M-2 सरकार की उपलब्धियाँ तथा 1100 करोड़ की योजनाओं को गिनाने के लिए की गई प्रेसवार्ता में उपमुख्यमंत्री सहित सभी मंत्रीगणों की उपस्थिति रही मगर वार्ताकार केवल खट्टर साहब ही बने रहे !

मुख्यमंत्री जी ने ही तमाम योजनाओं पर अपनी बात रखी जिसमे उन्होंने ट्रेक्टर खरीद पर 25% छूट दिए जाने की बात कही और लोकडाउन में तबाह हुए व्यवसायियों को पाँच हजार रुपए की आर्थिक मदद देने जैसे क़ई उपकार गिनाए परन्तु अन्य किसी मंत्री ने अपने विभाग से संबन्धित कोई भी विषय विस्तार से नहीं रखा जब्कि उन्हें अधिक जानकारी रहती है मगर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उन्हें कुछ ज्ञात नहीं और सर्वज्ञानी महज खट्टर साहब ही हैं बाकियों को बोलने नहीं देने की वजह भी शायद यही मानते हैं राजनीति के जानकार उनका मानना तो यहां तक है कि खट्टर साहब केवल स्वम् को ही बड़ा दिखाना चाहते हैं उनके समक्ष कोई बड़ा नही बोना ही बना रह सकता है और उसकी झलक इस प्रसवार्ता में दिखाई भी खूब दी , अब खट्टर साहब का रवैया देख कर हैरानी तो होती होगी मगर लोगों का मानना है कि उनके ऐसे व्यवहार के कारण ही उनकी सरकार में अधिकांश मंत्री ना-खुश हैं और मौन इसलिए हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार होना है कहीं उनसे कोई विभाग अथवा कुर्सी न छीन ले मनोहर लाल खट्टर !

चर्चाएं तो दुष्यंत चौटाला जी के मोनधारण की भी हो रही हैं और कयास लगाए जा रहे हैं कि वह अपने विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कराना चाहते हैं बोर्डों के चेयरमैन बनवाना चाहते हैं इसलिए शांति से कुर्सी पकड़े बैठे रहे – हालांकि इस चुप्पी से उनकी छवि भी धूमिल हुई मगर करें क्या प्रदेश के किसान उन्हें अगले चुनावों में जीतने नहीं देंगे इसलिए मौन को ही लाभकारी समझ रहे हैं दुष्यंत चौटाला !

बात फिर वही एकछत्र राज चला रहे खट्टर साहब पॉवरफुल सीएम की छवि निर्माण में जो लगे हैं फिर चाहे उन्हें सरकार में लाख अन्तरकल्हों को दरकिनार कर मंत्रिमंडल विस्तार करना हो या बोर्डो के चेयरमैन पद बांटने हों और या फिर सहयोगी दल की कमजोर नसों को ही दबाकर क्यों न चलना पड़े – राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी के माफिक हर मोर्चे पर अपनी पसंद के मोहरे बैठाना चाहते हैं ताकि किसी भी प्रकार के विरोधाभास को उपजने ही न दिया जाए !

इसी कड़ी में उन्होंने पार्टी सँगठन में समूची प्रदेशकार्यकारिणी को अपने अनुकूल बना लिया है फिर चाहें प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ की भूमिका को ही क्षीण-हीन क्यों नहीं करना पड़ा हो , उनकी अहमियत को कम करना पड़ा हो – अर्थात नीचे से ऊपर तक सिर्फ वही हैं हरियाणा में और कोई नहीं बेशक उनके इस सोभाव के कारण मंत्रिमंडल और प्रदेशकार्यकरिणी ना-खुश हों मगर नहीं लगता है कि उन्हें इस बात से कोई फर्क पड़ता है और भी क्यों जब्कि सांसद विधायकों की तो कोई बिसात ही नहीं खट्टर साहब के सामने !

अब वो बात अलग है कि केंद्रीय गृहमंत्री श्री अमित शाह जी को किन जानकारियों से अवगत कराते हैं खट्टर साहब मगर अमित शाह जी के दरबार में चल रही मैराथन को समझने का प्रयास करें तो उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला व गृहमंत्री अनिल विज साहब ने भी इस व्यवहार की बाबत शिकायत जरूर की होगी और जिसपर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री को फटकार भी लगाई गई होगी क्योंकि उनके उतरे चेहरे से सहर्ष अनुमान लगाया जा सकता था मगर सवाल फिर वही कि क्या खट्टर साहब अपने अहम को त्याग पाएंगे ?

बकौल तरविंदर सैनी (माईकल ) गुरुग्राम विधानसभा खट्टर साहब कुर्सी के मोह में फंस कर पार्टी सँगठन और सरकार के लिए चिंताग्रस्त हैं आमजन की उन्हें कोई परवाह नहीं , बच्चों की मासूम जानों पर कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है , व्यवस्थाएं कमजोर है मगर उन्हें चिंता है तो केवल मंत्रिमंडल विस्तार की, बोर्डों के चेयरमैनी बांटने की , प्रदेशकार्यकरिणी विस्तार करने की चूंकि स्पस्ट तौर पर लगता है कि उन्हें कुर्सिफोबिया हो गया है और उनका यह मोह यहां तक समझा जा सकता है कि यदि उनके हाथों से कुर्सी छूट गई अथवा छीन ली गई तो उनके मानसिक संतुलन के बिगड़ने व सुदभुद खो देने की आशंका है ।

यही कारण है कि ऐसे हालात पैदा करने वाले लोगों को वह 600 दिनों की उपलब्धियां गिनाने वाले अहम आयोजनों में भी किसी मंत्री व नेता को बोलने का अवसर नहीं दे रहे हैं फिर चाहें गृहमंत्री हो या उपमुख्यमंत्री , सभी को धता बताकर अपनी ताकत दिखाने के लिए प्रयासरत हैं मनोहर लाल खट्टर जो स्वम् को ही सरकार मानते हैं ।।

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