बाजरा की खरीद करनी है।

गांव बोहड़ाकला के नदीम ने बताया 7 किला में बाजरा की फसल लगाई थी , इसके अलावा करीब 40 किला बटाई पर लेकर बाजरा की बिजाई की गई । लेकिन इस बात का कतई भी भरोसा नहीं था कि हरियाणा में गठबंधन सरकार एक प्रकार से बाजरा की सरकारी खरीद पर ही पाबंदी लगा देगी। प्रति किला औसतन 6000 का सीधा सीधा नुकसान किसान को हो रहा है । जबकि यहां बाजार में अथवा मंडी में किसानों को औसतन 14 सो रुपए ही प्रति क्विंटल बाजरा का दाम मिल पा रहा है । अब ऐसे में किसान को हो रहे आर्थिक नुकसान की भरपाई आखिर करेगा कौन ? वहीं एक अन्य किसान ने कहा कि नाम क्या लिखना, काम की बात लिखो। जो नेताओं को भी पता लगे कि कहने, करने और करवाने में पाताल, जमीन और आसमान जितना अंतर होता है । नेता लोग कहते कुछ हैं , करते कुछ है और हकीकत में होता कुछ और ही है । आखिर ऐसा क्या कारण है कि जब केंद्र सरकार का मंत्री हजारों की भीड़ के बीच में डंके की चोट पर कहे कि सोमवार से सरकारी एजेंसियां 1650 के दाम पर बाजरा की खरीद करेगी और इस मामले में सरकार के द्वारा एजेंसियों को निर्देश भी दिए जा चुके हैं। तो अब जवाब भी राव इंद्रजीत सिंह को ही देना चाहिए कि 72 घंटे बीत जाने के बाद भी उनके आदेश और निर्देश पर पालन करने में सबसे बड़ा खलनायक कौन बना हुआ है ?

अब यह देखना भी रोचक होगा कि एक तरफ तो राव इंद्रजीत सिंह के द्वारा दावा कर दिया गया है कि सरकारी एजेंसियों को सरकार के द्वारा निर्देश दे दिए गए हैं । लेकिन उन्होंने अपने संबोधन में यह स्पष्ट नहीं कहा कि यह निर्देश केंद्र सरकार की तरफ से दिए गए या फिर हरियाणा की सरकार की खरीद एजेंसियों को दिए गए हैं । अब ऐसे में कुल मिलाकर बाजरा की सरकारी खरीद के मुद्दे को लेकर दक्षिणी हरियाणा के बब्बर शेर राव इंद्रजीत सिंह की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगती दिखाई दे रही है । वही यह बात भी रोचक और गौरतलब है की राव इंद्रजीत सिंह के तमाम समर्थक नेता और कार्यकर्ता भी अभी तक किसी भी अनाज मंडी में बाजरा बिक्री के लिए लाने वाले किसानों से बात करने, किसानों की सुध लेने और सरकारी अधिकारियों से जवाब तलबी के लिए भी पहुंचने का साहस नहीं दिखा सके हैं । बाजरा एक ऐसी फसल है जिसे की अधिक लंबे समय तक किसान चाह कर भी कहीं भी स्टॉक में जमा करके नहीं रख सकता है । बाजरा की फसल की बिक्री के बाद ही किसान अपनी आगामी फसल सरसों की बिजाई के लिए बीज खाद खेत इत्यादि तैयार करने के साथ साथ अपने आरती अथवा व्यापारी से लेन-देन का हिसाब भी चुकता करता है । अब देखना यही है कि आखिर बाजरा की सरकारी खरीद के लिए सरकारी चिट्ठी सरकारी एजेंसियों के पास कब तक पहुंच पाती है।

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