कालसर्प योग वाले व्यक्ति के लिए नागपंचमी सर्वोपरि।देवताओं को गाय का दूध ही अर्पित होता है। वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक कुरुक्षेत्र :- यदि जातक की जन्म कुण्डली में जब सभी ग्रह राहू व केतु के मध्य पड़ते हैं तो उसे काल सर्प दोष कहते हैं। यह कुण्डली का बन्धन योग भी कहलाता है। नाग पंचमी के पावन पर्व पर कालसर्प दोष का उपाय करने का विशेष महत्व माना जाता है जो इस बार श्रावण शुक्ल पक्ष 13 अगस्त शुक्रवार को है। षड्दर्शन साधु समाज हरियाणा के संगठन सचिव वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने कार्यालय सम्मुख दुःखभंजन महादेव मन्दिर कुरुक्षेत्र से जानकारी देते हुए बताया कि शिव भक्तों को काल सर्प योग से घबराने की जरूरत नहीं है जो भक्त नित्य प्रति शिवलिंग पर जल अर्पित करते हैं वो जातक कालसर्प दोष व असाध्य रोगों से मुक्त रहते हैं। उन्होने बताया कि नाग पंचमी या महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर नाग-नागिन का चांदी का जोड़ा बनवाकर उसके ऊपर सोने का पानी चढवाएं। साथ में सवा किलो चने की दाल, सवा मीटर पीला कपडा, दो जनेऊ, केसर, पांच प्रकार के फल, पांच प्रकार के मेवे, पंचामृत, गाय का कच्चा दूध, पीले फूल, पीले फूलों की एक माला व 27 बूंदी के लडडू शिवलिंग पर चढाने, अर्पित करने से काल सर्प दोष दूर हो जाता है परन्तु सभी व्यक्तियों को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये कि काल सर्प योग जैसे बड़े दोषों का ज्योतिष शास्त्र में कोई भी एक ऐसा उपाय नहीं है जो एकबार करने से जिन्दगी भर के लिए अपना पूरा असर रखता है इसलिए व्यक्तियों को किसी भी तरह के संदेह में ना पड़कर हर वर्ष नाग पंचमी या शिवरात्रि के पावन पर्व पर इस दोष के निवारण हेतु भगवान शिव की शरण में जाना चाहिए । वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक ने बताया कि इस उपाय को करने से जातक को मानसिक शांति मिलती है व धन-धान्य में वृद्धि होती है पारिवारिक क्लेश समाप्त हो जाते हैं संतान पुत्ररत्न की प्राप्ति होती है सोया हुआ भाग्य जागृत हो जाता है। Post navigation महाभारतकालीन स्थाणु महादेव मन्दिर में नाग पंचमी पर होगा सवा लाख पार्थिव शिव लिंगों का पूजन। महाभारतकालीन स्थाणु महादेव मन्दिर में नागपंचमी पर हुआ सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का रुद्राभिषेक