ऐलनाबाद उपचुनाव 2021 पर विशेष श्रृंखला

अमित नेहरा

चुनाव आयोग के नोटिफिकेशन के अनुसार ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने के इच्छुक उम्‍मीदवार आठ अक्टूबर तक नामांकन दाखिल कर सकते हैं। इसके बाद 11 अक्टूबर को सभी नामांकन पत्रों की जांच होगी। उम्‍मीदवार 13 अक्टूबर तक अपने नाम वापस ले सकेंगे और 30 अक्टूबर को मतदान होगा। अगले महीने दो नवंबर को मतगणना होगी और उसी दिन रिजल्ट घोषित किया जाएगा।

स्पष्ट है कि यह लेख आज यानी 5 अक्टूबर को लिखा जा रहा है और कल यानी 6 अक्टूबर को प्रकाशित होगा। नामांकन के लिए केवल दो दिन ही शेष हैं। इनेलो ने अपने निवर्तमान विधायक और प्रधान महासचिव अभय सिंह चौटाला को ही फिर से उम्मीदवार बनाने की घोषणा कर दी है। बाकी पार्टियों ने अभी अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

‌महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ समय पहले तक इनेलो अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की खूबी यह रही थी कि वो चुनावों में अपने पत्ते आखिरी समय तक नहीं खोलते थे। वे बाकी पार्टियों द्वारा उम्मीदवार घोषित किये जाने का इंतजार करते थे और जब सब कुछ साफ हो जाता था तो वे सम्बंधित विधानसभा के सभी समीकरणों को ध्यान में रखकर अपना उम्मीदवार मैदान में उतारते थे। इससे उन्हें दो सहूलियत होती थीं एक तो वे ऐसा उम्मीदवार छाँट लेते थे जो पार्टी के हिसाब से सबसे उपयुक्त होता दूसरी सहूलियत यह थी कि टिकट के दावेदार काफी होते हैं लेकिन टिकट केवल एक ही व्यक्ति को दी जा सकती है, जब सभी विपक्षी पार्टियां अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी होती तो बागी कार्यकर्ताओं द्वारा पार्टी छोड़ने की गुंजाइश काफी कम हो जाती थी। इससे पार्टी में अनुशासन भी बना रहता। यहाँ एक बात ध्यान देने योग्य है कि ओमप्रकाश चौटाला ने दूसरी पार्टियों से आये नेताओं को अपनी पार्टी का टिकट देने से काफी हद तक परहेज रखा, इससे इनेलो का कैडर एकजुट रहता था। एक बात और भी है कि जो कार्यकर्ता या नेता इनेलो को छोड़कर दूसरी पार्टियों में चला जाता तो ओमप्रकाश चौटाला की उसमें दिलचस्पी खत्म हो जाती थी और वे उसे मनाने का कोई प्रयास नहीं करते थे। इसके चलते इनेलो में काली भेड़ का जुमला भी खूब लोकप्रिय हुआ था।

लेकिन ओमप्रकाश चौटाला के जेल जाने के बाद यह परंपरा टूटती चली गई। आपको याद होगा कि 2014 के विधानसभा चुनावों में इनेलो के उम्मीदवारों की पहली लिस्ट बाकी पार्टियों से काफी पहले आ गई थी! …और 2019 के चुनावों में तो इनेलो की स्थिति यह हो गई कि उसे सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लड़ने के लिए इच्छुक उम्मीदवार ही नहीं मिल पाए। वजह यह थी कि इनेलो दो-फाड़ हो चुकी थी और उसका लगभग सारा कैडर जेजेपी की तरह शिफ्ट हो गया था। इनेलो का यह अभी तक का सबसे बुरा दौर था। सबसे बड़ी बात यह भी थी कि बेशक ओमप्रकाश चौटाला इनेलो में थे लेकिन राज्य में राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी बन चुकी थीं कि उनके कोर वोटरों को भी मन मसोस कर उस कांग्रेस पार्टी को वोट डालने पड़े जिससे ओमप्रकाश चौटाला नफरत की हद तक नापसंद करते थे।

अब लौट आते हैं वर्तमान में, ऐलनाबाद उपचुनाव में बाकी सभी पार्टियों से पहले इनेलो ने अपने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है। घोषणा बेशक पहले कर दी हो लेकिन उसका तरीका ओमप्रकाश चौटाला के चिर परिचित तरीके की तरह रहा, उन्होंने या उनके पुत्र अभय चौटाला ने खुद इसकी घोषणा नहीं की बल्कि सिरसा के चौपटा गाँव में एक पंचायत के माध्यम से यह घोषणा करवाई गई। इससे इनेलो द्वारा यह मैसेज देने का प्रयास किया गया कि इनेलो को पंचायती मूल्यों में दृढ़ विश्वास है और हम अपना प्रत्याशी जनता पर थोप नहीं रहे। इस घोषणा से उन चर्चाओं पर विराम लग गया जिनमें संभावना व्यक्त की जा रही थी कि इनेलो अभय चौटाला की बजाय उनके पुत्र को चुनाव में उतार सकती है। मगर उन्होंने खुद चुनाव लड़ना बेहतर समझा। यह स्वभाविक भी है कि अभय सिंह चौटाला युवा पीढ़ी पर दाँव लगाने से पहले हजार दफा सोचेंगे, क्योंकि वे इस चक्कर में पहले ही अपने हाथ जलवा चुके हैं।

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