पूजन से शारीरिक कष्ट व बाधाओं से मिलेगी मुक्ति, बढ़ेगा शौर्य और पराक्रम

गुरुग्राम: श्री माता शीतला देवी मंदिर श्राइन बोर्ड के पूर्व सदस्य एवं आचार्य पुरोहित संघ गुरुग्राम के अध्यक्ष पंडित अमर चंद भारद्वाज ने कहा कि शारदीय नवरात्र के तीसरे दिन शनिवार को मां दुर्गा के तीसरे रूप मां चंद्रघंटा व चौथे रूप मां कुष्मांडा की आराधना होगी। इस बार नवरात्र आठ दिवसीय है इसलिए तिथि का ऐसा संयोग बना है। 9 अक्टूबर शनिवार को तृतीय सुबह 7:48 तक है। इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी जो 10 अक्टूबर रविवार को सुबह 5:00 बजे तक रहेगी। इसलिए शनिवार को मां दुर्गा के दोनों ही रूपों का पूजन फलदाई है। पं अमरचंद ने कहा कि माना जाता है कि माता रानी का चंद्रघंटा स्वरूप भक्तों पर कृपा करती है और निर्भय और सौम्य बनाता है। मां चंद्रघंटा को दूध से बनी चीजों का भोग लगाया जाता है, मां को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाना चाहिए। पंचामृत, चीनी व मिश्री भी मां को अर्पित करनी चाहिए। माता चंद्रघंटा की आराधना के लिए इस मंत्र का जाप किया जाता है।

पिण्डजप्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता।
इस मंत्र के उच्चारण से मां का पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

पं अमरचंद ने कहा कि साफ और पवित्र मन से मां कूष्‍मांडा देवी के स्‍वरूप को ध्‍यान में रखकर पूजा और अराधना करनी चाहिए। मां कूष्‍मांडा को लेकर यह प्रबल मान्‍यता है कि इनकी पूजा से भक्‍तों के सभी रोग नष्‍ट होते हैं। मान्‍यता है कि जो मनुष्‍य सच्‍चे मन से और संपूर्ण विधिविधान से मां की पूजा करते हैं, उन्‍हें आसानी से अपने जीवन में परम पद की प्राप्ति होती है। यह भी माना जाता है कि मां की पूजा से भक्‍तों के समस्‍त रोग नष्‍ट हो जाते हैं। मां कूष्‍मांडा को अष्‍टभुजाओं वाली देवी भी कहा जाता है। उनकी भुजाओं में बाण, चक्र, गदा, अमृत कलश, कमल और कमंडल सजे हैं। वहीं दूसरी भुजा में वह सिद्धियों और निधियों से युक्‍त माला धारण किए हुए हैं। मां कूष्‍मांडा की सवारी सिंह है। पं अमरचंद ने कहा कि पूर्ण आस्था व विश्वास के साथ पवित्र मन से माता के दोनों रूपों का पूजन अर्चन करने से समस्त बाधाएं अवश्य ही दूर होती हैं। वहीं यश और वैभव प्राप्त होता है।

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