सरकार किसानों को बर्बाद करने के लिए रोजाना ढूंढ रही है नए बहाने।
कृषि कानूनों के विरोध में कितलाना टोल पर जारी किसानों का धरना 264वें दिन भी रहा जारी

चरखी दादरी जयवीर फोगाट 

13 सितंबर –  कृषि कानूनों के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा 27 सितंबर को भारत बंद के आह्वान के बाद किसान एकजुट होना शुरू हो गए है। 27 के भारत बंद के लिए किसानों ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है और किसानों का कहना है कि इस दिन किसान पूरे उत्साह के साथ भारत बंद में भाग लेगे और सरकार को अपनी ताकत दिखाने का काम करेगा। इसके साथ ही किसानों ने कहा कि भाजपा सरकार किसानों को प्रताड़ित करने के लिए रोजाना नए बहाने ढूंढक़र किसानों व खेती को पूरी तरह से बर्बाद करना चाहती है, ताकि कृषि व्यवस्था को पूंजपीतियों के हाथों सौंप सकें। यह बात किसान नेताओ ने कितलाना टोल पर जारी किसानों के धरने को संबोधित करते हुए कही। तीन कृषि कानूनों के विरोध में कितलाना टोल पर जारी किसानों का धरना सोमवार को 264वें दिन में प्रवेश कर गया। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। 

धरने को संबोधित करते हुए नेताओ ने कहा कि भाजपा सरकार की किसान विरोधी नीतियों ने आज किसानों को बर्बादी की कगार पर खड़ा कर दिया है। एक तरफ तो भाजपा सरकार किसानों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं लागू करने का ढि़ंढ़ोरा पीटती है, वही दूसरी तरफ किसानों को बर्बाद करने के लिए रोजाना नए कानून पास किए जाते है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गन्ने के एमएसपी पर 12 रूपये की बढ़ोत्तरी कर यह बता दिया कि भाजपा सरकार कितनी किसान हितैषी सरकार है। 

उन्होंने कहा कि सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ किसान 27 सितंबर को अपनी आवाज बुलंद करते हुए भारत बंद में भाग लेंगे तथा सरकार को किसानों की ताकत से अवगत करवाएंगे। उन्होंने केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि यदि सरकार ने जल्द ही कृषि कानूनों को खत्म नहीं किया तो किसान सरकार के खिलाफ बड़ा आंदोलन छेडऩे को मजबूर होंगे। 

इस अवसर पर सांगवान खाप से नरसिंह सांगवान, श्योराण खाप से बिजेंद्र बेरला, चौ. छोटूराम भीमराव अंबेडकर से बलबीर बजाड़, रिटायर्ड कर्मचारी संघ से दिलबाग ढुल, फौगाट खाप से अतर समसपुर, महिला मोर्चा से फूला देवी कितलाना, चंद्र कलां डोहकी, कृष्णा गौरीपुर, संतरा, ममाकौर, रत्नी ने की। वही धरने का संचान सुरेंद्र कुब्जानगर,सूरजभान प्रधान, कमल प्रधान, सत्यवान कालुवाला, राजविंद्र, गंगाराम श्योराण, जगदीश हुई, संजय मानकावास, बस्तीराम, रोहताश सैनी, सुंदर सिंह, नरसिंह बागनवाला, शमशेर निमड़ीवाली, सुरेश डोहकी, नंदलाल अटेला, बलजीत, बबलू, लवली सरपंच, सुरेंद्र डोहकी, सुरेश डोहकी, जयसिंह डोहकी, मा. सुरेंद्र, जयप्रकाश, समुंद्र सरपंच, सत्यवीर सहित अनेक किसान मौजूद रहे।  

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