उच्च न्यायालय ने पीडि़ता पक्ष को मामले के सभी प्रसांगिक तथ्य उपलब्ध कराने के दिए आदेशइस मामले में क्या-क्या कब हुआ? अगली सुनवाई 18 को गुडग़ांव, 29 जुलाई (अशोक): नाबालिका के वीडियो को तोड़-मरोडक़र प्रसारित करने के मामले में वर्ष 2015 में पालम विहार पुलिस थाना में दर्ज पॉक्सो एक्ट मामले की सुनवाई पंजाब एंड हरियाणा उच्च न्यायालय में हुई। मामले की पैरवी कर रही सामाजिक संस्था जन-जागरण मंच के अध्यक्ष हरि शंकर कुमार से प्राप्त जानकारी के अनुसार हरियाणा उच्च न्यायालय में वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से न्यायाधीश गुरविंदर सिंह गिल ने की। न्यायालय में पीडि़त पक्ष के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता केके मनन ने इस मामले से संबंधित जो स्टेटस रिपोर्ट न्यायालय में पेश की है, उस पर ऐतराज उठाते हुए कहा कि उसमें अभी कुछ आरोपी रह जाते हैं। प्रदेश सरकार की ओर से न्यायालय को बताया गया कि जो आरोपी रह गए थे, उनके खिलाफ अतिरिक्त चार्जशीट गुडग़ांव के जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश कर दी गई है। जिस पर सत्र न्यायालय आगामी 20 सितम्बर को चार्ज फ्रेम पर बहस की सुनवाई करेगा। न्यायाधीश ने पीडि़ता के अधिवक्ता से आग्रह किया कि ऐसा लगता है कि यह मामला काफी लंबा है। इसलिए विभिन्न घटनाओं की एक कालनुक्रमित सूची जब से केस शुरु हुआ है, तब से लेकर अब तक इस मामले में क्या-क्या कब हुआ, मामले से संबंधित सभी प्रसांगिक तथ्य उपलब्ध करा दें, ताकि इस मामले में निर्णय सुनाने से पहले सभी घटनाओं को ध्यान में रखा जा सके। न्यायालय अब इस मामले में आगामी 18 अगस्त को सुनवाई करेगा। पीडि़ता के अधिवक्ता ने इस मामले में जल्दी सुनवाई के लिए न्यायालय से आग्रह किया था। जिसको न्यायालय ने स्वीकार कर 28 जुलाई की तारीख निश्चित की थी। जिस पर सुनवाईहुई और न्यायालय ने प्रसांगिक तथ्य उपलब्ध कराने के आदेश पीडि़ता के अधिवक्ता को दिए हैं। पुलिस ने जो अतिरिक्त चार्जशीट गुडग़ांव के जिला एवं सत्र न्यायालय में पेश की है, उसके संबंधित आरोपियों पर 10 सितम्बर को आरोप तय किए जाएंगे और आरोप तय करने से पूर्व दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस भी होगी। गौरतलब है कि वर्ष 2013 की 2 जुलाई को पालम विहार क्षेत्र के सतीश कुमार (काल्पनिक नाम) के घर संत आशाराम बापू आए थे। बापू ने परिवार के सदस्यों सहित उनकी 10 वर्षीय भतीजी को आशीर्वाद भी दिया था। उस समय सतीश के घर के कार्यक्रम की वीडियो आदि भी बनाई गई थी। बापू आशाराम प्रकरण के बाद टीवी चैनलों ने बनाई गई वीडियो को प्रसारित किया था। परिजनों ने आरोप लगाए थे कि उनकी व आशाराम बापू की छवि धूमिल करने के लिए वीडिय़ो को तोड़-मरोडक़र अश£ील व अभद्र तरीके से प्रसारित किया गया था, जिससे परिवार व मासूम बालिका को मानसिक व सामाजिक रुप से कष्ट झेलना पड़ाथा। आहत होकर परिजनों ने पालम विहार थाने में शिकायत दर्ज कराई थी, जिस पर पुलिस थाना ने जीरो एफआईआर दर्ज कर नोएडा पुलिस को भेजकर अपना पल्ला झाड़ लिया था। पीडि़त पक्ष को सहयोग करने वाली संस्था जन जागरण मंच इस मामले की पैरवी कर रही है और संस्था पुलिस पर आरोप लगाती रही है कि वह आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही करने में झिझक रही है, जिसको लेकर संस्था ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया हुआ है। Post navigation वीरवार को गुरुग्राम में 04 लोगों ने कोरोना को शिकस्त दी, कोरोना के 05 पॉजिटिव केस मिले राजनीति की बिसात पर बढ़ रहा बोधराज सीकरी का कदम