चरखी दादरी जयवीर फोगाट

चरखी दादरी, 31 जुलाई। दादरी जिला की गौशालाएं बायो गैस प्लांट लगाकर ग्रामीणों के लिए उपयोगी खाद, बिजली और कुकिंग गैस का उत्पादन कर सकती हैं। सरकार बायोगैस प्लांट स्थापित करने के लिए प्रोत्साहनस्वरूप चालीस प्रतिशत अनुदान दे रही है।

अतिरिक्त उपायुक्त विरेंद्र सिंह लाठर ने यह जानकारी देते हुए बताया कि हरियाणा प्रदेश में सात लाख साठ हजार पालतू पशुधन है। जिनके गोबर का प्रयोग करते हुए 3.8 लाख क्यूबिक मीटर बायोगैस पैदा की जा सकती है। इस बायोगैस से रोजाना तीन सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन हो सकता है। उन्होंने बताया कि दूध डेयरी व गौशालाएं 25, 35, 45 व 85 क्यूबिक मीटर क्षमता तक के बायोगैस प्लांट लगाकर 40 प्रतिशत अनुदान का लाभ ले सकती हैं। यह प्लांट लगाने के लिए एडीसी ऑफिस  में परियोजना अधिकारी सुभाष सैनी के पास आवेदन जमा करवाए जा सकते हैं। पंचकूला स्थित हरियाणा नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग अर्थात हरेडा इस स्कीम का संचालन करता है और वहीं से अनुदान की स्वीकृति मिलती है।

अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि 25 क्यूबिक मीटर क्षमता के बायोगैस प्लांट के लिए 70 से 80, 35 क्यूबिक मीटर प्लांट के लिए सौ से एक सौ दस, 45 क्यूबिक मीटर के लिए 125 से 140, साठ क्यूबिक मीटर के लिए 175 से 180 और 85 क्यूबिक मीटर क्षमता का संयंत्र स्थापित करने के लिए 250 से 270 पशुओं के गोबर की आवश्यकता होती है। बायोगैस प्लांट लगाकर हम पर्यावरण  प्रदूषण की रोकथाम करते हैं तथा इससे प्राकृतिक खाद मिलती है, जो खेती के लिए बढिय़ा उपजाऊ शक्ति का काम करती है। इसके अलावा बायो गैस प्लांट से धुआंरहित गैस निकलती है, जिसका उपयोग एलपीजी की तरह खाना बनाने में किया जाता है। पिलानी स्थित बिरला इंजीनियरिंग कालेज में ऐसा ही एक प्लांट पिछले पचास सालों से चलाया जा रहा है, जो पूरे कैंपस में कुकिंग गैस की सप्लाई करता है। इसका खर्च मुश्किल से सौ रूपए महीना आता है।

विरेंद्र सिंह लाठर ने बताया कि बायो गैस प्लांट से ही बिजली बनाकर आसपास के क्षेत्र में इसकी आपूर्ति की जा सकती है। जिससे लाभपात्र घरों की निर्भरता बिजली वितरण निगम की सप्लाई पर न्यूनतम रह जाती है और कोई पावर कट भी नहीं लगता। इस बिजली का बहुत कम खर्च एक घर पर आता है। इस प्रकार बायोगैस प्लांट के अनेकों अनेक फायदे हैं। गोबर को रिसाइकिल कर हम ऊर्जा का बेहतर विकल्प इस्तेमाल में ला सकते हैं। इसलिए जिला की डेयरी संस्थान और गौशालाओं को इस प्रकार के प्रोजेक्ट लगाने में गंभीरता से विचार करना चाहिए। इस प्लांट के लिए आवेदन अगले 15 दिन में जमा करवाए जा सकते हैं।

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