• कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की ओर से दीपेन्द्र हुड्डा ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिये लगातार दूसरे दिन काम रोको प्रस्ताव दिया
• आज भी कार्यस्थगन प्रस्ताव सभापति ने अस्वीकार किया जिसको लेकर विपक्ष व सरकार में कड़ा गतिरोध बना सभापति ने सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी
• देश के किसान पर चर्चा का समय भारत की संसद में नहीं मिलेगा तो क्या जिम्बाबवे की संसद में मिलेगा – दीपेन्द्र हुड्डा
• सरकार बताए क्या फ़ोन टैपिंग कराना, किसान को निशाने पर रखना, गरीबों को महंगाई की चोट मारना सकारात्मक राजनीति है – दीपेन्द्र हुड्डा

दिल्ली, 20 जुलाई। राज्य सभा सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने आज लगातार दूसरे दिन कांग्रेस पार्टी और विपक्ष की तरफ से देश के किसानों के मुद्दे पर अविलम्ब चर्चा के लिये काम रोको प्रस्ताव दिया। आज भी प्रस्ताव को राज्य सभा के सभापति ने अस्वीकार किया, जिसको लेकर विपक्ष व सरकार में कड़ा गतिरोध बना। कार्यस्थगन प्रस्ताव खारिज किये जाने पर पूरा विपक्ष एकजुट होकर खड़ा हो गया और जब किसान के हक में विपक्ष ने आवाज़ उठाई तो संसद की कार्यवाही स्थगित कर दी गई। दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि दुर्भाग्य की बात है कि अहंकार में डूबी सरकार के पास किसान की बात सुनने का समय नहीं है। लेकिन इस सरकार के पास फ़ोन टैपिंग करके अपने राजनैतिक प्रतिद्वंदियों, ज्यूडीशियरी, मीडिया की बात सुनने का पूरा समय है। सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने उनके काम रोको प्रस्ताव का समर्थन करने के लिये पूरे विपक्ष का धन्यवाद किया।

उन्होंने कहा कि सरकार अहंकार में इतनी मगन है कि किसानों के मुद्दे पर विपक्ष की तरफ से एक बात भी सुनना नहीं चाहती। सरकार के रवैये से ऐसा लगता है सरकार के कान केवल अपनी तारीफ सुनना चाहते हैं। दीपेन्द्र हुड्डा ने सरकार से सवाल किया कि यदि देश के किसान की आवाज़ उठाने का समय भारत की संसद में नहीं मिलेगा तो क्या जिम्बाबवे की संसद में मिलेगा। विपक्ष को किसानों की आवाज़ उठाने तक का समय न देना इस बात का प्रतीक है कि सरकार आज भी अहंकार में है। 8 महीने से किसान सड़कों पर हैं, 400 से ज्यादा किसानों ने कुर्बानी दे दी। फिर भी किसान शांति और संयम के साथ डटे हैं। इस सरकार के पास देश की संसद के अंदर किसान की आवाज़ सुनने का संयम नहीं है। क्या सरकार में इतनी संवेदनशीलता नहीं होनी चाहिए कि किसान को बुलाकर बातचीत करें।

दीपेन्द्र हुड्डा ने सत्तापक्ष द्वारा विपक्ष पर नकारात्मक राजनीति करने के आरोपों का जवाब देते हुए पूछा कि सरकार बताए क्या फ़ोन टैपिंग कराना सकारात्मक राजनीति है? क्या किसान को निशाने पर रखना सकारात्मक राजनीति है ? क्या गरीब आदमी को महंगाई की चोट मारना सकारात्मक राजनीति है? उन्होंने कहा कि संसद में वो किसानों के मुद्दे को फिर उठाएंगे और किसान की आवाज़ किसी कीमत पर कमजोर नहीं पड़ने देंगे न ही दबने देंगे।

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