भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक

गुरुग्राम। आज इनेलो सुप्रीमो पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की तिहाड़ जेल से विधिवत रिहाई हो गई। बड़े जोर से ढोल-नगाड़ों के साथ इनेलो द्वारा प्रसन्नता मनाई जा रही है और प्रचारित किया जा रहा है कि ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई से इनेलो फिर सत्ता में आ जाएगी।

विचारनीय बात यह है कि जो व्यक्ति 17 वर्ष से सत्ता से दूर है, 90 पार कर चुके हैं और अब भी कानून के अनुसार वह चुनाव नहीं लड़ सकते आगामी 6 वर्ष तक। वैसे अभी मुकदमे और भी उन पर चल रहे हैं तो इन परिस्थितियों में ऐसा कौन-सा चमत्कार कर पाएंगे और कैसे चौटाला साहब।

ध्यान दें तो जिस समय इनेलो टूटकर उनके पोतों ने जजपा बनाई थी, तब भी वह पैरोल पर बाहर थे अर्थात उनकी उपस्थिति में ही इनेलो का विभाजन हुआ और वर्तमान में जब उनके पौत्र ही उनके साथ नहीं आ रहे तो कौन लोग इनके साथ आएंगे? 

माना कि चौ. ओमप्रकाश चौटाला बड़े जनाधार के नेता रहे थे परंतु 17 वर्ष का समय कम नहीं होता। उनके साथ के लोग अधिकांश राजनीति छोड़ चुके हैं और जो उनके भक्त घरों में थे, वे भी इस उम्र और स्थिति में आ गए हैं कि परिवार, समाज से अप्रसांगिक से ही हो गए हैं।

मुझे तो लगता है कि जिस प्रकार डूबता हुआ आदमी तिनके का सहारा ढूंढता है, उसी प्रकार इनेलो इस समय चौटाला साहब के आने से समझ रही है कि हमें सहारा मिल गया लेकिन कैसे और कब, यह कोई नहीं जानता। हां, एक बात अवश्य देखी जा रही है कि चौ. अभय सिंह चौटाला बड़े जोर-शोर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कांग्रेस को ओमप्रकाश चौटाला की गिरफ्तारी का जिम्मेदार बता रहे हैं। अब जिस शिद्दत से यह इन पर आरोप लगा रहे हैं, वह इतने समय जब जेल में थे, तब क्यों नहीं लगाए?

कुछ राजनैतिक विश्लेषकों का कहना है कि वर्तमान में भाजपा से जनता का मोह भंग हो गया है और जजपा का भाजपा के साथ होने से जजपा के साथ भी जनता का रूझान होने की संभावना नहीं है। ऐसी स्थिति में जनता के पास विकल्प के रूप में कांग्रेस ही नजर आती है और कांग्रेस का नेतृत्व भी वर्तमान में भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथ में है और जाट वोट इनेलो की ताकत रहे हैं। अत: उन जाट वोटों को कांग्रेस की ओर जाने की बजाय अपनी ओर करने के लिए कांग्रेस पर चौटाला को गिरफ्तार करवाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। अब देखिए ओमप्रकाश चौटाला के आने से क्या कुछ इनेलो का प्रभाव बढ़ेगा?

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