“बुद्ध पूर्णिमा” पर..गौतम बुद्ध के पहले 27 बुद्ध हो चुके थे, वो 28वे बुद्धत्व थे।

गौतम बुद्ध के पहले 27 बुद्ध हो चुके थे, वो 28वे बुद्धत्व थे।. दुनियां को बनाने वाला कोई नही है, ये स्वतः चलायमान है।. कार्यकारण का सिद्धांत उन्होंने ही दिया जिस पर आज सारा विज्ञान खड़ा है।

अशोक कुमार कौशिक

गौतम बुद्ध अपनी अनुभववादी शिक्षाओं के कारण तब भी प्रासंगिक रहेंगे जब सभी धर्म दुनियां से समाप्त हो जाएंगे। भारत मे जो भी थोड़ा बहुत रस-स्वाद है वह बुद्ध के कारण ही है। दुनियां में भारत की जो थोड़ा-बहुत नाम-छवि-गौरव है वो बुद्ध के कारण ही है।
शाक्यमुनि गौतम बुद्ध का जन्म शाक्य गणराज्य में शुद्धोधन के घर 563 ई.पू. कपिलवस्तु के गनवरिया में हुआ थाा। उनकी माता का नाम रुम्मिनदेई(लुमिनि) था। बहुत बाद में महामाया नाम जोड़ दिया गया। जिस तरह गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सुकिति था। बहुत बाद में सिद्धार्थ जोड़ दिया गया।

बुद्ध बचपन से ही बहुत विनम्र,तार्किक और दयालु स्वभाव के थे। शिक्षित होने के बाद उनका विवाह कोलिय वंश की राजकुमारी कच्चाना से हुआ था। बहुत बाद में यशोधरा नाम जोड़ दिया गया। उनके एक पुत्र भी था। जिसका नाम राहुल था। उस वक्त गण व्यवस्था (लोकतंत्र)थी।

दो राज्यो में नदी के पानी को लेकर विवाद के कारण युद्ध होने की संभावना बनती है। उसे बुद्ध खरिच कर वार्ता के माध्यम से हल करने का सुझाव देकर युद्ध मे भाग लेने से मना कर देते है। जिससे उन्हें सजा के तौर पर देश निकाला  मिलता है।

सारा परिवार और प्रजा उन्हें बहुत दूर तक ढोल-नगाड़े बजाते हुए पहुचाने जाते है। यही से उनका बुद्ध बनने का सफर शुरू होता है। फिर वो सभी को वापस भेज देते है। 6 साल की कठिन तपस्या और भटकने के बाद उन्हें गया में उन्हें बोधिवृक्ष(पीपल) के नीचे उन्हें ज्ञान प्राप्त होता है।

इसके बाद उन्होंने संघ बनाया निरंतर धम्म का प्रचार-प्रसार किया। शुरुआत में उन्होंने सिर्फ पुरुषों को ही संघ में प्रवेश देकर धम्म भिक्षु बनाया। लेकिन बाद में उन्होंने औरतों को भी संघ में प्रवेश दिया और कई नियम भी बनाये।

ध्यान रहे गौतम बुद्ध के पहले 27 बुद्ध हो चुके थे वो 28वे बुद्धत्व को प्राप्त हुए थे उन्होंने अपनी शिक्षाओं में कहा कि…
दुनियां को बनाने वाला कोई नही है ये स्वतः चलायमान है। उन्होंने आत्मा,परमात्मा,पुनर्जन्म को नकारा है। उन्होंने कहा कि दुनियां में बिना कारण के कोई भी घटना घटित नही होती,हर घटना के पीछे कोई न कोई कारण है। कार्यकारण का सिद्धांत उन्होंने ही दिया जिस पर आज सारा विज्ञान खड़ा है।

उन्होंने कहा जो तर्क नही करता वो धम्मान्ध है जो तर्क नही कर सकता वो मूर्ख है जो तर्क करने का साहस नही कर सकता वो गुलाम है।
तुम मेरी बातों को तभी मानना जब तुम्हारे तर्क की कसौटी पर खरी उतरे नही तो मत मानना,तुम मेरी बातों को जिनकी वक्त के साथ प्रसंगिगता खत्म हो जाये उन्हें त्याग देना और नई प्रासंगिक बातों को परख कर अपना लेना। उन्होंने कहा-अत्त दीपो भव।अपने ज्ञान का दीपक खुद जलाओ।

उन्होंने कहा दुनियां में दुख है दुख का कारण है कारण का निवारण है इसलिए उन्होंने पंचशील और अष्टांगिक मार्ग पर चलने को कहा है।
बुद्ध ने तृष्णाओं(काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद) को दूर कर मन को साधने और दयावान बनने पर जोर दिया हैै। बुद्धिज्म में जाति के लिए कोई जगह नही है।

मांसाहार पर उन्होंने कहा कि आप किसी स्वतः मरे हुए जीव का मांस खा सकते हैं। लेकिन मांस खाने के लिए जीव हत्या नही होनी चाहिए। सभी जीवों के लिए करुणा ही उनका सबसे बड़ा मानवतावाद है।

उनकी मृत्यु 80 वर्ष की उम्र में 483 ई.पूर्व कुशीनगर में हुई । उन्होंने आखिरी बार मशरूम खाया था। उनके अवशेष आज भी पटना म्यूजियम में सुरक्षित है। एक बार सभी को करुणा के सागर लाइट ऑफ एशिया के अवशेष देखना चाहिए।
सबका मंगल हो। कल्याण हो।

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