भारत सारथी/ऋषि प्रकाश कौशिक गुरुग्राम। गुरुग्राम के राजस्व के बिना हरियाणा की अर्थव्यवस्था चल ही नहीं सकती लेकिन फिर भी मंत्री पद के लिए गुरुग्राम के किसी विधायक का कहीं कोई जिक्र भी नहीं सुनाई पड़ता। इसी बात को लेकर आज भाजपा व नागरिकों से बात हुई तो सार यह निकला कि गुरुग्राम के साथ मुख्यमंत्री का सौतेला व्यवहार है। पिछली सरकारों में गुरुग्राम में मंत्री पद अवश्य रहा है और वर्तमान विधानसभा में गुरुग्राम के दो विधायक तो एलएलबी किए हुए भी हैं लेकिन मुख्यमंत्री उन्हें अनुभवहीन कहकर इग्नोर कर रहे हैं। गुरुग्राम की जनता की ओर से एक सवाल उभरकर आया कि जब 2014 मनोहर लाल खट्टर को मुख्यमंत्री बनाया तो उन्हें कितना अनुभव था? यदि वह प्रथम बार में मुख्यमंत्री बन सकते हैं तो यहां के विधायक पढ़े-लिखे हैं, जनता से मेल-मिलाप का और जनता की समस्याओं से लडऩे और समझने का लंबा अनुभव है। फिर उनको मंत्री पद क्यों नहीं? आज जब सोशल मीडिया पर मंत्री पद के नामों की चर्चा चल रही थी और गुरुग्राम का नाम उसमें नहीं आ रहा था तो यहां के भाजपाई भी इस बात पे असंतोष जाहिर कर रहे थे। आज की स्थितियों से लगता है कि गुरुग्राम से ही कहीं वर्तमान सरकार से भाजपाइयों द्वारा विरोध की शुरुआत न हो जाए। Post navigation खट्टर साहब ने दुष्यंत चौटाला को दिखाया आईना : माईकल सैनी बादली, झज्जर से स्मैक खरीद गुरूग्राम आया बेचने