मानवीय आधार पर जरूरतमंद बच्चों को सहारा देने के लिए उठाए गए कदम 

गुरूग्राम, 09 जून। कोरोना महामारी में असमय ही माता-पिता को खो चुके बच्चों को सहारा देने के लिए प्रोजेक्ट होप पर गुरूग्राम जिला प्रशासन और जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण ने सकारात्मक पहल की है। प्राधिकरण व जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयास से प्रोजक्ट हॉप की समन्वय बैठक वर्चुअल प्लेटफार्म पर आयोजित की गई। इस समन्वय बैठक में प्रोजेक्ट होप के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव ललिता पटवर्धन ने बताया कि प्रोजेक्ट होप एक प्रयास है उन बच्चों के लिए जिन्होंने अपने माता-पिता को कोविड महामारी के दौरान खो दिया है। प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश्य ऐसे बच्चों की देखभाल, संरक्षण व पुनर्वास है। इस बैठक में मास्क शिष्टाचार पर एक लघु-एनिमेटेड क्लिप के अलावा ‘’कोरोना होम वाॅरियर्स’’ -एक जागरूकता अभियान डाक्युमेंट्री भी दिखाई गई। यह बैठक हरियाणा राज्य विधिक सेवाएं प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायधीश राजन गुप्ता की अध्यक्षता में हुई थी। 

ललिता पटवर्धन ने बताया कि यह जिले के सभी विभागों का संयुक्त प्रयास है कि ऐसे बच्चों की पहचान की जाए ताकि उनकी अल्पकालीन व दीर्घकालीन जरूरतों को पहचाना जा सके व उन तक पहुंचकर उनकी इन जरूरतों को पूरा किया जा सके। इसमें बचाव, परामर्श, स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों, रिहायश संबंधी जरूरतों, शिक्षा, कौशल विकास आदि सम्मिलित है। इस प्रयास के तहत अपने माता-पिता को कोविड मंे खोने वाले बच्चों को सुरक्षित व सहायक वातावरण तैयार किया जाएगा ताकि उन बच्चों का सर्वांगीण विकास हो सके।

 उन्होंने बताया कि श्री राजन गुप्ता ने वच्र्युअल बैठक में मास्क को सही ढंग से पहनने के बारे में जनता को बताने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा, उन्हांेने कोविड-19 से बचाव के लिए मास्क शिष्टाचार के महत्व पर जोर दिया है और कहा है कि वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए मास्क ठीक से पहनना आवश्यक है। इसके साथ विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा शुरू की गई एक अन्य परियोजना कोरोना होम वाॅरियर्स-एक जागरूकता अभियान की भी शुरूआत की गई। इस परियोजना का उद्देश्य आम जनता मंे कोविड अनुकूल व्यवहार के बारे में जागरूकता पैदा करना है। उन्होंने बताया कि इस अभियान के लिए बच्चों और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाई जाएगी। बच्चों को इसलिए चुना गया है क्योंकि वे जागरूकता पैदा करने का एक सशक्त माध्यम है। जब बच्चे कुछ मुद्दे उठाते हैं तो उन पर उन विषयों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। सोशल मीडिया भी लोगों को अपनी कहानियों व बातों को सांझा करने का शक्तिशाली माध्यम है। 

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