किसान सरकार की पुलिस, फॉर्स, गोली या लाठी से डरने वाले नहीं : बलवंत नंबरदार

भारत बंद के दौरान किसानों का मकसद अशांति या अव्यवस्था फैलाना नहीं : बलवंत

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

 20 सितंबर – कृषि कानूनों के विरोध में करीबन दस माह से किसान आंदोलनरत्त है। इस दौरान जनवरी माह से सरकार व किसान नेताओं की वार्ता बंद होने के बाद संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 27 सितंबर को भारत बंद का आह्वान किया गया है। किसानों का कहना है कि मांगे पूरी होने तक सरकार के किसी भी षडय़ंत्र, गोली, लाठी या फोर्स से नहीं डरेंगे तथा ना ही संघर्ष से पीछे हटेंगे। यह बात कितलाना टोल पर पिछले 10 माह से जारी धरने को संबोधित करते हुए किसान नेता बलवंत नंबरदार ने कही। सोमवार को धरने की अध्यक्षता सांगवान खाप से नरसिंह सांगवान डीपीई, श्योराण खाप से बिजेंद्र बेरला, फौगाट खाप से बलवंत नंबरदार, किसान सभा से रणधीर कुंगड़, युवा कल्याण संगठन से कमल सिंह प्रधान, चौगापा खाप से मीरि सिंह निमड़ीवाली, सेवानिवृत्त कर्मचारी कमल सिंह झोझू, फूला देवी कितलाना, निम्बो देवी, कृष्णा देवी गौरीपुर, प्रेम देवी कितलाना ने की। वही मंच संचालन युवा कल्याण संगठन से सुभाष यादव ने किया। 

किसानों को संबोधित करते हुए किसान नेता बलवंत नंबरदार ने कहा कि उनका आंदोलन व भारत बंद शांतिपूर्वक होगा। उनका मकसद अशांति या अव्यवस्था फैलाना नहीं है, लेकिन सरकार ने आंदोलन को दबाने का प्रयास किया तो वो सरकार की हर गोली व लाठी का जवाब देने को भी तैयार हैं। सरकार ने कुछ भी गलत किया तो उसे खामियाजा भुगताना पड़ेगा। सरकार कोई षडयंत्र रच ले, किसी भी फोर्स या पुलिस को बुला ले, वो अपनी मांग पूरी होने तक डरने या पीछे हटने वाले नहीं। कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले दस माह से धरने पर बैठे है, लेकिन सरकार उनकी मांगों को सुनने की बजाए उन पर लाठियां बरसाकर अन्याय कर रही है। 

नंबरदार ने कहा कि आज सरकार की हठधर्मिता व तनाशाही के चलते देश का अन्नदाताआ सडक़ों पर बैठा है। सरकार पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों की बलि चढ़ाने को उतारू हो रही है, लेकिन किसान ऐसा नहीं होने देंगे तथा अपने हकों के लिए किसी भी हद तक संघर्ष करने को तैयार है।

 इस अवसर पर सतबीर सिंह, सत्ते काला, डॉ. राजीव गौरीपुर, पूर्व सरपंच समुंद्र सिंह, रणधीर घिकाड़ा, सूरजभान सांगवान कन्नी प्रधान, प्रेम थानेदार, शमशेर, रणधीर कुंगड़, धर्मचंद छपार, रामानंद धानक, भुजनराम जांगड़ा, संतू प्रजापत सहित अनेक किसान मौजूद रहे। 

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