चरखी दादरी जयवीर फोगाट 

19 सितंबर – संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर किसान-मजदूर संगठन व खापें 27 सितंबर के भारत बंद की तैयारी में जुट गए हैं। पांच सितंबर की मुजफ्फरनगर महापंचायत की सफलता के बाद यह 27 सितंबर का भारत बंद ही है, जो केन्द्र सरकार को किसानों की मांगे मानने के लिए मजबूर करेगा, क्योंकि यह बंद भाजपा की राजनीतिक जमीन खिसकाने का काम करेगा। यह बात कितलाना टोल पर धरने को सम्बोधित करते हुए किसान नेताओ ने कही। 

उन्होंने कहा कि सरकार के लिए किसान आन्दोलन सिरदर्द बना हुआ है, वह कारपोरेट को भी नाराज नहीं करना चाहती, उसे इस असंमजस में राजनीतिक नुकसान होना लाजमी है। उन्होंने ने कहा कि यह किसान आंदोलन की लड़ाई जनता और कारपोरेट के हितों के बीच है, दोनों के हितों में अर्न्तविरोध है, सरकार जनता की बजाए कारपोरेट हितों का पक्ष ले रही है। इसलिए लोग सरकार के विरोध में लामबंद हो रहे हैं, क्योंकि कारपोरेट परस्त नीतियां जनता की रोजी रोटी की तबाही कर रही हैं। इन नीतियों से ही भयंकर मंहगाई, बेरोजगारी व भुखमरी बढ़ रही है। खाद्य तेलों की मंहगाई ने गरीब जनता की कमर तोड़ दी है। 

कितलाना टोल धरने के 269 वें दिन सांगवान खाप 40 से नरसिंह सांगवान डीपीई, स्योराण खाप से जगदीश हुई, किसान सभा से ईश्वर दातोली, चौ0 छोटू राम डा0 अम्बेडकर मंच से गंगाराम स्योराण, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से सज्जन कुमार सिंगला, महिला मोर्चा से लिछ्मी डोहकी, कृष्णा गोरीपुर व राजबाला कितलाना, कामरेड ओमप्रकाश, मास्टर ताराचन्द चरखी, दादी बिरमा देवी, सुरजभान कन्नी प्रधान, सुरेन्द्र कुब्जा नगर, दिलबाग ढुल, शमशेर सिंह सांगवान, सुबेदार सतबीर सिहं, समुन्द्र सिहं धायल, प्रोफेसर जगविन्द्र सांगवान, कप्तान चन्दन सिहं, बुजन राम जागड़ा, रामानन्द धानक, ओम प्रजापति डोहकी, रमेश शर्मा, बेलीराम चमार, नन्दलाल अटेला, ओम नम्बरदार, जगन मिस्त्री, बलजीत मानकाबास, सत्यवान कालूवाला आदि शामिल रहे। 

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