कितलाना टोल पर महिलाओं ने हर्षोल्लास से मनाया सर्वधर्म रक्षाबंधन

किसानों ने महिलाओं को दिया रक्षा का वचन, धरना 241वें दिन जारी

चरखी दादरी जयवीर फोगाट

22 अगस्त – भाई और बहन के असीम प्रेम और अटूट रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार कितलाना टोल पर महिलाओं ने हर्षोल्लास से मनाया। किसानों के अनिश्चितकालीन धरने के 241वें दिन हिन्दू धर्म को महिलाओं ने मुस्लिम समुदाय के किसानों को भी राखी बांधी वहीं भाईयों ने अपना फर्ज निभाते हुए उनकी रक्षा का वचन देते हुए कहा कि तीन काले कानूनों के खिलाफ इस संघर्ष में वे अपनी बहनों का डटकर साथ देंगे और उससे आगे भी जीवन पर्यन्त हर हालात में बहनों के साथ खड़े मिलेंगे। भावनाओं से ओतप्रोत इस दृश्य को देखकर कई बुजुर्गों की आंखें नम हो गई।

सेवानिवृत्त कर्मचारी शब्बीर हुसैन ने कहा कि तीन काले कानूनों के विरूद्ध नौ महीने से चल रहे जनांदोलन में बहन- बेटियों ने सर्वसमाज का जो साथ दिया है वो अविस्मरणीय और अवर्णनीय है। संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर चाहे भारत बंद हो या रोड़ रोको कार्यक्रम हो, चाहे हिसार या रोहतक में किसानों पर हुए लाठीचार्ज के खिलाफ आंदोलन की बात हो या चंडीगढ़ में राजभवन घेराव का कार्यक्रम हो हर मौके पर बहनों ने किसान- मजदूर भाईयों का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दिया है। उन्होंने कहा कि हम भी अपने फर्ज को निभाएंगे और बहनों पर कोई आंच नहीं आने देंगे।        

धरने के 241वें दिन सांगवान खाप 40 से नरसिंह सांगवान डीपीई, स्योराण खाप से बिजेन्द्र बेरला, किसान सभा से प्रतापसिंह सिंहमार, दिलबाग ढुल, सुभाष यादव, कमल सांगवान व महिला नेत्री सुशीला घणघस ने संयुक्त रूप से अध्यक्षता की। उन्होनें इतिहास पर रोशनी डालते हुए कहा कि बहन भाई का रिश्ता अटूट होता है इसमें बहन अपने भाई के भरोसे का रक्षा सूत्र बांधती है। चित्तौड़ की राजपूत महारानी कर्णावती ने चित्तौड़ की जनता का सम्मान बचाने के लिए मुगल बादशाह हुमांयू के पास राखी भिजवाई थी। बादशाह हुमांयू ने अपना बंगाल जीत का दौरा बीच में छोड़कर चित्तौड़ पर हमलावर गुजरात के बादशाह बहादुरशाह को हराया था और बहन कर्णावती व  उनकी जनता का सम्मान किया था। 

झ्स अवसर पर सुरजभान झोझू, सुरेन्द्र कुब्जानगर, रणधीर घिकाड़ा, कमल प्रधान, जगदीश हुई, धर्मेन्द्र छ्पार, रणधीर कुंगड़, शब्बीर हुसैन, सुलतान खान, सतीश सांगवान, सुबेदार सतबीर सिंह, चन्द्र चमार छ्पार, राजेश जांगड़ा, बलजीत मानकावास, लीलाराम धानक, हरबीर नम्बरदार, सुबेदार कवंरशेर चन्देनी शामिल थे।

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