कोरोना के नाम पर एक साल से भी अधिक समय से बन्द पडी मंडी
जिला प्रशासन नही दे रहा दूबारा मंडी खोलने की परमिशन

रमेश गोयत

पंचकूला, 27 अगस्त। शहर के विभिन्न सैक्टरो में किसान मंडी लगाकर अपने परिवारों का लालन-पोषण करने वाले 5 हजार परिवारों को मंडी न लगने के कारण भूखमरी की कागार पर पहुंच गए है। लगभग 5000 लोग मंडियों के इस व्यवसाय से प्रत्यक्ष परोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं और रोजगार की व्यवस्था न होने के कारण आज उनकी सब तरह की चिंताएं बढ़ी हुई हैं। सब्जी उत्पादक किसान तथा पंचकूला में सप्ताह भर 4 अलग-अलग जगह सेक्टरों मे ंअस्थाई किसान मंडियां लगाकर फल और सब्जी बेचकर आजीविका चलाने वाले लोग, इस कार्य से जुड़े छोटे ट्रांसपोर्ट आदि हजारों ऐसे लोग हैं जिन्हें अब अपना  व्यवसाय पुन: शुरू करने की इजाजत नही मिल रही है।

इस व्यवसाय से जुड़े लोगों के सैकड़ों प्रतिनिधि बहुत बार उपायुक्त, विधायक एवं हरियाणा विधानसभा के स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता नगर निगम के मेयर कुलभूषण गोयल ही नहीं हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के मुख्य प्रशासक से मिलकर मंडी लगाने की स्वीकृति देने की गुहार लगा चुके हैं। परंतु दर-दर की इस तरह की ठोकरें खाने के बाद भी उन्हें न्याय और रोजगार दोनों नही मिल पा रहे हैं। चमन लाल अध्यक्ष अपनी मंडी किसान मंडी फ्रूट एंड वेजिटेबल वेलफेयर एसोसिएशन पंचकूला ने बताया कि शहर में अलग-अलग दिन और अलग-अलग जगह फल और सब्जी बिक्री की मंडी लगाने की जो व्यवस्था 1991 से सफलतापूर्वक चल रही थी। कोविड-19 में संक्रमण का नाम लेकर न केवल बंद करने की साजिश की जा रही है। चंडीगढ़ में सेक्टर 26 में सब्जी मंडी पूरे समय चल रही है।

सप्ताहिक फल व सब्जी मंडियों को स्थानीय निवासियों, रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन का पूरा समर्थन प्राप्त है। इन मंडियो के बंद होने के बाद जहां सब्जी उत्पादकों की उपज की दुर्गति हो रही है। चमन लाल व शमशेर सिंह ने बताया कि निर्णय लिया है कि प्रशासन और विभाग को आगामी 31 अगस्त तक का अल्टीमेटम दिया जाए। सरकार मतलब प्रशासन ने इस अवधि तक मंडिया चलाने की इजाजत नहीं दी तो फिर एसोसिएशन धरना प्रदर्शन करने और फिर बिना मंजूरी के मंडी लगाने को मजबूर होंगी।