पांच सांसद, पांच विधायक, हरियाणा भाजपा प्रदेश अध्यक्ष थे मंच पर मौजूद इस शहीद सम्मान समारोह का मुख्यमंत्री को नहीं था न्यौता क्षेत्र में चर्चा— भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा का है जवाब राव इंद्रजीत पर आरोपों की बरसात क्या राव इंद्रजीत छोड़ेंगे भाजपा भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। राव इंद्रजीत को भाजपा शामिल होने के 8 वर्ष पूर्ण होने में चंद माह ही बचे हैं। इतने समय में भी राव समर्थकों और भाजपा के कार्यकर्ताओं में समन्वय नहीं हो पाया और सबसे बड़ी बात मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से इनका आरंभ से ही 36 का आंकड़ा रहा। मुख्यमंत्री शुरू से ही इनके समर्थकों के कहे अनुसार राव साहब के कार्यों में अवरोध पैदा करते रहे तथा उनके विरोधियों को मान देते रहे। अब हाल ही में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की जन आशीर्वाद यात्रा से इंद्रजीत समर्थकों के संयम का बांध टूटा और शायद उसी के फलस्वरूप आठ वर्ष बाद राव इंद्रजीत ने इतने धूमधाम से पाटौदा में शहीद सम्मान समारोह मनाया। इससे पूर्व उन्होंने 2013 में रेवाड़ी राव तुलाराम पार्क में बड़ी रैली की थी और उस रैली के कुछ पश्चात उन्होंने कांग्रेस छोडऩे और भाजपा में शामिल होने का ऐलान कर दिया। क्षेत्र की जनता अब यही अनुमान लगा रही है कि आने वाले समय में कोई बड़ा फैसला राव इंद्रजीत द्वारा लिया जाएगा। पाटौदा के शहीद सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि राव इंद्रजीत शामिल थे और उनके साथ भिवानी से सांसद धर्मबीर, रोहतक से सांसद अरविंद शर्मा, सोनीपत से सांसद रमेश कौशिक और राज्यसभा सांसद डीपी वत्स मौजूद थे। इनके अतिरिक्त दो मंत्री डॉ. बनवारी लाल और ओमप्रकाश यादव भी उपस्थित थे। विधायक सीताराम, सुधीर सिंगला और लक्ष्मण यादव भी मौजूद थे और इन सबसे बड़ी बात इस कार्यक्रम की अध्यक्षता हरियाणा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ कर रहे थे। क्षेत्र में बहुत चर्चा है कि इतना विशाल कार्यक्रम, इतना जनसमूह और मुख्यमंत्री को कार्यक्रम का आमंत्रण भी नहीं? लोगों का कहना है कि जन आशीर्वाद यात्रा में तो राव साहब को आमंत्रण था लेकिन वे और उनके समर्थकों ने कार्यक्रम से दूरी बना रखी थी और शायद इसलिए मुख्यमंत्री और उनके समर्थकों ने इस कार्यक्रम से दूरी बनाए रखी। अब गुरुग्राम की ही बात करें तो गुरुग्राम जिला भाजपा संगठन की ओर से इसमें कोई प्रतिभागिता नहीं थी लेकिन व्यक्तिगत रूप से भाजपा के पर्यावरण संरक्षण विभाग के हरियाणा के संयोजक नवीन गोयल हजारों लोगों को लेकर गए। इसी प्रकार मेयर मधु आजाद अनेक पार्षदों के साथ गईं। राव वीरेंद्र सिंह बेटे कहलाए जाने वाले राव भोपाल सिंह भी अपने समर्थकों के साथ वहां पहुंचे। इनके अतिरिक्त भी गुरुग्राम से अनेक पूर्व भाजपाई भी वहां पहुंचे। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री ने तो सोचा था कि राव इंद्रजीत जब भाजपा में शामिल हो गए तो इनके समर्थक भी भाजपाई हो गए और वह इनका रंग छोड़ भाजपा के रंग में रंग जाएंगे लेकिन यहां कुछ उल्टा ही नजर आ रहा है। कुछ उपेक्षित भाजपाई इंद्रजीत के समर्थक बन गए। इस तरह से राव इंद्रजीत ने यह दिखा दिया कि मैं अभी भी दक्षिणी हरियाणा का सबसे लोकप्रिय जनप्रतिनिधि हूं। पाटौदा के शहीद सम्मान समारोह की घोषणा होने के पश्चात सभी इंद्रजीत समर्थक बिना राव के निर्देश के भी सम्मान समारोह के लिए अपने-अपने स्तर पर प्रचार में जुट गए। इसे देख इंद्रजीत विरोधियों की तंद्रा टूटी और उन लोगों ने शायद इस सम्मान समारोह की सफलता में व्यवधान उत्पन्न करने के लिए राव इंद्रजीत सिंह पर आरोपों की बरसात कर दी। किसी ओर से कहा गया कि राव इंद्रजीत ने अमुक घोषणा की थी, वह पूरी नहीं हुई। इसी प्रकार की आवाजें रेवाड़ी, पटौदी, गुरुग्राम से उठने लगीं और इन सबसे बढ़कर राव इंद्रजीत पर रेवाड़ी के शिक्षण संस्थान अहीर कॉलेज की जमीन की रजिस्ट्री में घोटाले की बातें आने लगीं। प्रेस वार्ताएं की जाने लगीं। यह भी कहा गया कि इस संस्था को राव इंद्रजीत के परिवार ने अपने सदस्य भरकर परिवार की संस्था बना लिया है। हम नहीं जानते कि इन आरोपों में कितनी सच्चाई है या नहीं है लेकिन एक पश्न अवश्य