बोधराज सीकरी बने भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी के मनोनीत सदस्य
 सीएसआर ट्रस्ट हरियाणा के वाईस चेयरमैन हैं बोधराज सीकरी

भारत सारथी

गुरुग्राम। राजनीति की बिसात पर गुरुग्राम के समाजसेवी, उद्योगपति एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता बोधराज सीकरी की बिसात बिछ चुकी हैं। पार्टी और सरकार में उन्हें अहम जिम्मेदारियां देकर लगातार उनका कद बढ़ाया जा रहा है। दूरगामी सोच के धनी बोधराज सीकरी को अब भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश कार्यकारिणी में मनोनीत सदस्य नियुक्त किया गया है।

 हाल ही में उन्हें मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा सीएसआर ट्रस्ट हरियाणा के वाईस चेयरमैन की जिम्मेदारी दी गई थी। इस ट्रस्ट के चेयरमैन स्वयं मुख्यमंत्री मनोहर लाल हैं। बहुत ही कम समय में बोधराज सीकरी ने राजनीति के क्षेत्र में अपनी बढ़त बनाई है। विधानसभा चुनाव 2019 में बोधराज सीकरी ने गुडगांव विधानसभा से भाजपा की टिकट के लिए पार्टी में आवेदन किया था। और भी कई नेता इस दौड़ में थे। इसी बीच पार्टी की ओर से यहां की टिकट पूर्व मंत्री सीता राम सिंगला के बेटे सुधीर सिंगला को दे दी गई। टिकट के दावेदार कुछ नेताओं ने सुधीर सिंगला के नाम पर टिकट की घोषणा होते ही एक तरह से पार्टी से ही किनारा कर लिया था। यहां तक कि उस समय विधायक रहे उमेश अग्रवाल भी पार्टी से बागी हो गए थे और उन्होंने भाजपा उम्मीदवार सुधीर सिंगला के खिलाफ अपनी पत्नी का ही नोमिनेशन भरवा दिया था। हालांकि बाद में उन्होंने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और खुद सुधीर ङ्क्षसगला के अनुरोध पर पर्चा वापस ले लिया। उमेश अग्रवाल व सुधीर सिंगला आपस में समधि भी हैं।

 खैर, जिस समय में भाजपा के कई नेता टिकट का सपना टूटने पर मुख्यधारा से हट गए थे, उस समय में बोधराज सीकरी ने बिना किसी विवाद, बिना किसी विरोध के सुधीर सिंगला के पक्ष में दिन-रात काम किया। उनको जीत दिलाने में सदैव मतदाताओं के बीच जाते रहे। बोधराज ने कहा था कि उनकी टिकट की दावेदारी जरूर थी, लेकिन पार्टी ने जिसे उम्मीदवार बनाकर भेजा है, उसकी सहायता करना भी उनका धर्म है। यही अनुशासन भारतीय जनता पार्टी सिखाती है।

बोधराज सीकरी की यही दूरगामी सोच उन्हें औरों से अलग करती है। बोधराज सीकरी वाईस चेयरमैन का पद मिलने से पहले भी नियमित तौर पर पार्टी हित में कार्यरत थे। सरकार की योजनाओं के प्रचार-प्रसार की बात हो या फिर कोई और काम, उनके कदम कभी पीछे हटते नहीं दिखाई दिए। यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी कि बोधराज सीकरी-कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन यानी कर्म करते रहो, फल की इच्छा ना करो…के नियम पर वे चलते रहे हैं। बोधराज सीकरी ने कभी फल की इच्छा नहीं की, लेकिन उन्हें राजनीति के पेड़ से फल अच्छा मिला है।

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