अपने आप को RTI Activist बताने वाले हरिन्द्र धींगड़ा द्वारा नायब तहसीलदार (कादिपुर/हरसरु, गुरुग्राम) पर भ्रष्टाचार के लगाए गए आरोपों को न्यायालय ने बताया निराधार, हरिन्द्र धींगड़ा की अपील पैटीशन को किया खारिज।
नायब तहसीलदार द्वारा लोगों से पैसे लेकर रजिस्ट्री व सरकारी कार्य करने के लगाए था आरोपी, जिन्हें गुरुग्राम पुलिस द्वारा अपनी जाँच में पाया था निराधार।
नायब तहसीलदार के खिलाफ झूठी शिकायत देने पर हरिन्द्र धींगड़ा के विरुद्ध पुलिस द्वारा की गई थी 182 भा.द.स. की कार्यवाही। जिसके खिलाफ जाकर हरिन्द्र धींगड़ा 156 (3) सी.आर.पी. के तहत माननीय न्यायालत में की थी अपील।

अपने आप को RTI Activist बताने वाले हरिन्द्र धींगड़ा ने कीर्ति नायब तहसीलदार कादीपुर/हरसरु, गुरुग्राम द्वारा अवैध रुप से लोगों से रुपए लेकर जमीन/प्लॉटों की रजिस्ट्री करने तथा अन्य सरकारी कार्य करने की एक शिकायत थाना डी.एल.एफ. फेस-1, गुरुग्राम में दी थी। गुरुग्राम पुलिस द्वार प्राप्त शिकायत का गहनता से अध्यन करते हुए शिकायत में लगाए गए प्रत्येक पहलूओं को मध्यनजर रखते हुए जाँच की गई। पुलिस द्वारा की गई जाँच में शिकायतकर्ता हरिन्द्र धींगड़ा द्वारा नायब तहसीलदार कादिपुर/हरसरु, गुरुग्राम पर लगाए गए आरोप निराधार पाए गए। नायब तहसीलदार के खिलाफ झूठे आरोप लगाने व झूठी शिकायत देने पर गुरुग्राम पुलिस द्वारा शिकायतकर्ता हरिन्द्र धींगड़ा के खिलाफ नियमानुसार धारा 182 भा.द.स. की कार्यवाही की गई।

पुलिस द्वारा की गई जाँच व कार्यवाही से संतुष्ट नही होने के उपरान्त हरिन्द्र धींगड़ा द्वारा एक अपील पैटिशन धारा 156 (3) सी.आर.पी. के तहत माननीय न्यायालत में डाली। माननीय अदालत श्री फलित शर्मा, एडिशनल सेशन जज, गुरुग्राम द्वार इस अपील पर कार्यावाही करते हुए इस मामले से सम्बन्धित सभी गवाहों के ब्यान अंकित कराए व सभी सम्बन्धित साक्ष्यों को मध्यनजर रखते हुए तथा सभी पक्षों की दलीले सुनकर माननीय न्यायालय द्वारा दिनांक 17.09.2021 को इस मामसे में सुनवाई की और इस मामले को डिसमिस करने हुए कमेन्ट दिए कि समाज के कल्याण के लिए कार्य करना प्रशंसनीय है किन्तु समाज कल्याण के लिए समाजसेवी होने का ढोंग करते है और कानूनी प्रक्रियाओं का दुरुपयोग करते है, फिर भले ही किसी लोकसेवक की भ्रष्ट प्रथाओं के बारे में पता भी हो फिर भी कानूनी प्रक्रियाओं को दुरुपयोग करने की अनुमति नही है।

वास्तव में भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने निजी स्वार्थ के लिए लोक कल्याण के लिए लोक सेवक होने का ढोंग करना और कानूनू प्रक्रियाओं को दुरुपयोग करके लोक सेवक या किसी संस्था को टारगेट करके परेशान करते हुए अनुचित लाभ प्राप्त करने वाले की विचारधारा रखने वाले लोगों से समाज को न केवल सतर्क रहते की चेतावनी देना प्रर्याप्त है अपितु इनके खिलाफ कार्यवाही न करके ऐसे लोगों को अनियन्त्रित रहने के लिए प्रोत्साहित करना है, जिसके कारण इन्हें लगता है कि इनका कोई कुछ नही कर सकता। इस प्रकार के मामले में प्राप्त शिकायतों पर कानूनी दिशानिर्देशों के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार और यथासंभव ठोस सबूत के आधार पर ही दर्ज किया जाना चाहिए। इस मामले के सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, न्यायालय का विचार है कि वर्तमान शिकायत न तो सुनवाई योग्य है और न ही इसमें कोई योग्यता है। तदनुसार, इसे खारिज किया व अपील पैटीशन को किया खारिज।

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