खड़ा होता है कि यह मामले सब बहुत पुराने हैं और इनका इस समय एकदम से उठना तो सवाल खड़े करता ही है कि यह किसी योजना के अनुसार किया जा रहा है। दक्षिणी हरियाणा की राजनीति हरियाणा के बनने से ही रामपुरा हाउस के साथ या रामपुरा हाउस के विरोध में ही चलती रही है, केंद्र बिंदु रामपुरा हाउस ही रहा है। अब भी स्थिति वही है। राव इंद्रजीत सिंह रामपुरा हाउस के ही प्रतीक हैं और उनके विरूद्ध रेवाड़ी से कैप्टन अजय तो सदा विरोधी रहे ही हैं। कर्नल रामसिंह विजयी हुए थे, वह भी रामपुरा हाउस विरोध के कारण ही हुए थे। सुधा यादव विजयी हुई थीं, वह भी राव वीरेंद्र सिंह के एक वाकये के कारण ही हुई थी। राव वीरेंद्र सिंह ने बोला था कि यह भी मेरी बेटी है। राव मोहर सिंह का परिवार भी रामपुरा हाउस विरोधी रहा है, जिसकी नुमाइंदगी अब राव नरबीर कर रहे हैं। प्रश्न यह है कि अब वह कौन-सी ताकत है, जो योजना बनाकर इस प्रकार से विचार कर रही है। अगर जनचर्चा को सही मानें तो नाम मुख्यमंत्री मनोहर लाल का ही लिया जा रहा है। अब लगातार राव इंद्रजीत की छवि पर दाग ही दाग लगाए जा रहे हैं। आज भी कैप्टन अजय और रेवाड़ी से रणधीर कापड़ीवास, कल राव के परिवार के ही अजीत यादव के पुत्र ने अपने ताऊ पर आरोपों की झड़ी लगाई थी। अब देखना यह है कि राव कब इन आरोपों का जवाब देंगे। वर्तमान परिस्थितियों में जब शहीदी दिवस पर राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने भी राव तुुलाराम को श्रद्धांजलि दी, सारे प्रदेश से भी राव तुलाराम को श्रद्धांजलि देने के संदेश आते रहे किंतु हर शहीद को श्रद्धांजलि देने वाले मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कल कोई संदेश आया नहीं राव तुलाराम को श्रद्धांजलि देने का। इन सब बातों को देखकर लगता है कि अब जो दबी-छुपी टांग खिंचाई हो रही थी, वह अब खुलकर सामने आ जाएगी, एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर तीर चलेंगे, राव इंद्रजीत ने मुख्यमंत्री को अपनी शक्ति का अहसास करा दिया है और मुख्यमंत्री इस समय चहुंओर से घिरे नजर आ रहे हैं। कल 25 तारीख को ताऊ देवीलाल की जयंती पर भी इनेलो की ओर से जींद में बड़ा कार्यक्रम होने वाला है, जिसमें अन्य प्रदेशों के भी दिग्गज आ रहे हैं, क्या परिणाम होंगे यह तो कार्यक्रम के बाद पता लगेगा लेकिन यह तय है कि वह हरियाणा सरकार के लिए परेशानियां बढ़ाने वाले तो अवश्य होंगे। इसी प्रकार 27 तारीख को भारत बंद राज्य सरकार के लिए बड़ी परेशानी लेकर आ रहा है। समाचारों के अनुसार किसानों के साथ कर्मचारी, व्यापारी और आम आदमी भी सहयोग करता नजर आ रहा है। अब इन विपरीत परिस्थितियों से किस प्रकार पार पाएंगे हमारे मुख्यमंत्री, यह तो समय दिखाएगा लेकिन अब तक का उनका रिकॉर्ड है कि वह कोई न कोई युक्ति निकालकर परेशानियों से निपट लेते हैं लेकिन शायद यह समय सबसे बड़ी परीक्षा का है। इन परिस्थितियों में राजनैतिक चर्चाकारों का कहना है कि हरियाणा की राजनीति अनिश्चित नजर आ रही हैं। यहां जनता का सरकार पर विश्वास नहीं है और विपक्ष नदारद है, जिसका प्रमाण कल विपक्ष के नेता पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने खुद दे दिया यह कहकर कि हमने दो साल का समय सरकार को दिया था अब जनता के बीच जाएंगे। अरे भाई, सात साल हो गए, तुम जनता के बीच गए कब? तुमने तो अपनी राजनीति की है, ब्यान जारी किए हैं और अपना वर्चस्व बनाने का प्रयास किया है तो जनता आपकी बात का विश्वास क्यों करे? बात फिर वही है कि जनता देख रही है कि कोई ऐसा रहनुमा मिले जिसकी छत्रछाया में हम सुरक्षित रहे सकें। ऐसे में नए दल के उदय होने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं और उसमें राव इंद्रजीत जैसे कद के नेता का महत्वपूर्ण रोल रह सकता है। राव इंद्रजीत के विपक्षी पार्टी नेताओं के साथ भी संबंध मधुर ही रहे हैं। ऐसे में समय अपने शहीद सम्मान समारोह द्वारा राव ने जनता का मूड जाना है और इस मूड को जानने के पश्चात इसके अनुसार वह कभी भी कोई भी अप्रत्याशित फैसला ले सकते हैं। अत: यह कहने में कोई परहेज नहीं होना चाहिए कि राव इंद्रजीत सिंह भाजपा छोड़ सकते हैं। Post navigation गुरुग्राम में भारत बंद के समर्थन में निकाली बाइक रैली। ढ़ाबे पर हत्या करने के आरोपी को पुलिस ने किया काबू