-जिला विधिक सेवा प्राधिकरण व एनजीओ चेतना ने संयुक्त रूप से किया आॅनलाईन कार्यक्रम का आयोजन

गुरुग्राम, 25 जून। कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन योजनाओं का लाभ उन बच्चों तक पहुंचाने के उदेश्य से आज जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गुरुग्राम तथा चेतना एनजीओ ने  जिला स्तरीय चर्चा का आयोजन किया। यह चर्चा आॅनलाईन माध्यम से की गई थी।

 चर्चा में शामिल जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव एवं चीफ जुडिशियल मैजिस्टेªट श्रीमती ललिता पटवर्धन ने बताया कि हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाये जा ‘प्रोजेक्ट होप’ के माध्यम से कोविड-19 महामारी के दौरान अपने माता-पिता अथवा दोनो में से परिवार का भरण पोषण करने वाले एक सदस्य को खोने वाले बच्चों को विभिन्न सरकारी योजनाओं जैसे आयुष्मान भारत योजना, मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना आदि का लाभ दिया जाना चाहिए। ऐसा बच्चा सरकारी या प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहा है तो बाल कल्याण परिषद के माध्यम से उस बच्चे का सारा खर्च सरकार वहन करेगी। साथ ही उनका कहना था कि प्राधिकरण इन बच्चों के दस्तावेज जैसे आधार कार्ड, बैंक अकाउंट  या अन्य प्रमाण पत्र बनवाने में भी पुरी तरह से मदद कर रही है। चूँकि यह सब जानकारी जनता तक पहुंचना जरुरी है इसलिए प्राधिकरण, लूप नाम से एक कार्यक्रम भी चला रहा है जिसके तहत प्राधिकरण के अधिकारी उन बच्चों के पास जाकर सरकारी योजनाओं की जानकारी दे रहे हैं।

कार्यक्रम में शामिल महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी सुनैना ने योजनाओं के बारे में  विस्तार से बताते हुए कहा कि कोविड 19 से प्रभावित हुए बच्चों की पहचान करने के लिए आंगनवाड़ी, आशा वर्कर , हेल्थ वर्कर, पैरालीगल वालेंटियर की पूरी टीम काम कर रही है। जिनके माता या पिता या इनमे से परिवार का भरण पोषण करने वाले किसी एक की मृत्यु कोरोना से हुई है, उन बच्चों को मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना से जोड़ा जा रहा है जिसमे कई प्रावधान हैं। उन्होंने बताया कि समेकित बाल विकास योजना जिसमे आंगनवाड़ी का संचालन होता है तथा समेकित बाल संरक्षण योजना जिसमे जिला बाल संरक्षण इकाई का गठन कर बच्चों को संरक्षित किए जाने का काम भी हो रहा है । 

बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष  सुनील कोहली  ने बताया कि जो भी बच्चे कोरोना से प्रभावित हुए हैं, उनकी मदद के लिए सभी सरकारी विभागों से समन्वय बनाकर योजना का लाभ दिलवाने में मदद की जा रही है। साथ ही ऐसे बच्चो के लिए ‘संघर्ष से उत्कर्ष’ तक का  अभियान चला कर उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है। 

चाइल्डलाइन गुरुग्राम के निदेशक रविकांत ने बताया कि गुरुग्राम एक मेगा सिटी है, जहाँ पर बहुत से प्रवासी परिवार रह रहे है। इनके पास जरुरी दस्तावेज भी नहीं है। ऐसे में इन्हे इन योजनाओ से जोड़ना चुनौती पूर्ण कार्य है। साथ ही बाल तस्करी के मामले भी बढ़ने की सम्भावना है जिसमे कि अधिकांश संख्या बालिकाओ की होती है। चाइल्डलाइन लगातार बच्चों की मदद में लगी हुई है।परिचर्चा के दौरान नेशनल एक्शन कोर्डिनेशन ग्रुप के वाईस प्रेसिडेंट संजय गुप्ता ने  बताया कि कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों को सरकारी योजनाओं से बच्चो को जोड़ने के लिए तालमेल बिठा कर काम करना होगा ताकि सभी जरुररतमंद बच्चे लाभान्वित हो सके।

उन्होंने कहा कि इसके लिए सिविल सोसाइटी को इस अभियान से जोड़ना जरूरी है और कोविड प्रभावित बच्चों के लिए बनाई गई योजनाओं का ज्यादा से ज्यादा प्रचार प्रसार होना चाहिए। इसके लिए चेतना संस्था एवं नेशनल एक्शन कोर्डिनेशन ग्रुप सहयोग करने को तैयार है।

अधिवक्ता मुनमुन गोयल ने बताया कि ऐसे बच्चों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए प्राधिकरण के साथ सूचीबद्ध अधिवक्ता सहित सभी वालंटियर हमेशा तैयार है। साथ ही सभी लोगों की यह जिम्मेदारी बनती कि समाज के उन जरूरतमंद बच्चों को जिनके सर से माता-पिता का साया कोरोना की वजह से उठ गया है, उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ कर उनके जीवन को आसान बनाए।

कार्यक्रम के अंत में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से श्रीमती मीनू ने कहा कि चिन्हित बच्चों को जिला प्रशासन के माध्यम से योजनाओं से जोड़ने के लिए आवश्यक  दस्तावेज प्राधिकरण के साथी पूर्ण करवाने में सहयोग करेंगे।

कार्यक्रम में चेतना एनजीओ के एडवोकेसी हेड भूपेंद्र शांडिल्य सहित 80 से ज्यादा शिक्षकों, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं, पैरा लीगल वालंटियर , सरकारी एवं गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। 

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