तरविंदर सैनी (माईकल ) वार्ड-34 से आम आदमी पार्टी नेता एवम पार्षद स्वर्गीय आरएस राठी जी की आत्मा स्वर्गलोक तक अभी पहुँची भी थी कि नहीं मगर महत्वकांक्षी और आपदा के समय अवसर तलाशने वाली भारतीय जनता पार्टी उस दिवंगत आत्मा के परिवार तक जरूर पहुँच गई वह भी एक अदद पार्षद पद के “उपचुनाव के लिए ? हद है और शर्म आती है ऐसे राजनैतिक दल पर जो कहने को हिंदूवादी है परन्तु कार्य सारे धर्मविरोधी करने से गुरेज नहीं करती फिर चाहें लकड़ियों के अभाव में हिंदुओं को गंगा किनारे दफनाना हो या हाथरस कांड की रेप पीड़िता का शव आधी रात जलाना हो या फिर जिस महिला के पति की छ-माही तक नहीं हुई हो उसे अपनी बातों में बर्गलाकर अपना उम्मीदवार बनाना हो और यह पहला वाक्या नहीं है इससे पूर्व भी मरहूम अंतपाल (लाला ) कटारिया की धर्मपत्नी के पति खोने के जख्म भी नहीं भरे थे और उन्हें प्रत्याशी बना चुनाव मैदान में उतार चुकी है भाजपा और ठीक उसी प्रकार स्वर्गीय आरएस राठी जी आम आदमी पार्टी नेता जिन्होंने इन भाजपाईयों के खूब काले चिट्ठे खोले , इनकी प्रत्येक गतिविधि पर आक्षेप लगाए और जो भाजपा की नीतियों के बिल्कुल विपरीत सोच रखते थे उनका मुखरता से विरोध करते थे फिर चाहें कोई धरना प्रदर्शन करके या भाजपा नेताओं का पुतला दहन करके वह अपना विरोध जताते रहते थे , उनकी मुखर आवाज हमने नगर निगम के सदन में होने वाली बैठकों के माध्यम से भी सुनी और अनेकों बार किसान विरोधी काले कृषिकानूनों के विरोध में चल रहे धरनों में भी सुनी अर्थात ऐसी मुखर और आंदोलित आवाज को कफ़न में दफन हुए कुछ दिन ही हुए थे कि अपने जख्मों को सराह रही रोती बिलखती बहन रमा राठी को बेसुध हालात में बहकाकर अथवा अनजाना दबाव डालकर या ना जाने कैसे प्रलोभन देकर और शायद दिगभृमित कर अपनी पार्टी के लिए एक सीट जितने भर की मंशा से और वह भी उपचुनाव के लिए उम्मीदवार बना लाई । वार्ड-34 से आम आदमी पार्टी नेता एवम पार्षद स्वर्गीय आरएस राठी जी की आत्मा स्वर्गलोक तक अभी पहुँची भी थी कि नहीं मगर महत्वकांक्षी और आपदा के समय अवसर तलाशने वाली भारतीय जनता पार्टी उस दिवंगत आत्मा के परिवार तक जरूर पहुँच गई वह भी एक अदद पार्षद पद के “उपचुनाव के लिए ? तरविंदर सैनी (माईकल ) आम आदमी पार्टी सभी 35 वार्ड सयोंजक (कनविनियर ) का मन दुखी है भाजपा की ऐसी घटिया सोच और अमानवीयता को देखकर ! आम आदमी पार्टी ने कुछ दिनों के लिए अपनी पार्टी के नेता का स्वर्गवास हो जाने के कारण उनके बच्चों को परेशान न हो इसलिए उन्हें पार्टी की गतिविधियों में शामिल नहीं किया और समय समय पर उनकी सुध लेने जाते रहे मगर राजनीतिक रूप से उनसे कोई चर्चा नहीं की कारण उनके जख्मो को ताजा मानकर तकलीफ पहुंचेगी यह सोचकर – मगर आपदा में अवसर तलाशने वाली भाजपा जा पहुँची उस दुखिया बहन के जज्बातों को दरकिनार कर , उस पतिव्रता नारी के सिद्धांतों को भुलवाकर ,उनके मन को भटकाकर , पति द्वारा दिखाए मार्ग से भटकाकर उस मानसिक अस्थिरता के दौर से गुजर रही हमारी बहन के ऊपर समाजिक व पारिवारिक दबाव डलवाकर ना जाने कैसे उन्हें अपने चंगुल में फांस लाई ।। खेद है हमें ऐसे प्रकरणों पर और दुख होता है जानकर कि क्या वास्तव में ऐसी होती है राजनीति और क्या रामराज्य लाने वाले राजनैतिक दल की सोच यह है जो मानवतावादी होने का स्वांग तो करती हो मगर नैतिकता लेशमात्र भी नहीं हो ।। Post navigation RTI Activist हरिन्द्र धींगड़ा की अपील पैटीशन को किया खारिज, हरिन्द्र धींगड़ा के विरुद्ध पुलिस द्वारा की गई थी 182 भा.द.स. की कार्यवाही 1947 के विभाजन का दर्द – बुजुर्गों की जुबानी